प्राधिकरण के पास कंपनी का आया आवेदन, सरकार से हरी झंडी मिलते ही शुरू होगा काम

नोएडा में बनेगा देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट : प्राधिकरण के पास कंपनी का आया आवेदन, सरकार से हरी झंडी मिलते ही शुरू होगा काम

प्राधिकरण के पास कंपनी का आया आवेदन, सरकार से हरी झंडी मिलते ही शुरू होगा काम

Google Image | heliport

Noida Desk : नोएडा में जल्द ही सबसे बड़ा हेलीपोर्ट बनने जा रहा है। इसकी तैयारी नोएडा प्राधिकरण ने जोर-शोर से शुरू कर दी है। सेक्टर-151ए में बनने वाले हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए एक कंपनी ने नोएडा प्राधिकरण में आवेदन कर दिया है। जिसकी तकनीकी बिड खोलने के लिए शासन से मंजूरी मांगी गई है। मंजूरी मिलने के बाद फाइनेंशियल बिड को खोल निर्माण की जिम्मेदारी कंपनी को सौंप दी जाएगी। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, हेलीपोर्ट को बनाने का काम 2023 से शुरू हो जाएगा।

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के साथ हेलीपोर्ट का ग्लोबल टेंडर जारी किया गया था, जिसके लिए नोएडा प्राधिकरण की 206 वीं बोर्ड बैठक तीन बदलाव के साथ ग्लोबल टेंडर जारी करने का प्रस्ताव पास किया गया है। इस बार एनआइटी (नोटिस इनवाइटिंग टेंडर) में थोड़ा संशोधन किया गया है। इसमें तीन सुझाव को अमल में लाया गया है। उन्होंने बताया कि जेवर में बनने वाले नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के बाद यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, जहां पर देश का सबसे बड़ा हेलीकाप्टर (26 सीटर एमआइ 172) उड़ान भर सकेगा।

हेलीपोर्ट पर यह सुविधाएं होंगी
हेलीपोर्ट तीन ओर से सेक्टर 151ए में बन रहे गोल्फ कोर्स से घिरा होगा। इस हेलीपोर्ट के आसपास वीआईपी और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के आवागमन की सुविधा रहेगी। नोएडा अथॉरिटी के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की बदौलत राजस्व बढ़ेगा। हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए शानदार अवसर होगा। हेलीपोर्ट से बेल 412 हेलीकाप्टरों को लैंडिंग और टेकऑफ की सुविधा होगी। इन हेलीकॉप्टर में 13 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। इसमें हेलीपैड, एप्रेन, टैक्सी-वे, हैंगर और एक टर्मिनल बिल्डिंग होगी।

43 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा
प्राधिकरण की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस परियोजना पर 43 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। आवेदन की आखिरी तारीख 12 जनवरी 2023 है। तकनीकी बोलियां एक दिन बाद 13 जनवरी को खोली जाएंगी। सितंबर में सलाहकार कंपनी ने कुछ कमियां बताई थीं। प्राधिकरण ने इस परियोजना के लिए एक निविदा निकाली थी। जो रद्द करनी पड़ी थी। अब फिर से इसकी डीपीआर तैयार की गई है। संशोधित डीपीआर के मुताबिक परियोजना का मकसद यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली के पड़ोसी जिलों को जोड़ना है।

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