Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएड की फर्जी डिग्री वाले 2823 सहायक अध्यापकों को झटका देते हुए सभी अध्यापकों की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति की निगरानी में चार माहीने में जांच पूरी करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने यह फैसला दिया है।
बीएड की फर्जी डिग्री के आधार प्राप्त की नौकरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले अंकपत्रों में छेड़छाड़ के आरोपी 814 अध्यापकों को थोड़ी राहत देते हुए आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति की निगरानी में चार महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। वहीं सात सहायक अध्यापकों के सत्यापन के लिए एक महीने का समय दिया गया है। आगरा विश्वविद्यालय से 2005 में बीएड की फर्जी डिग्री लेने वाले इन सभी सहायक अध्यापकों ने नौकरी प्राप्त की थी।
बीएसए ने बर्खास्त किया है
बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वाले सहायक अध्यापकों ने जांच में अपना पक्ष नहीं रखा। बीएसए ने इन सभी को इसी आधार पर बर्खास्त कर दिया था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने एकल पीठ द्वारा आगरा विश्वविद्यालय को जांच के लिए दिये गये आदेश को सही माना है। हाईकोर्ट ने अंकपत्र से छेड़छाड़ का आरोपी और बीएड की फर्जी डिग्री पर कारण बताओ नोटिस का जवाब देने वाले 814 सहायक अध्यापकों को थोडी राहत दी है। कोर्ट ने चार माहीने में जांच पूरी करने के निर्देश देते हुए कहा कि जांच पूरी होने तक इनकी बर्खास्तगी को स्थगित रखा जाये। इन्हें चार माहीने तक कार्य करने और वेतन देने का भी निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं की विशेष अपील पर 29 जनवरी को डबल बेंच ने सुनवाई की, सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।