सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने में फंसा तकनीकी पेंच, आधा दर्जन इमारतें जद में आएंगी

बड़ी खबर : सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने में फंसा तकनीकी पेंच, आधा दर्जन इमारतें जद में आएंगी

सुपरटेक ट्विन टॉवर को गिराने में फंसा तकनीकी पेंच, आधा दर्जन इमारतें जद में आएंगी

Tricity Today | Supertech Tower

Noida News : सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के ट्विन टावर को ध्वस्त करना बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इन टावरों को गिराने में तकनीकी दिक्कतें भी आ रही हैं। सुपरटेक बिल्डर की ओर से चयनित कंपनियों के तकनीकी अध्ययन में कई बिंदु सामने आए हैं। बड़ा मसला दोनों टावर के बीच की दूरी है। 

न सिर्फ टावर-16 व 17 के बीच की दूरी मानकों के विरुद्ध है, बल्कि परियोजना में बने अधिकांश टावरों के बीच की दूरी में भी भवन नियमावली 2006 का उल्लंघन पाया गया है। इसी वजह से दोनों टावरों से 33 मीटर के दायरे में करीब आधा दर्जन इमारतें आ रही हैं। इमारत की ऊंचाई का 65 फीसद स्थान खाली होना चाहिए, मगर यहां यह संभव नहीं है। ऐसे में जरा भी तकनीकी गड़बड़ी अन्य इमारतों के लिए खतरनाक हो सकती है। 

जानकारी के मुताबिक, नोएडा भवन नियमावली 2006 के अनुसार टावर-6 और टावर-7 के मध्य की दूरी 18.45 मीटर होनी चाहिए, जबकि सर्वे शीट के अनुसार इन दोनों टावरों के बीच की दूरी 13.61 मीटर है। इसी प्रकार टावर-1 व टावर-12 के बीच की दूरी 16.40 मीटर है, जो 18.45 मीटर होनी चाहिए। यही स्थिति टावर-9 और टावर-10 की भी है। यहां दोनों टावरों के बीच की दूरी 17.63 मीटर है। 

यहां तक कि टावर-13 और 14 के निर्माण के दौरान स्ट्रक्चरल सेफ्टी का आकलन नहीं किया गया। इस आकलन से पहले ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया। ध्वस्तीकरण करने वाली कंपनी को टावर-16 व 17 के अलावा अन्य टावरों का स्ट्रक्चरल सेफ्टी का भी अध्ययन करना होगा। इसका ध्यान रखना होगा कि इमारत के ध्वस्तीकरण के दौरान होने वाली ध्वनि व कंपन से आसपास के कितने टावरों को नुकसान पहुंच सकता है। 

टावर-13 और टावर-14 में प्रस्तावित तलों के विपरीत स्थल पर किए गए स्ट्रक्चरल सेफ्टी का आकलन नहीं किया गया। टावर-16 से 17 के बीच की दूरी नियम विरुद्ध है। भवन नियमावली 2006 के अनुसार दो टावरों के मध्य की दूरी 36.5 मीटर होनी चाहिए थी। जबकि टावर-16 व 17 के मध्य की दूरी कम है।

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