Noida News : नोएडा सेक्टर-95 में बने अंतरराष्ट्रीय दलित पार्क की विजिलेंस की जांच करीब 10 साल पहले त्तेज हो गई थी। मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के अवसर लखनऊ में चांस टीम के सामने 23 फाइलों के साथ पेश हुए। विजिलेंस ने सभी फाइलें अपने पास रख ले है।
सोमवार को विजिलेंस लखनऊ के एक इंस्पेक्टर ने नोएडा प्राधिकरण आकर जांच की। टीम के सदस्य दलित प्रेरणा स्थलदलित प्रेरणा स्थल पर भी गए। जिस समय दलित प्रेरणा स्थल का निर्माण किया गया था, उस समय प्राधिकरण में वर्क सर्किल नहीं हुआ करता था। इसका निर्माण सिविल निर्माण खंड-2 के अंतर्गत और इसके अलावा अनुरक्षण खंड-5 के अंतर्गत किया गया। विजिलेंस ने वर्ष 2009 से 2012 तक के कार्यकाल में रहे सीईओ, एसीईओ, ओएसडी से लेकर अन्य अधिकारी और कर्मचारियों के लिस्ट पदनाम सहित मांगी है।
मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के एक ओएसडी और वरिष्ठ प्रबंधक फाइलों के साथ लखनऊ में बैठक में शामिल हुए। विजिलेंस के अधिकारियों ने कई सवाल-जवाब प्राधिकरण के अधिकारियों से किए। अभी सभी 23 फाइलों को विजिलेंस ने अपने पास रख बाद में देने को कहा है। ऐसा पहली बार हुआ है कि इस प्रकरण में जांच टीम नोएडा आई और रिकॉर्ड मांगा गया। अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2009 से 12 तक जिन सीईओ की देखरेख में निर्माण किया गया, वे बसपा के काफी करीबी अधिकारियों में से एक थे।
नोएडा ही नहीं लखनऊ में भी उस समय स्मारकों का निर्माण किया गया था। आरोप है कि इन दोनों स्मारकों को बनाने में 1400 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। इस घोटाले की जांच लोकायुक्त ने की थी। लोकायुक्त ने वर्ष 2013 में इस मामले की रिपोर्ट दे दी थी। करीब 8 साल बाद इस मामले में इस साल अप्रैल महीने में पहले कार्रवाई हुई थी। यूपी विजिलेंस के लखनऊ इकाई में उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के चार पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। बाकी आरोपियों की जांच की जा रही है।
सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने दलित प्रेरणा स्थल का निर्माण किया था। सपा सरकार में नोएडा में बने दलित प्रेरणा स्थल ऑडिट शासन ने कराया गया था। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि सेक्टर-95 में बने दलित प्रेरणा स्थल को बनाने के लिए सिर्फ 84 करोड़ रुपए का एमओयू हुआ था। लेकिन इसके बनाने में हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए थे। इन स्मारकों में लगे पत्थरों की कीमत, उनकी धुलाई समेत कई मामलों में बड़े स्तर पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।
नहीं मिला खर्च की हुई रकम का रिकॉर्ड
प्रोजेक्ट के निर्माण पर एक हजार करोड़ रुपए, किसके आदेश पर खर्च किए गए, प्राधिकरण में इसके कोई भी दस्तावेज या रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने प्राधिकरण अधिकारी एमओयू की तय सीमा से बाहर जाकर इसके निर्माण के लिए पैसे देते रहे। स्मारक के निर्माण के समय पत्थर धुलाई से पहले पत्थर चुनार से राजस्थान के बयान आए। बयान से उन्हें नोएडा लाया गया। इस पूरी प्रक्रिया पर नोएडा प्राधिकरण के खजाने से खर्चा हुआ।