विवादों के बीच फंसी अरबों की परियोजना, सब्जी मंडी में तब्दील नीचे की सड़क

आखिर कब पूरी होगी भंगेल एलिवेटेड रोड : विवादों के बीच फंसी अरबों की परियोजना, सब्जी मंडी में तब्दील नीचे की सड़क

विवादों के बीच फंसी अरबों की परियोजना, सब्जी मंडी में तब्दील नीचे की सड़क

Tricity Today | सब्जी मंडी में तब्दील नीचे की सड़क

Noida News : 'नौ दिन चले अढ़ाई कोस।' यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। मौजूदा वक्त में यह भंगेल एलिवेटेड रोड परियोजना पर बिल्कुल फिट बैठती है। कोरोना काल में शुरू हुई यह परियोजना हर किसी के जी का जंजाल बन गई है। एक साल में पूरा होने वाली परियोजना ढाई साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इसका निर्माण का काम ठप होने से बरौला और भंगेल की दो बाजारों के व्यापारियों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है। इसे पूरा कराने के लिए कई बार आंदोलन किए गए, लेकिन उसका कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। बताया जा रहा है कि एलिवेटेड रोड का निर्माण करने वाले सेतु निगम ने 150 करोड़ रुपए की और डिमांड की है। 

अधूरे निर्माण पर सीईओ गंभीर
नोएडा प्राधिकरण के नए सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने एक कमेटी गठित की। इस कमेटी को यह तय करना था कि सेतु निगम की 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग जायज है या नहीं। साल 2020 में शुरू हुई इस परियोजना का काम अभी सिर्फ 60 फीसदी ही हुआ है। शेष काम के लिए निगम ने और धन की डिमांड की है। धन के अभाव में यह काम फिलहाल ठप पड़ा है। 

आ​र्थिक नुकसान झेल रहे दुकानदार
छलेरा टू सेक्टर-82 तक बन रहे भंगेल एलिवेटेड रोड का निर्माण अधूरा होने से भंगेल, सलारपुर और बरौला के दुकानदारों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं, सलारपुर से भंगेल तक अधूरे पुल के नीचे का हिस्सा सब्जी मंडी में कन्वर्ट हो गया है। इतना ही नहीं, इधर से आने जाने वालों को भी भारी दिक्कतें हो रही हैं। खासतौर से बारिश में तो यह रास्ता नर्क में तब्दील हो जाता है। इस परियोजना के खटाई में पड़ने से इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लाखों ने तो अब यह समझ लिया है कि इसका निर्माण निकट भविष्य में पूरा होने वाला नहीं है। 

पीपीपी मॉडल पर होगा काम 
अथॉरिटी के नए सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने अब इस एलिवेटेड रोड को पूरा करने की कोशिश शुरू की है। वह चाहते हैं कि अब बचे काम को पीपीपी मॉडल पर पूरा किया जाए। मीटिंग में इस प्रोजेक्ट की बढ़ी लागत पर भी चर्चा हो रही है। इसके निर्माण को पूरा करने के लिए सेतु निगम ने 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त डिमांड की है। सीईओ ने जल्द से जल्द इस योजना पर काम शुरू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

अथॉरिटी के लिए चुनौती
एलिवेटेड रोड के रास्ते में कुछ इमारतें भी रोड़ा बनी हुई हैं। बिल्डिंग के मालिकों का कहना है कि उनके मकान काफी पहले से बने हैं, इसलिए वे इसे नहीं तोड़ने देंगे। जबकि अथॉरिटी एलिवेटेड रोड के मूल ड्राइंग में बदलाव करने को राजी नहीं है। हालांकि वहां के पिलर्स भी तैयार हो चुके हैं। इस जगह पर एलिवेटेड रोड की चौड़ाई भी कम नहीं हो सकती है। लोगों का कहना है कि किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले सर्वे, रिसर्च और स्थानीय भौगोलिक स्थितियों का जायजा लिया जाता है। अगर रास्ते में आने वाली बिल्डिंग के कारण परियोजना में विलंब होता है तो कटघरे में परियोजना बनाने वाले ही होंंगे। मसलन, अब इस मामले को सुलझाने प्राधिकरण के लिए बड़ी चुनौती है। 

आखिरी डेडलाइन दिसंबर 2023
साल, 2020 में शुरू हुए इस परियोजना को पूरा करने के लिए एक वर्ष का समय तय किया गया था। कोविड के कारण काम रुक सा गया। फिर उसके लिए एक वर्ष का और समय दिया गया। लेकिन, अब तीसरे साल में भी आठ माह बीतने को हैं, लेकिन अभी सिर्फ 60 फीसदी ही काम पूरा हो पाया है। अब एलिवेटेड रोड के निर्माण को पूरा करने की अंतिम डेडलाइन दिसंबर 2023 तय की गई है। देखना दिलचस्प होगा कि इसके पूरा होने का सपना जमीन पर उतरेगा या फिर किसी नए लफड़े में फंस जाएगा।

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