सालों से अधूरा पड़ा सपना होगा पूरा, मिलेगा अपना घर

नोएडा के 20 हजार फ्लैट खरीदारों के लिए राहत की खबर : सालों से अधूरा पड़ा सपना होगा पूरा, मिलेगा अपना घर

सालों से अधूरा पड़ा सपना होगा पूरा, मिलेगा अपना घर

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

Noida : शहर में फ्लैट खरीदारों के लिए खुशखबरी है। निर्माणाधीन परियोजनाओं में बुकिंग कराकर अगले कुछ महीनों या सालों में फ्लैट पाने का सपना संजोए देख रहे लोगों के पक्ष में अच्छी खबर निकल कर आई है। अब उनको फ्लैट में बिल्डर तभी कब्जा दे सकेगा जब कोई नामी एजेंसी उसकी मजबूती पर मुहर लगा देगी। इसकी वजह यह है कि नोएडा प्राधिकरण ने अब नियम बना दिया है कि हर बिल्डर को चयनित एजेंसी के जरिए ओसी लेने से पहले अपनी परियोजना का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना होगा। इस नियम का जिनको फायदा होगा वे 43 परियोजनाओं में करीब 20 हजार खरीदार हैं।

स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी
स्ट्रक्चरल ऑडिट में नींव से लेकर फ्लैट की दीवार और छत समेत अन्य बिंदुओं पर मजबूती जांची जाएगी। मजबूती की रिपोर्ट मिलने के बाद ही प्राधिकरण संबंधित परियोजनाओं को अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करेगा। अगर कोई स्ट्रक्चर में कमी निकलेगी तो उसे बिल्डर को दूर करवाना होगा। यह बड़ा बदलाव नोएडा प्राधिकरण ने स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी में किया है। ऐसा हो जाने से खरीदारों के मन से ये आशंका दूर होगी कि वह जिस फ्लैट में परिवार के साथ रहने जा रहा है वो मजबूत है भी या नहीं। प्राधिकरण अगले महीने से इस पॉलिसी को पूरी तरह से लागू कर देगा। अब तक बहुमंजिला आवासीय इमारत के लिए प्राधिकरण बिल्डर से स्ट्रक्चरल इंजीनियर या एजेंसी का पत्र लेकर अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर देता था।

43 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि पॉलिसी प्रभावी होने के बाद अधिभोग प्रमाण पत्र के लिए जो भी बिल्डर आवेदन करेगा उसे स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाकर रिपोर्ट देनी होगी। अगर अलग-अलग हिस्सों में अधिभोग प्रमाण पत्र लेता है तो उसे उतने हिस्सा का भी यह ऑडिट कराना होगा।  पॉलिसी प्रभावी होने के बाद मौजूदा समय में शहर में चल रही 43 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं इसके दायरे में आएंगी। ये वो परियोजनाएं हैं जिनमें बिल्डर ने काम शुरू करवा दिया है और आने वाले समय में फ्लैट लोगों को देने हैं। इनमें कुछ ऐसी परियोजनाएं भी हैं जिनमें आधे हिस्से में फ्लैट बनाकर लोगों को कब्जा दे दिया है। अधिकारियों ने बताया कि इन परियोजनाओं में करीब 20 हजार फ्लैट ऐसे हैं जो इस साल अंत तक बनकर तैयार हो जाएंगे। ऐसे में इन खरीदारों को स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी का फायदा शुरू में ही मिल जाएगा।

पुरानी सोसाइटियों में शिकायत के आधार पर
जिन सोसाइटियों में लोग रहे हैं, उनका भी स्ट्रक्चरल ऑडिट बिल्डर को कराना होगा लेकिन उससे पहले प्राधिकरण में वहां की एओए को मांग करनी होगी। एओए की मांग का प्राधिकरण परीक्षण करेगा। परीक्षण में जरूरी पाए जाने पर बिल्डर को ऑडिट कराना होगा।

7 एजेंसियों का किया चयन, 10 का और होना है
स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के लिए प्राधिकरण 17 एजेंसियों का पैनल तैयार करेगा। इस पैनल के लिए 7 एजेंसियो ने सहमति दे दी है। चयनित एजेंसियों से बिल्डर को ऑडिट कराना होगा। जिन एजेंसियों का चयन कर लिया गया है उनमें आईआईटी कानपुर, एमएनआईटी प्रयागराज, बिट्स पिलानी, एनआईटी जयपुर, सीबीआरआई रुड़की आदि शामिल है। आईआईटी दिल्ली ने थर्ड पार्टी स्ट्रक्चरल ऑडिट करने से मना कर दिया है। बाकी देश के नामी संस्थानों से भी स्ट्रक्चरल ऑडिट को पैनल में शामिल होने की सहमति प्राधिकरण ने मांगी हुई है। अब आगे जिनकी सहमति आती रहेगा उनको पैनल में शामिल किया जाएगा।

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