दो धर्मों के जोड़ों का लिव-इन रिलेशनशिप केवल 'टाइम पास', कोर्ट ने खारिज की याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी : दो धर्मों के जोड़ों का लिव-इन रिलेशनशिप केवल 'टाइम पास', कोर्ट ने खारिज की याचिका

दो धर्मों के जोड़ों का लिव-इन रिलेशनशिप केवल 'टाइम पास', कोर्ट ने खारिज की याचिका

Google Image | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बेहद तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने दो अलग-अलग धर्म को मानने वालों के लिव-इन-रिलेशनशिप को महज 'टाइम पास' कहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे रिश्ते स्थाई नहीं होते। जब तक जोड़ा इस रिश्ते को शादी जैसे पवित्र बंधन के जरिए कोई नाम देने को तैयार न हो तो इसे संरक्षण नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की दो सदस्यीय खंडपीठ ने कुमारी राधिका और सोहैल खान की याचिका पर दिया है।

एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक
मामले में याची के चचेरे भाई अहसान फिरोज ने हलफनामा देकर याचिका दाखिल की थी और कहा था कि दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। इसलिए अपहरण के आरोप में बुआ द्वारा मथुरा के रिफाइनरी थाने में दर्ज एफआईआर रद्द की जाए और गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस संरक्षण दिया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है, लेकिन दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में जोड़े इस प्रकार के अस्थायी रिश्ते पर शायद ही गंभीरता से विचार कर पाएंगे।

एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते ऐसे जोड़े
खंडपीठ ने कहा, 'कोर्ट का मानना है कि इस प्रकार के रिश्ते में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में लगाव अधिक है, जब तक जोड़े शादी करने का फैसला नहीं करते हैं और अपने रिश्ते को नाम नहीं देते हैं या वे एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, तब तक अदालत इस प्रकार के रिश्ते में कोई राय व्यक्त करने से बचेगी। याची ने दलील दी कि उसकी उम्र 20 साल से अधिक है और बालिग होने के नाते उसे अपना भविष्य तय करने का पूरा अधिकार है। 

आगरा के छाता थाने में गैंगस्टर में केस दर्ज
लड़की ने कहा कि उसने लड़के को अपने प्रेमी के रूप में चुना है, जिसके साथ वह लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहती है। शिकायतकर्ता की तरफ से विरोध किया गया कि लड़की के साथी के खिलाफ आगरा के छाता थाने में गैंगस्टर एक्ट की धारा 2/3 के तहत प्राथमिकी दर्ज है। वह एक रोड-रोमियो है, जिसके साथ युवती का कोई भविष्य नहीं है। वो निश्चित तौर पर लड़की का भविष्य बर्बाद कर देगा। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कोई भी सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।

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