शक्ल से मेल नहीं खा रहा प्रतिमा का चेहरा

नोएडा में मुलायम सिंह यादव का स्टैचू बनकर तैयार : शक्ल से मेल नहीं खा रहा प्रतिमा का चेहरा

शक्ल से मेल नहीं खा रहा प्रतिमा का चेहरा

Tricity Today | प्रतिमा का चेहरा मुलायम सिंह यादव के चेहरे से मेल नहीं खा रहा है।

Noida News : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का स्टैचू बनकर तैयार हो गया है। इस स्टैचू को प्रख्यात मूर्तिकार पद्मश्री राम सुतार ने तैयार किया है। कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) प्रतिमा को देखने के लिए सेक्टर-63 पहुंचे थे। लेकिन, प्रतिमा देखकर अखिलेश यादव खुश नहीं दिखे। प्रतिमा का चेहरा मुलायम सिंह यादव के चेहरे से मेल नहीं खा रहा है। अब इसे दोबारा बनाने की तैयारी की जा रही है।

क्या है पूरा मामला 
हाल ही में अखिलेश यादव सेक्टर-63 स्थित राम सुतार के स्टूडियो पहुंचे थे। मूर्तिकार राम सुतार ने उन्हें मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा दिखाई। लेकिन, प्रतिमा देखकर अखिलेश यादव काफी निराश हुए। उनका कहना था कि प्रतिमा की शक्ल उनके पिता के चेहरे से नहीं मिल रहा है। दोनों में कुछ अंतर दिखाई दे रहा है। अखिलेश यादव के निवेदन पर मूर्तिकार राम सुतार ने उन्हें प्रतिमा की शक्ल में सुधार करने का भरोसा दिया है। बताया जाता है कि अखिलेश यादव 15 से 20 दिन बाद दोबारा प्रमिमा देखने नोएडा आएंगे। 

कौन हैं राम सुतार
महाराष्ट्र के धूलिया जिले के गोंडूर गांव में एक साधारण परिवार में राम वनजी सुतार का जन्म 19 फरवरी, 1925 को हुआ था। श्रीराम कृष्ण जोशी से उन्हें आर्ट के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। उन्होंने बॉम्बे में सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह साल 1959 में दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय में काम किया। उन्होंने फ्रीलांस मूर्तिकार के रूप में करियर शुरू करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। दिल्ली के लक्ष्मी नगर में एक स्टूडियो खोला और 1990 में नोएडा में बसे गए। साल 2004 में उन्होंने अपना स्टूडियो स्थापित किया और साल 2006 में साहिबाबाद में अपनी कास्टिंग फैक्ट्री भी स्थापित की। 

पूरी दुनिया में परिचय के मोहताज नहीं हैं राम सुतार
मूर्तिकला के अपने 60 साल के करियर में राम वनजी सुतार ने संसद के अंदर महात्मा गांधी की प्रतिमा सहित कई प्रतिमाएं बनाई हैं। वह देश में सबसे बड़े और शोकेस किए गए मूर्तिकारों में से एक हैं। उनके काम की प्रतियां इंग्लैंड, फ्रांस और रूस जैसे देशों को भी उपहार में दी गई हैं। साल 1954 और 1958 के बीच, सुतार ने अजंता और एलोरा की गुफाओं की कई प्राचीन नक्काशियों को पुनर्स्थापित करने में योगदान दिया। सुतार के करियर को उनकी रचना, मध्य प्रदेश में 45 फीट का चंबल स्मारक स्थापित किया गया। यह स्मारक एक ही चट्टान को तराशकर बनाया गया था। इसका अनावरण 1961 में किया गया था। स्मारक अपने दो बच्चों, राजस्थान और मध्य प्रदेश के साथ मां चंबल का प्रतिनिधित्व करता है। 

वो प्रतिमाएं, जिनसे मिली प्रसिद्धि
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राम सुतार को भाखड़ा बांध बनाने वाले श्रमिकों के शिल्प कौशल को सम्मानित करने के लिए 50 फीट का कांस्य स्मारक बनाने के लिए भी कमीशन दिया था। यह लेबर स्टैच्यू 26 जनवरी, 1959 को स्थापित किया गया था। सुतार की अन्य प्रसिद्ध प्रतिमाओं में दिल्ली में गोविंद बल्लभ पंत की 10 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, बिहार में कर्पूरी ठाकुर और बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिन्हा की प्रतिमा, अमृतसर में महाराजा रणजीत सिंह की 21 फीट ऊंची प्रतिमा और गुजरात में विश्व प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ यूनिटी शामिल हैं।

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