हिंडन नदी में मानकों से 560 गुना अधिक है टोटल कोलीफार्म, हाथ डालने लायक भी नहीं है पानी 

नोएडा में चिंताजनक स्थिति : हिंडन नदी में मानकों से 560 गुना अधिक है टोटल कोलीफार्म, हाथ डालने लायक भी नहीं है पानी 

हिंडन नदी में मानकों से 560 गुना अधिक है टोटल कोलीफार्म, हाथ डालने लायक भी नहीं है पानी 

Tricity Today | हिंडन नदी

Noida News : वैसे तो नोएडा हिंडन और यमुना दो नदियों के बीच में बसा है, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि दोनों नदियों में से  किसी का पानी पीने और नहाने की बात तो दूर, हाथ डालने के लायक भी नहीं है। सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति हिंडन नदी की है। नदी दिवस पर पेश है दोनों नदियों के पानी की स्थिति पर रिपोर्ट।

नाले में तब्दील हो रही हिंडन नदी 
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हिंडन नदी के डाउनस्ट्रीम में टोटल कोलीफार्म की मात्रा 28 लाख एमपीएन प्रति 100 मिली रिकॉर्ड हुई है। जबकि, मानकों के अनुसार किसी भी नदी में नहाने व अन्य कामों में उपयोग के लिए टोटल कोलीफार्म की अधिकतम अनुमन्य सीमा 5,000 एमपीएन प्रति 100 मिली होती है। यह सीधे तौर पर 560 गुना अधिक प्रदूषण की मात्रा है। इसके अलावा बायो ऑक्सीजन मांग भी 18 मिग्रा प्रति लीटर पाई गई जोकि 3 मिग्रा प्रति लीटर या कम होनी चाहिए। साफ शब्दों में कहा जाए तो मनुष्य के लिए प्रयोग किए जाने की बात तो दूर, जलीय जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन भी हिंडन के पानी में मौजूद नहीं है।

नालों से बिगाड़ी यमुना की स्थिति 
कुछ ऐसी ही स्थिति यमुना नदी की है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीबी) द्वारा एनजीटी में दी गई रिपोर्ट के बताया गया है कि यमुना में दिल्ली और नोएडा के बीच 22 बड़े नाले गिरते हैं। इनमें से 13  नालों से 2,976 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) सीवर गिरा रहे हैं। केवल नौ नालों को ही अभी तक टेप किया जा सका है। यही वजह है कि कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में प्रदूषण अधिकतम होता है। नदी में बने झाग के रूप में यह प्रदूषण साफ दिखाई देता है। नोएडा के डाउनस्ट्रीम में हिंडन के भी मिल जाने के बाद यह प्रदूषण और अधिक बढ़ जाता है।

दोनों नदियां बुरी तरह प्रदूषित 
पर्यावरण कार्यकर्ता अभिष्ट कुसुम गुप्ता का कहना है कि इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि शहर दो नदियों के बीच बसा है। इसके बावजूद इन नदियों का पानी मनुष्इ और जानवरों के प्रयोग के लायक नहीं है। दोनों नदियां बुरी तरह प्रदूषित हैं। नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हिंडन रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिए एनजीटी के आदेश के बाद अब जरूरी कवायद शुरू हुई है।
अतिक्रमण से सिमट रही हैं नदियां किसी समय यमुना का तट वहां तक था, आज जहां अट्टा मार्केट और सेक्टर-18 है। यहां तक आने के लिए लोग नाव का सहारा लेते थे, लेकिन यमुना-हिंडन दोआब में बसे नोएडा शहर के विकास ने नदियों को पीछे धकेलने का काम किया। शहर के अंधाधुंध विकास की दौड़ में नदियों के डूब क्षेत्र तक कब्जा कर लिया गया। आलम यह है कि हिंडन नदी में कुछ मकान बने हुए हैं। इस अतिक्रमण के कसारण दोनों नदियों का दायरा और किनारे सिमटते नजर आ रहे हैं।

अतिक्रमण रोकने में प्राधिकरण नाकाम 
नोएडा के मास्टर प्लान 1991, 2001 और 2011 में शहर की सीमा इतनी नहीं थी कि यह नदियों के अस्तित्व पर कोई असर डाले। लेकिन, मास्टर प्लान 2021 और 2031 ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया। नदियों के किनारे तक खूब निर्माण हुए हैं। नोएडा प्राधिकरण की ओर से पूरी जमीन का अधिग्रहण किया गया और योजनागत तरीके से इसे बिल्डरों को बेच दिया गया। इस दौरान भूमाफियाओं ने प्राधिकरण की लापरवाही का फायदा उठाते हुए कृषि एवं पशुपालन वाली जमीन पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया। नदियों के किनारे तक प्लॉट काटे गए। पिछले वर्ष यमुना नदी में आई आंशिक बाढ़ का असर यह रहा कि डूब क्षेत्र में बने फॉर्महाउस डूब गए। काफी मशक्कत के बाद उनको बाहर निकाला गया।

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