प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट में हत्या के झूठे मुकदमे में 5 वर्ष जेल में काटने वाले दंपत्ति के दो बच्चों के लापता होने के बिषय में एक मार्च को मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद को एक पत्र आया। इस पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश ने खुद एक जनहित याचिका कायम करवाई है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से 26 अप्रैल तक स्टेटस रिपोर्ट के साथ जवाब मांगा है। दंपत्ति के दो बच्चों को एक अनाथालय को सौंपा गया था, वहां से उसके बच्चे लापता बताये जा रहे हैं।
लुकिंग फॉर जस्टिस के नाम से कायम जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जयंत बनर्जी और जस्टिस संजय यादव की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी कोर्ट ने 1 मार्च का पत्र व अन्य सामग्री शासकीय अधिवक्ता को देने का निर्देश दिया है।
यह मामला 2015 का है इसमें 5 वर्ष के बच्चे की हत्या के आरोप में दो बच्चों के माता-पिता के विरुद्ध पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने दंपत्ति को जेल भेजते हुए उनके बच्चों 5 वर्ष के बेटे और 3 वर्ष की बेटी को अनाथालय में रखने का आदेश दिया था। हत्या के मुकदमे की 5 वर्ष बाद सुनवाई हुई तो अपर सत्र न्यायाधीश आगरा ने दंपति को बरी कर दिया। और उन्होंने कहा कि विवेचना अधिकारी ने जल्दबाजी में जांच पूरी कर वाहवाही बटोरने के लिए हड़बड़ी में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। हत्या के असली अपराधी की तलाश करने की कोशिश नहीं की गई।
हत्यारोपित दंपत्ति के खिलाफ हत्या का कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया गया। कोर्ट ने 5 वर्ष बाद दोनों को रिहा कर दिया। दंपत्ति जेल से निकलने के बाद अपने बच्चों की तलाश शुरू की, लेकिन बच्चों का कहीं पता नहीं चला। उन्होंने पुलिस के आला अफसरों के दरवाजे खटखटाये, वहां भी कोई जवाब नहीं मिला सिर्फ मायूसी हाथ लगी।