सरकार, UPPSC और CBI पर भड़के हुए हैं लाखों प्रतियोगी छात्र, Social Media पर शुरू किया आंदोलन

Uttar Pradesh : सरकार, UPPSC और CBI पर भड़के हुए हैं लाखों प्रतियोगी छात्र, Social Media पर शुरू किया आंदोलन

सरकार, UPPSC और CBI पर भड़के हुए हैं लाखों प्रतियोगी छात्र, Social Media पर शुरू किया आंदोलन

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

Uttar Pradesh के विभिन्न जनपदों से प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों ने राज्य सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया है। हजारों छात्र सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) में पिछली सरकार के शासनकाल में हुई सभी भर्तियों की CBI जांच चल रही है। लेकिन सीबीआई की धीमी जांच के चलते प्रतियोगियों में असंतोष व्याप्त है।

राज्य के विभिन्न जनपदों से आये  छात्र-छात्राएं प्रयागराज जिले में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। इन दिनों इन्हीं छात्रों द्वारा सोशल मीडिया पर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया है। पिछली सरकार के शासनकाल में हुई यूपी लोक सेवा आयोग की तमाम भर्तियों में की गई गड़बड़ियों की जांच सीबीआई कर रही है। लेकिन सीबीआई जांच की इस धीमी प्रक्रिया से छात्रों में असंतोष नजर आ रहा है। सीबीआई के इन तीन वर्षों की जांच के बाद भी जांच में कोई प्रगति नहीं होने की वजह से भी प्रतियोगी छात्रों द्वारा सरकार और सीबीआई की मंशा पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर नेताओं को वादे की याद दिला रहे हैं प्रतियोगी
प्रतियोगी छात्रों का मंच "प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति" के द्वारा बनाये व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज, टि्वटर और इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्मों पर भी लोकसेवा आयोग की भर्तियों में धांधली कराने वाले दोषियों को सजा दिलाने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है। प्रतियोगी छात्रों द्वारा भाजपा के उन नेताओं के पुराने वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया जा रहा है।जिसमें भाजपा नेताओं ने सत्ता में आने के बाद आयोग की भर्तियों में हुई गड़बड़ियों को उजागर करने के साथ ही दोषियों को सलाखों के पीछे भेजने का वादा किया गया था‌।

सीबीआई जांच को लेकर प्रतियोगी छात्रों में है असंतोष
राज्य में बीजेपी की बड़े बहुमत वाली सरकार बनने के बाद यूपी लोकसेवा आयोग में पिछली सरकार के दौरान हुई तमाम भर्तियों में गड़बड़ियों की जांच सीबीआई को सौंपी गई। लेकिन बीते तीन वर्ष में सीबीआई की जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। जांच की इस धीमी प्रक्रिया और तरीकों पर भी प्रतियोगी छात्र सवाल खड़ा करने लगे हैं। राज्य की भाजपा सरकार बनने के बाद जुलाई 2017 में पिछली सरकार के शासनकाल में आयोग की भर्तियों में धांधली की जांच सीबीआई द्वारा करवाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई। राज्य सरकार की इस सिफारिश पर केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा नवंबर 2017 में सीबीआई जांच की मंजूरी दी। राज्य सरकार ने 2012 से लेकर मार्च 2017 के दौरान आयोग की सभी भर्तियों की जांच सीबीआई के द्वारा कराये जाने का शासनादेश जारी कर दिया गया। 

इसी शासनादेश के आधार पर जनवरी 2018 में लखनऊ पहुंची एसपी राजीव रंजन की टीम ने लखनऊ से ही जांच आरंभ कर दिया। सीबीआई की टीम 31 जनवरी 2018 को पहली बार इलाहाबाद में आयोग के दफ्तर पहुंची और सीबीआई टीम के इस छापेमारी के दौरान आयोग के दफ्तर से कई सरकारी दस्तावेजों के अलावा वहां के कंप्यूटर एवं उसके हार्ड डिक्स को भी अपने कब्जे में लिया। इन प्राप्त किये गये दस्तावेजों और कंप्यूटर के हार्ड डिस्क से मिले सबूतों के आधार पर प्रतियोगी छात्रों में यह उम्मीद जगी थी।

प्रतियोगियों ने सीबीआई की धीमी जांच पर सवाल उठाए, आरोप लगाए
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पान्डेय ने कहा कि सीबीआई जांच टीम के पहले इस पी रहे राजीव रंजन के नेतृत्व में जांच प्रक्रिया में काफी तेजी थी उसी गति और तरीके से जांच चलती रहती तो अब तक कई भ्रष्ट अधिकारियों के गिरेबान तक कानून का शिकंजा कस चुका होता। लेकिन जांच के दौरान ही राजीव रंजन को उनके गृह राज्य सिक्किम काडर में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया। जिसके बाद से जांच मात्र दिखावा बनकर रह गई है तीन वर्षों की जांच का निष्कर्ष लगभग शून्य है अब तक जांच में गलत तरीके से चयनित या चयन करवाने वालों की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

सीबीआई की टीम के सामने प्रतियोगी छात्रों ने लगभग नौ हजार से ज्यादा शिकायतीपत्र दिये हैं इन पत्रों में प्रतियोगियों ने अलग-अलग भर्तियों में हुई धांधली की जानकारी दी है। सीबीआई की टीम आयोग के दफ्तर से कंप्यूटर की हार्ड डिस्क व दस्तावेज अपने साथ ले गई थी उसके बावजूद अभी तक जांच का कोई नतीजा नहीं निकलना छात्रों को निराश करने वाला है। सीबीआई को इन भर्तियों में हुई धांधली की जांच की शुरुआत किये तीन वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन सीबीआई जांच के दौरान अभी तक कोई नामजद प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। केवल दो मुकदमे दर्ज हुए हैं वह भी आयोग के अज्ञात अफसरों एवं बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ़। इसके अलावा सीबीआई टीम को अभी तक कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है सीबीआई की टीम आयोग की भर्तियों में हुई इस धांधली पर किसी तरह की कार्रवाई का खुलासा नहीं कर पाई है। यही वजह है कि सरकार के साथ ही सीबीआई टीम पर से भी प्रतियोगी छात्रों का भरोसा उठ रहा है।

सीबीआई 2012 से 2017 तक की भर्तियों की कर रही है जांच
2012 से 2017 तक में राज्य में रही पिछली सपा सरकार के शासनकाल में हुई लोकसेवा आयोग की भर्तियों में लगे धांधली के आरोपों की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। इन पांच वर्षों के दौरान आयोग में हजारों पदों पर भर्तियां की गई थीं इसमें मुख्य रूप से पीसीएस और पीसीएस- जे के पदों के साथ ही आयोग की अन्य भर्तियां शामिल हैं जिससे समीक्षाधिकारी, सहायक समीक्षाधिकारी, लोअर सबोर्डिनेट, चिकित्साधिकारी, एपीओ, एपीएस, फूड सेफ्टी ऑफीसर और राजस्व निरीक्षक सहित कई अन्य तरह की भर्तियां की गई थी।

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