दिल्ली पुलिस के एसएचओ ने रिश्वत में ली लग्जरी कार, बदले में किसानों को जेल भेजा, Video

चिटहेरा भूमि घोटाला : दिल्ली पुलिस के एसएचओ ने रिश्वत में ली लग्जरी कार, बदले में किसानों को जेल भेजा, Video

दिल्ली पुलिस के एसएचओ ने रिश्वत में ली लग्जरी कार, बदले में किसानों को जेल भेजा, Video

Tricity Today | नोएडा सेक्टर-22 में स्थित दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर के घर खड़ी होंडा अमेज कार। इसी के बदले चिटहेरा गांव के 7 किसानों को फर्जी मुकदमे में जेल भेजने का आरोप है।

Noida News : चिटहेरा भूमि घोटाला दो महत्वपूर्ण तथ्यों पर टिका है। पहला, गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील में तैनात रहे राजस्व विभाग के अफसरों और कर्मचारियों ने भू-माफिया से मिलीभगत करके सरकारी और किसानों की जमीन यशपाल तोमर व उसके गैंग के नाम करने में भूमिका निभाई। दूसरा तथ्य यह है कि जब किसानों ने यशपाल तोमर और उसके गुर्गों को आसानी से जमीन नहीं दी तो उन पर पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इन दोनों तथ्यों पर ही सही ढंग से काम नहीं किया है। शायद यही वजह रही कि उत्तराखंड में तैनात दो आईएएस और एक आईपीएस अफसर के रिश्तेदारों को क्लीन चिट दे दी गई। इतना ही नहीं, और भी बहुत सारे चेहरे ऐसे हैं, जिनकी कारगुजारी सामने नहीं आई हैं। गौतमबुद्ध नगर क्राइम ब्रांच की इन्वेस्टिगेशन में ऐसे कई खुलासे हुए हैं। दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर की भूमिका सामने आई है, जिसने भू-माफिया यशपाल तोमर से रिश्वत में लग्जरी कार ली। बदले में चिटहेरा गांव के किसानों को जेल भेजा। आरोपों से जुड़े पुख्ता तथ्य सामने आए
यशपाल तोमर के सबसे करीबी और मुखौटे मालू ने 27 जनवरी 2023 को गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था। उसे रिमांड पर लेकर क्राइम ब्रांच ने पूछताछ की। इस पूछताछ में वह सारे खुलासे हुए हैं, जिनकी जानकारी चीख चीखकर वर्षों से चिटहेरा गांव के किसान दे रहे हैं। अफसोस इस बात का है कि कोई उनकी बात सुनने वाला नहीं है। अब जब क्राइम ब्रांच के सामने खुद यशपाल तोमर के सबसे करीबी मालू ने यह स्वीकारोक्ति की तो उस पर भी क्राइम ब्रांच ने आगे बढ़कर काम नहीं किया। आरोपों से जुड़े पुख्ता तथ्य दरकिनार कर दिए गए हैं।

मालू ने क्राइम ब्रांच को क्या बताया
मालू ने क्राइम ब्रांच के सामने बयान दिया, "मैं अपनी मां के सारे बैंक खातों का संचालन करता हूं। चिटहेरा भूमि घोटाले से जुड़े पैसे मेरी मां के खाते में आए थे। इनमें से 9 लाख रुपये यशपाल तोमर के ममेरे भाई गजेंद्र सिंह पुत्र इंद्रपाल के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। गजेंद्र सिंह बागपत में रमाला थाना क्षेत्र के किरठल गांव का रहने वाला है। यह पैसा गजेंद्र को बतौर उसकी हिस्सेदारी दिया गया था। गजेंद्र कुख्यात किस्म का बदमाश है और फिलहाल यशपाल के साथ उत्तराखंड की जेल में बंद है। गजेंद्र को बागपत में सजा भी हो चुकी है और वह फिलहाल जमानत पर बाहर था। गजेंद्र ने उन रुपयों से एक होंडा अमेज कार खरीद ली थी। जो बाद में उसने एक फर्जी मुकदमा लिखवाने के बदले उस वक्त के कश्मीरी गेट के इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह को दे रखी है। इसी दौरान नरेंद्र ने भी कश्मीरी गेट थाने में चिटहेरा के लोगों के खिलाफ अपहरण करने, मारपीट करने और फर्जीवाड़ा करके प्लॉट बेचने के आरोपों में लिखवाया था। जिसमें यशपाल के कहने पर मैंने झूठी गवाही दी थी। हमने एक झूठी कहानी बनाकर अपहरण करने वाले बदमाशों को 5 लाख रुपये देने की बात कही थी।"

क्राइम ब्रांच ने जांच क्यों नहीं की
गौतमबुद्ध नगर क्राइम ब्रांच ने मालू का यह बयान बाकायदा क्राइम डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) में दर्ज किया है। क्राइम ब्रांच ने यह बयान दर्ज तो कर लिया लेकिन आगे बढ़कर इसकी तस्दीक करने और किसानों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करने वाले इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह तक पहुंचने की कोई कोशिश नहीं की। इस बयान के आधार पर TRICITY TODAY ने छानबीन की है। मालू का बयान पूरी तरह सही है। दिल्ली पुलिस का इंस्पेक्टर नोएडा के सेक्टर-22 में रहता है। उसके घर के बाहर हौंडा अमेज कार खड़ी मिली है। कार का नंबर DL 3CBE 8383 है। यह कार गजेंद्र सिंह पुत्र इंद्रपाल चौहान के नाम है। कार के रजिस्ट्रेशन का पता दिल्ली में कृष्णानगर दर्ज है। आसपास के निवासियों ने बताया कि यह कार लंबे वक्त से यहीं इंस्पेक्टर के घर के बाहर पार्क होती है। खुद इंस्पेक्टर और उसके परिवार के सदस्य इसका इस्तेमाल करते हैं।

किसानों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
चिटहेरा गांव के किसानों के खिलाफ 13 अप्रैल 2018 को कश्मीरी गेट थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मुकदमा अदालत के आदेश पर 7 किसानों नीरज पुत्र चरण सिंह, योगेंद्र पुत्र मोहर सिंह, ऋषि राज पुत्र जयचंद, वीरेंद्र पुत्र जयचंद, विजय गौतम पुत्र छोटन, रामकुमार पुत्र तुलाराम और ब्रह्म सिंह पुत्र हरिचंद के नाम दर्ज किया गया था। यह सभी अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले किसान हैं। इन पर आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 364-ए और 120-बी के तहत यह मुकदमा दर्ज किया गया था। कश्मीरी गेट पुलिस ने आनन-फानन में इन किसानों को उठाकर जेल भेज दिया। इसके बाद यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम इनकी जमीन ट्रांसफर करवाई गई। तब जाकर इन्हें जमानत मिली। चिटहेरा गांव के लोगों ने बताया कि जेल से छूटने के तुरंत बाद ऋषि राज की मौत हो गई। उसकी पूरी जमीन यशपाल तोमर गैंग है हड़प ली है। फिलहाल उसका परिवार बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है। परिवार में जवान बेटियां थीं। किसी तरह रिश्तेदारों ने उनकी शादी की है। गांव वालों का कहना है कि इन लोगों का दिल्ली जाकर क्राइम करने का कोई मतलब नहीं था। अदालत से सीआरपीसी 156(3) के तहत आदेश करवाना तो बस एक सेफगार्ड था। उस वक्त का कश्मीरी गेट थाने का एसएचओ यशपाल तोमर गैंग का समर्थक था।

'नोएडा पुलिस के रवैये से निराशा हुई'
पीड़ित ग्रामीणों का कहना है, "इस मामले का खुलासा होने के बाद उम्मीद जगी कि अब इंसाफ मिलेगा। यशपाल तोमर ने हमें बर्बाद करने की ताकत नहीं थी, उसके पीछे बड़े-बड़े पुलिस और प्रशासन के अफसर खड़े हैं। कुछ नेताओं ने भी उसे संरक्षण दे रखा था। जिनके बूते उसने चिटहेरा गांव के करीब 20 परिवारों को बर्बाद किया है। गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने सारे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब पता चला है कि पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। यह पूरी तरह अन्याय है। यशपाल तोमर के साथ नेता और अफसर हैं। इसी वजह से तमाम जुल्म सहकर किसान बर्बाद हो गए और आवाज नहीं उठा पाए। दरअसल, जब भी किसानों ने आवाज उठाने की कोशिश की, उन्हें कुचल दिया गया। फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए। किसानों के अपहरण करके यातनाएं दी गई हैं। उस वक्त गौतमबुद्ध नगर पुलिस और प्रशासन ने शिकायतों पर सुनवाई नहीं की थी। अब एक बार फिर हमारे साथ धोखा हुआ है।"

गौतमबुद्ध नगर पुलिस मौन क्यों
यह पूरी जानकारी TRICITY TODAY की ओर से 7 दिन पहले (बीते रविवार) गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट के साथ साझा की गई थीं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। दूसरी ओर इस मामले की जांच करने वाले क्राइम ब्रांच के 'अंगदी' इंस्पेक्टर, एसीपी और डीसीपी बात करने से बच रहे हैं।

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