ओखला बैराज को विश्वस्तरीय बनाने की प्रक्रिया तेज, योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस प्रोजेक्ट को दी मंजूरी, पूरी जानकारी

बड़ी खबर : ओखला बैराज को विश्वस्तरीय बनाने की प्रक्रिया तेज, योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस प्रोजेक्ट को दी मंजूरी, पूरी जानकारी

ओखला बैराज को विश्वस्तरीय बनाने की प्रक्रिया तेज, योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस प्रोजेक्ट को दी मंजूरी, पूरी जानकारी

Google Image | CM Yogi Adityanath

Noida News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने सभी महकमों से लंबित प्रोजेक्ट के लिए प्रक्रिया तेज करने का आदेश दिया है। इस पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने दिल्ली क्षेत्र के अन्तर्गत ओखला बैराज के अपस्ट्रीम में यमुना नदी पर एफलक्स बन्ध के किनारे कैनाल कॉलोनी ओखला से कालिन्दी कुन्ज पार्क तक आरसीसी दीवार के निर्माण के लिए प्राविधानित सम्पूर्ण धनराशि 44 लाख 72 हजार रुपये की धनराशि को स्वीकृति दे दी है। 

परियोजना के कार्यों पर व्यय करने के लिए प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग उप्र, लखनऊ के निवर्तन पर रखे जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस संबंध में विशेष सचिव सिंचाई मुश्ताक अहमद ने 7 सितम्बर को शासनादेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि परियोजना पर सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त होने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाए। इसके साथ ही निर्माण कार्य में गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए निर्धारित समय में पूरा कराया जाये। स्वीकृत धनराशि का उपयोग स्वीकृत परियोजना पर ही किया जाएगा। ऐसा न किये जाने पर किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता के लिए समस्त जिम्मेदारी विभाग की होगी।

शासनादेश में यह भी कहा गया है कि सभी प्रकार की वैधानिक अनापत्तियां एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंश सक्षम स्तर से प्राप्त करके ही निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया जाए। इसके अलावा स्वीकृत धनराशि को व्यय करते समय वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी सुसंगत शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशानुसार पिछले 4 वर्षों में लगभग 628 करोड़ रूपये की लागत से 66 स्थलों का ड्रेजिंग कार्य कराये हैं। इससे तटबंधों पर पानी का दबाव एवं कटान को रोकने में सफलता प्राप्त हुई है। तटबंध सुरक्षित होने से बाढ़ के समय जन-धन की हानि में काफी कमी आई है।
    
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ड्रेजिंग कार्य के फलस्वरूप तटबंधों पर पानी का दबाव अत्यन्त न्यून रहा। इससे बाढ़ की स्थिति में आसपास के क्षेत्रों तथा गांवों को सुरक्षित करने में मदद मिली। इसके अलावा नदी के बीच शोल को काटा गया। इसके अलावा कतिपय स्थलों पर निकाली गई सिल्ट के निस्तारण से अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति हुई। ड्रेजिंग का कार्य सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा वैज्ञानिक, तकनीकी नजरिए से बैथीमेट्री, रिवर मार्फोलोजिकल स्टडी एवं डेम स्टडी के उपरान्त कराये गये। इससे पर्यावरणीय क्षति नहीं हुई और नदियों का प्राकृतिक स्वरूप भी बना रहा।

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