वेव ने नोएडा प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप, खुद को दिवालिया बनाने के लिए ठहराया जिम्मेदार, गिनाईं तमाम वजहें

बड़ी खबर : वेव ने नोएडा प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप, खुद को दिवालिया बनाने के लिए ठहराया जिम्मेदार, गिनाईं तमाम वजहें

वेव ने नोएडा प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप, खुद को दिवालिया बनाने के लिए ठहराया जिम्मेदार, गिनाईं तमाम वजहें

Google Photo | WAVE CITY CENTER

दिल्ली-एनसीआर में अपनी अलग पहचान रखने वाली रियल स्टेट कंपनी वेव ग्रुप विगत सालों में अस्थिर हो गई है। इस ग्रुप की कई सब्सिडरी और पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनियां खस्ता हाल हैं। इनमें सबसे बुरा हाल वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड का है। नोएडा के सेक्टर-32 और सेक्टर-25 जैसे पॉश इलाके में अपनी जमीन बचाने में असफल वेव मेगा सिटी सेंटर समूह खुद को दिवालिया घोषित करने में जुटा है। इसके लिए इस ग्रुप ने दिल्ली स्थित एनसीएलटी में आवेदन दिया है। हालांकि वेव मेगा सिटी सेंटर ने अपने दिवालिएपन के लिए नोएडा प्राधिकरण को कसूरवार ठहराया है। एनसीएलटी को दिए आवेदन में वेव मेगा सिटी सेंटर मैनेजमेंट ने क्रमवार ढंग से अपना पक्ष रखा है। प्रबंधकों ने प्राधिकरण पर जानबूझकर तथा अन्यायपूर्ण ढंग से जमीन वापस लेने और दो टॉवर सील करने का आरोप लगाया है। 

नियमों के खिलाफ जाकर जमीन पर कब्जे का आरोप
वेव मेगा सिटी सेंटर के प्रबंधकों का मानना है कि अगर प्राधिकरण जबरिया जमीन पर कब्जा नहीं लेता और अपनी पॉलिसी के मुताबिक परिस्थितियों को नहीं बिगड़ता, तो वेव मेगा सिटी सेंटर को इतना भारी नुकसान नहीं उठाना पड़ता। ग्रुप की तरफ से कहा गया है कि वेव मेगा सिटी सेंटर (WMCC) ने इस परियोजना में 3,800 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जिसमें इसके प्रमोटर्स और उनके सहयोगियों का 2,213 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इसके अलावा बैंक ऋण के रूप में 200 करोड़ रुपये की राशि ली गई है। खरीदारों ने करीब 1400 करोड़ रुपये की शेष राशि का भुगतान किया है। इसमें से, 2000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान विभिन्न सरकारी एजेंसियों को किया गया है। इसमें नोएडा प्राधिकरण को करीब 1600 करोड़ रूपये का भुगतान शामिल है।”

प्राधिकरण ने पीएसपी सेटलमेंट की सुविधा दी
वेव मेगा सिटी सेंटर ने एनसीएलटी को दिए अर्जी में लिखा है कि, “नोएडा के सेक्टर-25 और सेक्टर-32 के बीच स्थित वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2011 में लीज होल्ड के आधार पर 6.18 लाख वर्ग मीटर जमीन खरीदा था। इसके लिए ग्रुप ने 1.07 लाख रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 6,622 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। मूल योजना के हिसाब से पुनर्भुगतान की अवधि पहले दो साल मोरेटोरियम के बाद 16 अर्द्ध वार्षिक किश्तों में थी। हर किश्त में मूल राशि और ब्याज की राशि शामिल थी। दिसम्बर 2016 में खरीदारों को समय पर युनिट्स की डिलीवरी देने तथा किश्तों पर बकाया राशि की वसूली के लिए नोएडा प्राधिकरण प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी (PSP) लेकर आया।”

पीएसपी सेटलमेंट के नियमों का पालन नहीं हुआ
वेव मेगा सिटी सेंटर समूह ने आगे लिखा है, “पीएसपी पॉलिसी के तहत डेवलपर्स को प्राधिकरण के पास जमा की गई राशि के 85 फीसदी के समकक्ष ज़मीन रखने की अनुमति दी गई। साथ ही, प्राधिकरण को शेष 15 फीसदी राशि जब्त कर रखनी थी। इस राशि को स्टैम्प ड्यूटी, पीनल (दंडात्मक) ब्याज, शुल्क वसूली एवं अन्य स्थानिक शुल्क के भुगतान के लिए विचाराधीन नहीं किया गया। इस पॉलिसी के तहत, वेव मेगा सिटी सेंटर  1227 करोड़ रुपये के समकक्ष ज़मीन रख सकता था। पीएसपी के मुताबिक रु1.07 लाख वर्ग मीटर की आवंटन दर पर वेव मेगा सिटी सेंटर 1.14 लाख वर्ग मीटर जमीन रख सकता था। प्राधिकरण ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए, WMCC को 56,400 वर्ग मीटर जमीन का आवंटन किया। इसमें कहा गया है कि आवंटन 15% समायोजित करने के बाद 709 करोड़ रुपये की मूल राशि के हिसाब से किया गया था। प्राधिकरण ने भूमि के इस हिस्से को भुगतान किया माना और उसे सील नहीं किया।”

जानबूझ कर किया गया खेल
वेव मेगा सिटी सेंटर समूह के मुताबिक, “जमीन के बाकी बचे करीब 58,000 वर्ग मीटर के लिए 1,443 करोड़ रुपये देय था। इसमें से 733 करोड़ रुपये ब्याज मानकर प्राधिकरण ने इस मामले को राज्य सरकार के समक्ष भेज दिया। अपने ग्राहकों के प्रति प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए WMCC ने 2017 में प्राधिकरण से अतिरिक्त 50,000 वर्ग मीटर ज़मीन के लिए अनुरोध भी किया। इसे मौजूदा बाज़ार दर रु1.60 लाख प्रति वर्ग मीटर की दर से आवंटित किया जाना था। इसके लिए कंपनी ने 20 फीसदी निर्धारित मूल्य की राशि को भी जमा किया। करीब तीन साल बाद 2020 में नोएडा प्राधिकरण ने स्वयं शेष राशि 733 करोड़ रूपये के बदले भूमि का आवंटन नहीं करने का फैसला किया। अधिकारियों ने यह कहा कि इस राशि को निर्धारित ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है। इस लिए इसे मूल धन के बराबर नहीं माना जा सकता है। जबकि PSP के तहत केवल दंडात्मक ब्याज को बाहर रखा गया है।”

तीन साल से प्राधिकरण ने नहीं करने दिया काम
प्राधिकरण पर आरोप लगाते हुए वेव मेगा सिटी सेंटर समूह ने कहा है कि, “इन तीन वर्षों के दौरान, प्राधिकरण ने अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा के बहाने मास्टर प्लान में नए ड्राइंग/संशोधन की भी अनुमति नहीं दी। अब, प्राधिकरण ने पीएसपी के लागु होने के पहले के प्रभावी आधार पर पूरी जमीन का लीजरेंट सहित, मूलधन और ब्याज की मांग की। इस अवधि के दौरान प्राधिकरण ने WMCC को एस्क्रो अकाउंट को खोलने की अनुमति नहीं दी, जो कि पीएसपी योजना के तहत स्वीकृत था। WMCC को सब- लीज की सुविधा भी नहीं दी गई।  इस वजह से खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित फ्लैट्स की गई रजिस्ट्री की अनुमति नहीं मिल पा रही है। नोएडा प्राधिकरण ने माना है कि  इस जमीन की कीमत का भुगतान किया जा चुका है।  गत सालों में इस परियोजना की लागत में काफी वृद्धि हुई है। साथ ही प्रोजेक्ट में अनावश्यक देरी हुई है। सितंबर 2019 में, प्राधिकरण ने लगभग 700 करोड़ रुपये की पूरी परियोजना के लिए शून्य देयता प्रमाण पत्र और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया। जबकि नोएडा प्राधिकरण तब तक ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं करता है, जब तक कि संदिग्ध बकाएदारों से उसे पूरी राशि न मिल जाए।”

हालांकि, चार महीने बाद प्राधिकरण ने  WMCC को 2,500 करोड़ से ज्यादा की राशि चुकाने को कहा था। WMCC को 7 दिनों के भीतर उक्त राशि का भुगतान करने को भी कहा गया। इस मांग में 1800 करोड़ रुपये भूमि की कीमत और बाकि शेष राशि, लीज रेंट और ब्याज के रूप में शामिल किया गया। हालांकि 10 मार्च 2021 को नोएडा प्राधिकरण ने 1.08 लाख वर्ग मीटर जमीन के आवंटन को निरस्त कर दिया गया और जमीन को अपने कब्जे में वापस ले लिया गया। साथ ही प्राधिकरण ने दो टावरों को भी सील कर दिया।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.