Tricity Today | संगम नगरी में भक्तों का आगमन शुरू हो गया है
कुंभ मेला 2021 में ट्रम्प बाबा और हिटलर बाबा के अलावा पूर्व में आपने गूगल बाबा, कंप्यूटर बाबा,पायलट बाबा, मारुति बाबा, और साइलेंट बाबा का नाम भी सुना होगा। इनमें से सभी संगम के रेती पर अपनी धूनी रमा चुके हैं और अपने नाम से अपनी पहचान भी बना चुके हैं इन दिनों माघ मेले में हिटलर और ट्रंप बाबा की बहुत चर्चा है।
प्रयागराज, संगम पर लगे आस्था के सबसे बड़े पर्व माघ मेले में देशभर से आये साधु-संतों के कई रूप देखने को मिल रहे हैं। जिनमें दो संतों ने लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच रहे हैं, इसके पीछे इन दोनों साधकों के नाम हैं। साधु-संतों की कोई जाति नहीं होती। जिस पर एक कहावत है- जाति ना पूछो साधु की। संगम नगरी में दो साधु इस बार माघ मेले में अपने नाम से चर्चा के केंद्र में हैं।
जब कोई व्यक्ति अपना गृहस्थ जीवन छोड़कर संन्यास लेने जाता है तो उस व्यक्ति को अपना नाम, कुल, गोत्र सब छोड़ना पड़ता है। दीक्षा देने वाले गुरु के द्वारा दिए नाम को ही ग्रहण करना होता है । ये नाम ट्रंप और हिटलर भी हो सकता है। प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे माघ मेले में ऐसे ही नामों वाले बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। माघ मेले में दो बाबा अपने अजीबोगरीब नाम से पहचाने जा रहे हैं। एक का नाम हिटलर बाबा है तो दूसरे साधु का नाम ट्रंप बाबा है।
अजय कुमार त्रिपाठी पहले महंत माधवदास बनें
प्रयागराज जिले के हंड़िया सैदाबाद के रहने वाले अजय कुमार त्रिपाठी के पिता सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थे, उनके तीन बच्चे थे, तीनों बच्चे बचपन से ही पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन अजय कुमार त्रिपाठी साकेत वासी श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री स्वामी रघुवर दास जी महाराज फलाहारी बाबा से काफी प्रभावित थे। इसलिए उन्होंने बचपन से ही गृहस्थ जीवन छोड़ दिया था। इनके माता-पिता ने इनको गुरु जी की दीक्षा दिला दी। इसके बाद अजय कुमार त्रिपाठी का नाम महंत माधवदास पड़ गया।
गुरुजी के आश्रम में महंत माधवदास सबसे कामकाजी थे और गुरुजी जिस काम के लिए कहते थे वह काम माधवदास जरूर पूरा करते थे। गुरु की आज्ञा मिलने के बाद माधव दास किसी और की बात नहीं सुना करते थे। कोई भी काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते थे। गुरु के मुख से निकले आदेश का वह हूबहू पालन करते हैं। गुरु के आदेश को लेकर उनकी हठधर्मिता और प्रशासनिक क्षमता के कारण ही उन्हें गुरु ने 'हिटलर' नाम भी दिया। आश्रम और मेले में आने वाले हर लोग उन्हें अब हिटलर बाबा के नाम से पुकारते हैं।
साकेत धाम आश्रम में ट्रंप बाबा भी बनें सबके चहेते
जो बाइडेन के अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद भले ही अमेरिका में ट्रंप युग खत्म हो गया लेकिन संगम नगरी में ट्रंप बाबा का जलवा कायम है । संगम तट पर साकेत धाम आश्रम में ट्रंप बाबा आज भी पहले की तरह सबके चहेते बने हुए हैं। फिलहाल वह अपने आश्रम में भंडारे काम देख रहे हैं। ट्रंप बाबा यूं तो भौतिक जगत का त्याग कर चुके हैं। उनके गुरु भगवान उन्हें जो आदेश देते हैं, वह उसका पालन करते हैं। साथ ही साथ आश्रम की सारी जिम्मेदारी उठाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वह बहुमुखी प्रतिभा वाले हैं। इसलिए उनको सब ट्रंप बाबा के नाम से पुकारते हैं।