Tricity Today | कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी की न्याय यात्रा
नोएडा न्यूज : पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर से मुंबई तक की 14 जनवरी से शुरू हुई कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का कारवां दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इस यात्रा में अब त्याग और समर्पण की ध्वनि भी सुनाई देने लगी है। कांग्रेस और राहुल गांधी को पता है कि मौजूदा न्याय यात्रा से पार्टी को कोई करिश्माई जीत नहीं मिलने वाली है, फिर भी वह चल रहे हैं। इस यात्रा से दो सन्देश बिलकुल साफ निकलकर आ रहे हैं, पहला आम जनता को न्याय और दूसरा साथी दलों का सियासी फायदा। दरअसल, राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस को नहीं, INDIA अलायंस के सहयोगी दलों को मजबूती ही प्रदान कर रही है। इस तथ्य पर प्रकाश डालती tricitytoday की यह विशेष रिपोर्ट...
सबसे पहले रूट पर एक नजर
मणिपुर से शुरू हुई इस यात्रा में राहुल गांधी 67 दिनों में 110 जिलों से होकर 6,700 किमी का सफर तय करेंगे। मणिपुर से शुरू हुई यात्रा नागलैंड, असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र की मुंबई में संपन्न होगी।
15 राज्यों में हैं 355 सीटें
भारत जोड़ो न्याय यात्रा 15 राज्यों से गुजरेगी। मुख्य रूप से जिन 14 राज्यों से न्याय यात्रा निकलेगी, वहां लोकसभा की कुल 355 सीटें हैं। साल-2019 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों के 129 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला था। इनमें से कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटों पर जीत मिली थी।
राज्यवार INDIA अलायंस की लोकसभा सीटों पर एक नजर
पश्चिम बंगाल में कुल 42 सीटों ममता की टीएससी-22, बीजेपी-18, कांग्रेस-2
बिहार में कुल 40 सीटों में बीजेपी-17, जेडीयू-16, एलजेपी-6, कांग्रेस-1, आरजेडी-0
झारखंड की कुल 14 सीटों में भाजपा-ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) गठबंधन ने साल-2019 के लोकसभा चुनाव में 12 पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस और झामुमो को एक-एक सीट मिली थी।
उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में बीजेपी- 62, अपना दल (एस)- 2, बीएसपी- 10, सपा- 5 और कांग्रेस- 1
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में बीजेपी-23, शिवसेना-18, एनसीपी-4, कांग्रेस-1, एआईएमआईएम-1 और निर्दलीय-1
सहयोगियों की ऐसे मदद कर रहे हैं राहुल
कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी की न्याय यात्रा जिन 15 राज्यों से होकर गुजर रही है, उनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जिनमें आजादी के आंदोलन से निकली पार्टी की हालात बहुत ही दयनीय है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सिर्फ दो सांसद, जबकि 4 राज्यों में मात्र 1-1 सांसद ही हैं। अब सवाल उठता है कि जब इन राज्यों में कांग्रेस न के बराबर है तो फिर राहुल क्यों इन राज्यों से होकर गुजर रहे हैं। इस हकीकत को सभी महसूस कर रहे हैं। बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में नीतीश और तेजस्वी, झारखंड में हेमंत सोरेन, उत्तर प्रदेश में अखिलेश और महाराष्ट्र उद्धव ठाकरे और एनसीपी के शरद पवार अच्छी तरह जानते हैं कि अकेले बीजेपी को रोक पाना उनमें से किसी के बूते में नहीं है। फिर राहुल का यह कहना कि जिस राज्य में जो सामर्थ्यवान है, उस राज्य में उसी की अगुवाई में चुनाव लड़ा जाएगा। राहुल के इस बयान का सीधा सन्देश है की उनकी न्याय यात्रा से कांग्रेस को कम, इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को ही अधिक फायदा होगा।
मुस्लिमों का रूझान
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद यह स्पष्ट हो गया कि मुसलमानों का रूझान एक बार फिर कांग्रेस की तरफ हो गया है। बीते 10 वर्षों में मुसलमानों को यह समझ में आ गया है कि उनका हित कांग्रेस में ही सुरक्षित है। क्षत्रपों के भरोसे अब ज्यादा दिन नहीं रहा जा सकता है। मुस्लिमों को लगने लगा है कि अगर क्षत्रप इतने मजबूत होते तो एनसीपी नेता नवाब मलिक, सपा नेता आजम खां आज जेल में नहीं होते। राहुल भी यह बात जानते हैं कि जहां कांग्रेस कमजोर है, वहां ऐसा कोई करिश्मा नहीं होने जा रहा कि पार्टी एकदम एक बड़ी ताकत बनकर उभर जाएगी। गठबंधन में रहते हुए कांग्रेस की ओर मुस्लिमों के झुकाव का फायदा सहयोगियों को ही होगा।