प्रयागराज पहुंचे संघ प्रमुख, बोले- 'गंगा विश्व को शांति देती रहेगी'

त्रिवेणी पर गंगा पूजन प्रयागराज पहुंचे संघ प्रमुख, बोले- 'गंगा विश्व को शांति देती रहेगी'

प्रयागराज पहुंचे संघ प्रमुख, बोले- 'गंगा विश्व को शांति देती रहेगी'

Tricity Today | Mohan Bhagwat

संगम नगरी प्रयागराज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक  मोहन भागवत ने संगम तट पर सनातन संस्कृति को याद करते हुए कहा कि गंगा को भागीरथ ने मृत्युलोक में लाया था यह केवल संघ का आयाम नहीं है बल्कि भारतवर्ष की जीवनदायिनी, जीवनधारा संस्कृति का आयाम है। उन्होंने कहा कि गंगा की धारा पूरे भारतवर्ष की धारा है पवित्र त्रिवेणी पर गंगा पूजन, आरती और दीपदान करते हुए उन्होंने यह विचार व्यक्त किये। बाद में संगम किनारे स्थित बड़े हनुमान जी का दर्शन और आरती की।

जय श्री राम, भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के  बीच सर संघचालक संगम तट पर बने मंच पर पहुंचे। वहां उपस्थित श्री राम तीर्थ क्षेत्र के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, महासचिव चंपत राय, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल काशी प्रांत के संघचालक और गंगा समग्र के राष्ट्रीय सचिव डॉ आशीष गौतम मौजूद थे। सर संघचालक ने कहा कि गंगा अपने उद्गम स्थल से निरंतर प्रवाहित हो रही है, जब तक गंगा की धारा प्रवाहित होती रहेगी तब तक दुनिया के सभी लोग आस्था की डुबकी लगाकर शांति महसूस कर सकेंगे। सनातन संस्कृति और गंगा की धारा हम सबके भौतिक जीवन को प्रगतिशील बनाते है। इसके लिए भारत के सभी व्यक्तियों को अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।

सर संघचालक प्रयागराज पहुंचने के साथ ही झूंसी स्थित संघ कार्यालय गंगाधाम गये वहां से संगम पहुंचने पर सर संघचालक को तिलक लगाकर उनका स्वागत किया गया। गंगा की अविरल धारा में सर संघचालक में प्रमुख संतों एवं पदाधिकारियों के साथ पुष्प, अक्षत समर्पित कर श्रद्धा भाव के साथ पूजन किया। संगम तट पर भारी भीड़ को देखते हुए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

त्रिवेणी तट पर मां गंगा की आरती कर मंच से उतरकर तट की ओर जाकर दीपदान किया और फल का प्रसाद और चरणामृत ग्रहण किया। संगम के पास स्थित बड़े हनुमान जी का दर्शन करने पहुंचे तो वेदों मंत्रोच्चार के साथ आरती किये अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का आशीर्वाद लिया और महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें हनुमान जी की प्रतिमा भेंट की।

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