नोएडा में 12 इमारत ऐसी हैं, जिनमें अगर आग लगने की घटना हो जाए तो बचाव के उपाय नहीं हैं। बड़ी बात यह है कि इस समस्या का समाधान नोएडा विकास प्राधिकरण और फायर डिपार्टमेंट के पास भी नहीं है। दरअसल, इन इमारतों की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि उनके ऊपरी हिस्सों में लगी आग बुझाने के लिए पर्याप्त संसाधन और तकनीक अभी तक भारत में ही उपलब्ध नहीं है। हालांकि, गनीमत यह है कि इनमें से कुछ इमारत अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं, लेकिन आने वाले समय में इनसे जुड़ी परेशानियों को लेकर चिंता बढ़ रही है।
नोएडा में 100 मीटर से ऊंची 12 ऐसी इमारत हैं, जिनमें आग लगी तो अग्निशमन विभाग के पास बुझाने के लिए संसाधन नहीं है। विभाग के पास अभी सिर्फ 42 मीटर ऊंचा हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग सिस्टम उपलब्ध है। अग्निशमन विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार से 90 मीटर ऊंचे हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग सिस्टम की मांग की है। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने शासन को रिपोर्ट भेजी है। बताया है कि शहर में 100 मीटर से नीचे भावनों में अग्निशमन और जीवन रक्षा के कार्य में प्रशिक्षण के लिए राज्य अग्निशमन प्रशिक्षण महानिदेशालय में भी कोई व्यवस्था नहीं है।
अग्निशमन विभाग के अनुसार ऊंची-ऊंची बिल्डिंग में आग से बचाव के लिए इंतजाम किए जाते हैं। नियमों के मुताबिक हर महीने उनको चेक करने के लिए मॉक ड्रिल की जाती है। इसमें अग्निशमन विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं। अफसरों का कहना है कि उन्हें बिल्डिंग में उपलब्ध संसाधनों से ही काम करना होता है। इसके लिए बिल्डर और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन को प्रशिक्षित स्टाफ रखना होता है। दूसरी ओर विभाग से जुड़े कुछ सूत्रों का कहना है कि पिछले लंबे समय में इन बिल्डिंगों में मॉक ड्रिल नहीं हो रही है। गौतमबुद्ध नगर में अग्निशमन विभाग के पास सबसे ऊंचा हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग सिस्टम 42 मीटर का है। अग्निशमन विभाग ने उत्तर प्रदेश सरकार से 90 मीटर ऊंचा हाइड्रोलिक फायर फाइटिंग सिस्टम मांगा है।
दूसरी ओर अग्निशमन विभाग के उप निदेशक अमन शर्मा ने कहा कि ऊंची इमारतों में आग बुझाने के संसाधन निर्माण के दौरान ही लगाए जाते हैं। इन संसाधनों से आग बुझाई जाती है। जिनके अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से पहले विभाग जांच करता है। नोएडा में अभी तक 42 मीटर का हाइड्रोलिक प्लेटफार्म उपलब्ध है। देश में अभी सिर्फ 90 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने वाला हाइड्रोलिक प्लेटफार्म मौजूद हैं। यह प्लेटफार्म नोएडा भेजने के लिए राज्य सरकार से मांग की गई है।