शहर के संगठन ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई से अहम मांग की, गिनाईं निवासियों की परेशानियां

नोएडा: शहर के संगठन ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई से अहम मांग की, गिनाईं निवासियों की परेशानियां

शहर के संगठन ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई से अहम मांग की, गिनाईं निवासियों की परेशानियां

Google Image | डीएम सुहास एलवाई

  • नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कई जगहों पर संपत्ति के वास्तविक मूल्य पूर्व निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम हैं
  • ऐसी स्थिति में क्रेता और विक्रेता के बीच एक असहज सी स्थिति पैदा हो जाती है
  • ऐसी स्थिति में काले धन का लेन-देन भी बेवजह होता है
  • भारत सरकार सारा लेन-देन बैंकों अथवा डिजिटल करना चाहती है
Noida: नोएडा में स्थित प्रोग्रेसिव कम्यूनिटी फाउंडेशन ने जिलाधिकारी सुहास एलवाई को पत्र लिखकर एक महत्वपूर्ण मांग की है। उन्होंने जिले में संपत्तियों का वास्तविक बिक्री मूल्य पूर्व निर्धारित सर्किल रेट से कम पर होने पर क्रेता एवं विक्रेता को वास्तविक मूल्य पर पंजीकृत कराने की अनुमति देने की मांग की है। संगठन के फाउंडर प्रेसीडेंट सुशील कुमार जैन ने डीएम को लिखे खत में लोगों को आने वाली समस्याएं गिनाई हैं। 

उन्होंने कहा है, नोएडा-ग्रेटर नोएडा में कई जगहों पर संपत्ति के वास्तविक मूल्य पूर्व निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम हैं। ऐसी स्थिति में क्रेता और विक्रेता के बीच एक असहज सी स्थिति पैदा हो जाती है। एक तो क्रेता को पूर्व निर्धारित सर्किल रेट के आधार पर स्टांप की गणना होने के कारण ज्यादा स्टांप खरीदने पड़ते हैं। दूसरी ओर भारत सरकार का आयकर अधिनियम क्रेता और विक्रेता के बीच होने वाले विक्रय अनुबंध में संपत्ति को उस स्थान की वास्तविक मूल्य की बजाए पंजीकृत मूल्य पर गणना करता है। 

संगठन का कहना है कि, इससे क्रेता और विक्रेता को बेवजह की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। आयकर भी उसी हिसाब से ज्यादा चुकाना पड़ता है। वित्तीय अनियमितताओं का सामना करना पड़ता है। गौतमबुद्ध नगर में ऐसे बहुत से मामले आए हैं, जिनमें संपत्ति का स्थानांतरण वास्तविक मूल्य उस स्थान के पंजीकृत कराने हेतु निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम है। उन्होंने आगे कहा है, ऐसी स्थिति में काले धन का लेन-देन भी बेवजह होता है। क्योंकि वास्तविक मूल्य के आधार पर क्रेता और विक्रेता एक दूसरे को ज्यादा सर्किल रेट पर पंजीकरण कराने के बाद भी पैसे को काले धन के रूप में कैश मैं लेनदेन करते हैं। ज्यादा दिया धन कैश में वापस लेते हैं। 

उन्होंने डिजिटल इंडिया की तरफ ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा है, जहां एक ओर भारत सरकार सारा लेन-देन बैंकों अथवा डिजिटल करना चाहती है, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की संपत्ति बिक्री पर काले धन का लेनदेन बेवजह होता है। सुशील कुमार जैन ने मांग करते हुए लिखा है, ऐसी स्थिति में क्रेता और विक्रेता को वास्तविक मूल्य के आधार पर पंजीकरण कराने के लिए अपने विवेकाधिकार से अनुमति देने की व्यवस्था कराएं। ताकि बेचने और खरीदने वाले को बेवजह ज्यादा स्टांप ड्यूटी ना देनी पड़े। आयकर भी ज्यादा ना देना पड़े।

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