Noida News : गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई (Suhas LY IAS) 2024 में होने वाले पैरा-ओलंपिक और एशियन गेम्स की तैयारियों में जुट गए हैं। अगले साल पेरिस में पैरा-ओलंपिक का आयोजन किया जाना है। एशियन गेम्स चीन में इसी साल होंगे। जिनके लिए क्वालीफाइंग चैंपियनशिप शुरू हो चुकी हैं। पैरा बैडमिंटन के लिए क्वालीफाइंग चैंपियनशिप का आयोजन स्पेन के कार्टागेना और विटोरिया शहरों में किया जा रहा है। शनिवार को सुहास एलवाई स्पेन के लिए रवाना होंगे। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने चैंपियनशिप में शामिल होने की अनुमति दे दी है। एक सप्ताह का अवकाश भी दिया है।
तीसरे पैरा-ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं सुहास
सुहास एलवाई के नाम कई शानदार रिकॉर्ड दर्ज हैं। वह दुनिया के अकेले नौकरशाह हैं, जो पैरा-ओलंपिक में 2 पदक जीत चुके हैं। साल 2020 के टोक्यो पैरा ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक हासिल किया था। 2016 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। अब सुहास एलवाई अपने करियर में तीसरी बार पैरा ओलंपिक खेलने की तैयारी कर रहे हैं। मैं दुनिया के नंबर दो पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। सुहास एलवाई का जन्म कर्नाटक के हासन जिले में 2 जुलाई 1983 को हुआ। वह भी करीब 39 वर्ष के हैं।
कौन हैं सुहास एलवाई
सुहास एलवाई उत्तर प्रदेश कैडर में वर्ष 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं। मूल रूप से कर्नाटक में शिमोगा जिले के रहने वाले हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सुहास एलवाई को 3 मार्च 2020 को गौतमबुद्ध नगर का जिलाधिकारी बनाकर भेजा था। वह तब से जिले में काम कर रहे हैं। सुहास एलवाई महाराजगंज, सोनभद्र, हाथरस, प्रयागराज, जौनपुर और आजमगढ़ के जिलाधिकारी रह चुके हैं। इसी महीने उन्हें पदोन्नत किया गया है। अब वह उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव स्तर के ब्यूरोक्रेट हैं।
पहले इंजीनियर और फिर आईएएस
सुहास ने सुरतकल से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सुरतकल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल की। वह मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों परीक्षा में शामिल हुए। इंटरमीडियट के बाद सुहास ने मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों की परीक्षाएं दीं। उन्होंने दोनों परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। बैंगलोर मेडिकल कॉलेज में उन्हें सीट मिली। मगर उनका रुझान इंजीनियरिंग में ज्यादा था। सुहास असमंजस में थे। दरअसल, उनका परिवार डॉक्टर बनाना चाहता था। एक दिन उनके सिविल इंजीनियर पिता ने सुहास को परेशान बैठे देखा और उनसे बात की। तब उन्होंने इंजीनियर बनने की इच्छा जताई। उनके पिता ने हामी भर दी। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। डिग्री पूरी होने के बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक आईटी फर्म में काम शुरू कर दिया।
सिविल सर्वेंट के साथ बैडमिंटन
प्राइवेट नौकरी करने के साथ ही सुहास एलवाई का रुझान सिविल सर्विसेज की ओर बढ़ गया। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी। जिसमें उन्हें कामयाबी मिल गई। वह 2007 बैच के आईएएस अफसर चुने गए और उत्तर प्रदेश कैडर मिल गया। इसके बाद सुहास एलवाई का बैडमिंटन की तरफ रुझान बढ़ा। अब वह बैडमिंटन के टॉप इंटरनेशनल प्लेयर हैं। उत्तर प्रदेश में नौकरी करते हुए उनकी मुलाकात यूपी प्रादेशिक सिविल सेवा की अधिकारी रितु से हुई। दोनों ने शादी कर ली। रितु सुहास भी बहुमुखी प्रतिभा की धनी।हैं रितु और सुहास के दो बच्चे हैं।
सरकार ने कई बड़े अवॉर्ड दिए
सुहास एलवाई को भारत सरकार ने खेल क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार अर्जुन अवॉर्ड साल 2021 में दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान यश भारती 2016 में दिया। इसी साल उन्हें उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार लक्ष्मण अवार्ड से नवाजा गया है। खेल के साथ-साथ प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में भी सुहास एलवाई को केंद्र और राज्य सरकारों के कई अवार्ड मिल चुके हैं।