- निर्माण के 5 साल तक रखरखाव का होता है कंपनी का जिम्मा
Noida News : एलिवेटेड रोड के समय से पहले टूटने की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। जिसके लिए अगले हफ्ते आईआईटी रुड़की की टीम नोएडा आएगी। टीम ने आने से पहले निरीक्षण करने की फीस मांग की है, जो कि लगभग 2 लाख रुपए है। जिसका भुगतान प्राधिकरण जल्दी ही कर देगा। जिसके बाद टीम निरीक्षण के लिए आएगी। वहीं, नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी इसकी जांच की जा रही है। एलिवेटेड निर्माण घोटाले के अंदर प्राधिकरण के तीन विभाग आ रहे हैं। इसके अलावा एक हफ्ते पहले इसके निर्माण घोटाले में प्राधिकरण के तत्कालीन वरिष्ठ परियोजना अभियंता को हटाया गया था। साथ ही कैग की रिपोर्ट में भी इसके लेनदेन पर सवाल उठाए हैं।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने यह कहकर किए हाथ खड़े
जैसे ही प्राधिकरण फीस का भुगतान कर देगा उसके बाद आईआईटी रुड़की की टीम नोएडा आ जाएगी। निरीक्षण के बाद टीम प्राधिकरण को बताएगी कि इसकी जांच कितने दिन में पूरी होगी और कितना खर्चा आएगा। कुछ समय पहले प्राधिकरण की पीएसी और वर्कर सर्कल की कमेटी ने इस एलिवेटेड रोड की जांच की थी, लेकिन उन्होंने इसकी जांच को आगे करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि हमें अभी स्ट्रक्चर जांच का अनुभव नहीं है। जिसके बाद आईटीआई से पूरा स्ट्रक्चर जांच करवाने का निर्णय लिया गया। जिसके लिए आईआईटी रुड़की को इसका प्रस्ताव भेजा गया। अब आईआईटी रुड़की की टीम अगले हफ्ते निरीक्षण करने आएगी।
5 साल तक निर्माण कराने वाली कंपनी की होती जिम्मेदारी
प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार निर्माण के साल तक इसका रखरखाव की जिम्मेदारी निर्माण करने वाली कंपनी की होती है। साथ ही परियोजना पूरी होने के 5 साल तक डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड रहता है। इस दौरान सड़क उखड़ने और कोई कमी आने पर उसे दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी निर्माण करने वाली कंपनी की होती है। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार कंपनी को इसके लिए कई पत्र पहले ही भेजे जा चुके हैं। जिसको लेकर कंपनी ने कुछ बिंदुओं पर अब आर्बिटेशन में वाद दायर कर दिया है।
450 करोड रुपए खर्च कर हुआ था इसका निर्माण
आपको बता दें कि सेक्टर-61 से सेक्टर-28 स्थित विश्व भारती स्कूल तक इस एलिवेटेड रोड का निर्माण कराया गया था। यह एलिवेटेड लोगों की सहूलियत के लिए बनाया गया था। ताकि लोग कम समय में लंबी दूरी तय कर सके और लोगों को सफर के दौरान कोई भी दिक्कत ना हो। रोड का निर्माण 450 करोड रुपए की लागत से कराया गया था, लेकिन अब यह एलिवेटर रोड समय से पहले ही टूटना शुरू हो गया है। कई जगहों पर भारी वाहन के गुजरने से रोड पर कंपन होने लगती है। जिससे इसकी गुणवंता पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में अब प्राधिकरण के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। अब इसकी जांच शुरू कर दी गई है। इसकी जांच के लिए अगले हफ्ते आईआईटी रुड़की की टीम नोएडा निरीक्षण करने के लिए आएगी।
बिना बिल की रिपोर्ट जमा कराएं दिए निर्माण कंपनी को करोड़ों रुपए
एलिवेटेड रोड के समय से पहले टूटना शुरू होने से सब की चिंता बढ़ गई है। वही प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी एलिवेटेड रोड घोटाले की जांच कर रहे हैं। साथी ही एलिवेटेड रोड घोटाले में जांच के दौरान सिविल, इंजीनियर और वित्त विभाग के अधिकारी है। अभी इसकी जांच चल रही है। जांच को पूरा करने के बाद इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। कैग के वित्तीय ऑडिट में पता चला था कि सिविल अधिकारियों द्वारा टेक्निकल ऑडिट सेल में फाइनल बिल की रिपोर्ट जमा कराने से पहले ही इस निर्माण कर रही कंपनी को 17.21 करोड रुपए दे दिए गए थे। इसके अलावा कैग ने एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर हुए कई लेन-देन में अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।