Noida : नोएडा प्राधिकरण में करोड़ों रुपए के घोटाले करने के आरोपी पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह और जूनियर इंजीनियर राकेश कुमार जैन की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है। कोर्ट ने इस अर्जी पर अधिवक्ता शिवसागर सिंह और मनीष गुप्ता और सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश और एडवोकेट संजय यादव को सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे शुक्रवार को सुनाया गया। वहीं, आपको बता दें उत्तर प्रदेश शासन ने यादव सिंह मामले में करीब 3 हफ्ता पहले लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण को दोबारा जांच सौंपी है।
याचियों पर आरोप है कि नोएडा क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण ठेके में भारी अनियमितता और घोटाला किया। जिससे नोएडा प्राधिकरण को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने 32 ठेकों की जांच कर चार्जशीट दाखिल की है। ठेके में खर्च दर में भारी इजाफा कर करोड़ों की अथारिटी को क्षति पहुंचाई। स्टेडियम में ज्वाइंट वेंचर के बजाय सिंगल वेंचर को सी पी डब्ल्यू की मैनुअल को दर किनार कर ठेका दिया।
ऋतु महेश्वरी को लेटर लिखा
दरअसल, ग्रेटर नोएडा में बतौर सीईओ रहते भूषण इस मामले की जांच कर रहे थे। उनका तबादला शासन में हो गया तो उन्होंने जांच छोड़ दी। इस पर शासन ने नरेंद्र भूषण को निर्देश दिया कि उन्हें ही जांच पूरी करनी है। अब इस मामले में नरेंद्र भूषण ने नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी को लेटर लिखा है। उन्होंने यादव सिंह मामले में जुड़ी सभी फाइलें मांगी हैं। जैसे ही यह जानकारी तीनों प्राधिकरण में काम करने वाले ठेकेदारों को लगी, सब वह परेशान हो गए हैं। इस मामले में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले काफी ठेकेदारों के ऊपर गाज गिर सकती है।
इन विभागों से मांगी फाइल
नरेंद्र भूषण ने ऋतु महेश्वरी को पत्र लिखकर यादव सिंह से संबंधित फाइलें सिविल, विद्युत, जन स्वास्थ्य, बाह्य एजेंसी, विज्ञापन, बीओटी, उद्यान, जल और गंगाजल आदि से जुड़े टेंडर और किए गए कार्यों की जानकारी मांगी है। यादव सिंह से जुड़ी करीब 1,200 फाइल हैं। इनमें से 500 फाइलों को ग्रेटर नोएडा भेजा गया था। ये सभी फाइल वापस आ गई हैं। अब इनके अलावा 700 और फाइलों को मिलाकर कुल 1200 फाइल नरेंद्र भूषण के पास भेजी जाएंगी। प्रमुख सचिव एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेजेंगे।
नरेंद्र भूषण पहले से कर रहे थे जांच
आपको बता दें कि जब नरेंद्र भूषण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी थे तो उनको यादव सिंह मामले में पूरी जांच करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन पीडब्ल्यूडी में तबादला होने के बाद मामले में फाइल वापस उत्तर प्रदेश शासन को भेज दी थी। नरेंद्र भूषण इस समय लोक निर्माण के प्रमुख सचिव हैं। अब उत्तर प्रदेश शासन ने यादव सिंह मामले में पूरी जांच करने के आदेश एक बार फिर नरेंद्र भूषण को दिए हैं। जांच के दौरान यादव सिंह के प्रमोशन समेत काफी अनियमितताओं की परतें खोली जा रही हैं। एक बार फिर यादव सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पहली बार 2015 में जांच शुरू हुई थी
यादव सिंह से जुड़े मामले सीबीआई को सौंपे गए। आरोप है कि यादव सिंह ने 2004 से 2015 के दौरान अवैध तरीके से धन इकट्ठा किया है। यादव सिंह ने इस दौरान गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरणों में बतौर चीफ इंजीनियर रहते अवैध तरीके से धन एकत्र किया। भ्रष्टाचार के माध्यम से यादव सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग किया। यादव सिंह के खिलाफ पहली बार 2015 में जांच शुरू हुई थी। यह जांच तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने शुरू करवाई थी। हालांकि, बाद में यह मामला गौतमबुद्ध नगर पुलिस से हटाकर उत्तर प्रदेश सीबीसीआईडी को दे दिया गया था। कुछ दिन सीबीसीआईडी ने जांच की और बाद में इस मामले को क्लोज कर दिया गया था।
यादव सिंह पर तमाम गंभीर आरोप
सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि यादव सिंह ने अप्रैल 2004 से अगस्त 2015 के बीच आय से अधिक 23.15 करोड़ रुपए जमा किए हैं, जो उनकी आय के स्रोत से लगभग 512.6 प्रतिशत अधिक हैं। सीबीआई ने पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह पर कुल 954 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। यह धोखाधड़ी नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर चीफ इंजीनियर रहते हुए एक अंडर ग्राउंड बिजली केबलिंग का टेंडर छोड़ने में की गई है। जांच में बात सामने आई है कि बिजली का केबल टेंडर होने से पहले ही सड़क के नीचे दबा दिया गया था। टेंडर बाद में किया गया और भुगतान भी बाद में किया गया था।