Noida News : गौतमबुद्ध नगर जिले का ट्रैफिक सिस्टम एजुकेशन, हेल्थ और एनवायरमेंट फ्रेंडली होगा। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट ने नया ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। जिसके केंद्र में स्कूल और स्टूडेंट, हॉस्पिटल और आपातकालीन सेवाएं, पर्यावरण और प्रदूषण को रखा गया है। पहली बार जिले में इस तरह की ट्रैफिक व्यवस्था की परिकल्पना की गई है। इस मसले को लेकर पुलिस आयुक्त आलोक कुमार सिंह और उनके तमाम मातहत अफसरों ने मंथन किया है। पुलिस कमिश्नर ने कहा, "नया ट्रैफिक सिस्टम लागू करने की दिशा में हम लोगों ने कदम बढ़ा दिए हैं। इसे सफल बनाने के लिए जन सहयोग लिया जाएगा। जिले के लोगों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही साथ पुलिस कर्मियों को भी ट्रेंड किया जा रहा है।"
पर्यावरण को नुकसान से बचाएगी पुलिस, नहीं मानने वालों कार्रवाई
ट्रैफिक दो तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। धुएं की वजह से वायु प्रदूषण होता है और तेज हॉर्न बजाने से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। पर्यावरण को बचाने के लिए पुलिस ने योजना तैयार की है। पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों की जानकारी आम आदमी को दी जाएगी। लोगों को इकोफ्रेंडली वाहन उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। अत्यधिक धुआं छोड़ने वाले वाहनों से परहेज बरतने की सलाह पुलिस देगी। कोशिश करेंगे कि सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़े। इसके बावजूद अगर लोग नियमों का पालन नहीं करेंगे तो कार्यवाही की जाएगी।
पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, "10 वर्ष पुराने डीजल वाहन और 15 वर्ष पुराने पेट्रोल चालित वाहनों को जिले से बाहर किया जा रहा है। पुलिस ने वर्ष 2021 में प्रदूषण फैलाने वाले 4,058 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की थी। वर्ष 2022 में 1,471 वाहनों को सीज किया गया। इसी तरह प्रेशर हॉर्न और हूटर बजाने वाले 3,007 वाहनों का चालान वर्ष 2021 में किया गया था, जबकि 2022 में 780 वाहनों का चालान किया गया। मोडिफाइड साइलेंसर का उपयोग करने वाले वाहन चालकों पर कार्यवाही की जा रही है। शहर में बनाए गए साइलेंस जोन में और बजाने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है।
इमरजेंसी और हेल्थ सेवाओं को प्राथमिकता मिलेगी
गौतमबुद्ध नगर पुलिस के ट्रैफिक प्लान में इमरजेंसी और स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी गई है। पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार सिंह ने कहा, "ट्रैफिक पुलिस के सभी कर्मियों को फर्स्ट एड के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। सड़क दुर्घटना के वक्त घायलों की जान बचाने में प्राथमिक उपचार महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। किसी हादसे के बाद शुरुआती एक घंटा 'गोल्डन आवर' होता है। इस दौरान अगर घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो जान बच सकती है। ट्रैफिक पुलिस को 'गोल्डन आवर' के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। ट्रैफिक पुलिस कोशिश करेगी कि कम से कम समय में घायलों को निकटतम अस्पताल में पहुंचा दिया जाए।"
पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, "नोएडा, दिल्ली और गुरुग्राम के अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अक्सर इन शहरों के अस्पताल एक-दूसरे को ह्रदय, आंखें, लीवर, किडनी और कई दूसरे अंग प्रत्यारोपित करने के लिए भेजते हैं। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है। इसके लिए पुलिस को ग्रीन कोरिडोर बनाना होता है। गौतमबुद्ध नगर ट्रैफिक पुलिस के सभी कर्मियों को ग्रीन कॉरिडोर बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। पुलिस कर्मियों को फर्स्ट एड और इमरजेंसी मेडिकल सपोर्ट देने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग शहर के विभिन्न अस्पतालों के साथ मिलकर देंगे।"
स्कूली वाहनों और छात्रों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता
नए ट्रैफिक प्लान में शहर के स्कूलों और छात्रों को विशेष जगह दी गई है। आयुक्त ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस सुबह स्कूलों के खुलने और दोपहर में बंद होने के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। इस दौरान शहर की सड़कों पर ट्रैफिक कंट्रोल रूम नजर रखता है। स्कूलों की छुट्टी होने के वक्त पीसीआर वैन, पेट्रोल कार और पुलिस बाइक आसपास गश्त करती हैं। छात्रों की सुरक्षा के लिए पुलिस स्कूल मैनेजमेंट के साथ नियमित रूप से बैठकों का आयोजन करेगी। स्कूलों के प्रबंधकों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद और बेहतर बनाया जाएगा। रोड सेफ्टी सेल छात्रों को जागरूक करेगी।" आलोक कुमार सिंह ने कहा, "छात्रों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि अधिकृत वाहनों से ही आवागमन किया जाए। जिले में स्कूलों के लिए अधिकृत वाहनों की संख्या केवल 1,640 है, जबकि कई गुना ज्यादा वाहन स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए लगाए गए हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए ट्रैफिक पुलिस, जिला प्रशासन, जिला विद्यालय निरीक्षक और एआरटीओ मिलकर जांच अभियान चला रहे हैं। अनाधिकृत और मानकों को पूरा नहीं करने वाले वाहनों को सीज किया जा रहा है। इनके संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है।"
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि अभिभावकों को भी इस दिशा में जागरूक रहने की आवश्यकता है। स्कूली वाहनों को चलाने वाले ड्राइवरों का टेस्ट लिया जा रहा है। इनका अतिरिक्त प्रशिक्षण करवाया जा रहा है। ड्राइवरों का हेल्थ चेकअप भी करवाया जा रहा है।