Noida News : शहर में ठंड का प्रकोप अभी जारी है। दिन प्रतिदिन ठंड बढ़ती जा रही है। अब जिलाधिकारी ने शहरवासियों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। डीएम मनीष कुमार वर्मा ने निर्देश पर अपर जिलाधिकारी राजस्व अतुल कुमार ने 'क्या करें-क्या ना करें' को लेकर एडवाइजरी जारी की है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सरकार ने इस बारे में विशेषज्ञों से जानकारी ली।
'क्या करें क्या-ना करें'
जिला आपदा विशेषज्ञ ओमकार चतुर्वेदी ने बताया कि शहरवासियों को शीतलहर और ठंड के समय अपने आप को सुरक्षित रखने के बाबत जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जनपद में न्यूनतम तापमान 6 डिग्री से भी कम होने लगा है। शीतलहर के दौरान ठंड से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से कंबल वितरण, अलाव जलाने, शेल्टर होम और रैन बसेरे का संचालन किया जा रहा है। ठंड के मौसम में सड़क पर कोई भी व्यक्ति न सोये, इसीलिए प्रशासन द्वारा जनपद में 15 रैन बसेरे बनाए गये हैं। जहां वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण किया जा रहा है।
शीतलहर और ठंड के समय क्या करें क्या न करें
1. रेडियो सुनें, यह जानने के लिए कि क्या शीतलहर आने वाली है, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए टीवी देखें, समाचार पत्र पढ़ें।
2. सर्दियों के कपड़ों का पर्याप्त स्टॉक रखें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती हैं।
3. आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें।
4. फ्लू बहती/बंद नाक या नाक से खून आने जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लबे समय तक संपर्क में रहने के कारण विकसित होती है या बढ़ जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
शीतलहर ठण्ड के दौरान
1. मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्य करें।
2. जितना संभव हो घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए यात्रा कम से कम करें।
3. भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले-ढाले, हल्के, हवारोधी गर्म ऊनी की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े रक्त संचार कम करते हैं।
4. अपने आप को सूखा रखें, यदि गीला हैं, तो अपने सिर, हाथ और पैर, की उगलियों को पर्याप्त रूप से ढंक लें।
5. दस्तानें को प्राथमिकता दें। दस्ताने ठण्ड से अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी साझां करती हैं और कम सतह क्षेत्र को ठण्ड के संपर्क में लाती है।
6. टोपी और मफलर का उपयोग करें, इंसुलेटेड/वॉटरप्रूफ जूते पहनें।
7. शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए स्वस्थ भोजन खाएं।
8. पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाएं रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं।
9. नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पीयें, इससे ठण्ड से लड़ने के लिए शरीर में गर्मी बनी रहेंगी।
10. अपनी नियमित रूप से तेल, पेट्रोलियम जैली या बॉडी क्रीम से मॉइस्चराइज करें।
11. बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों, खासकर बुजुर्गों से उनका हालचाल पूछें।
12. आवश्यकतानुसार आवश्यक सामग्री को भण्डारण करें। पर्याप्त पानी संग्रहित करें, क्योंकि पाइप जम सकते हैं।
13. गैर-औद्योगिक भवनों के लिए ताप इन्सुलेशन पर गाइड का पालन करें और आवश्यक तैयारी उपाय करें।
14. ठंडी लहरों के संपर्क में आने पर शीतदंश के लक्षणों जैसे सुन्नता, उंगलियों, पैर की उंगलियां, कान की लोब और नाक की नोक पर सफेद या पीला दिखना।
15. लबे समय तक ठंड के संपर्क में रहनें से त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो सकती है, और शरीर के खुले हिस्सों जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, नाक और कानों पर काले छाले पड़ सकते हैं। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
16. शीतदंश से प्रभावित क्षेत्रों का गर्म (गर्म नहीं) पानी से उपचार करें। (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान छूने के लिए आरामदायक होना चाहिए)।
17. कंपकपी को नजरअदांज न करें, यह महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर की गर्मी कम हो रही है और यह जल्दी से घर के अन्दर लौटने का संकेत हैं।
18. शीतदंश/हाइपोथर्मिया से पीड़ित किसी व्यक्ति के यथा शीघ्र चिकित्सा सहायता लें।
19. पालतू जानवरों को घर के अन्दर ले जाएं। इसी तरह, मवेशियों या घरेलू पशुओं को भी अन्दर ले जाकर ठंड के मौसम से बचाएं।
20. शीतलहर के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हों सकता है, शरीर के तापमान में कमी से कंपकपी, बोलने में कठिनाई, नींद आना, मांसपेशियों में अकड़न, भारी सांस लेना, कमजोरी और ध्यान चेतना की हानि हो सकती हैं, हाइपोथर्मिया एक चिकित्सीय आपात स्थिति हैं, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देनें की आवश्कता होती है।