बसंत पंचमी पर जानिए कहां और क्यों खेली गई पीले फूलों की होली

बसंत पंचमी : बसंत पंचमी पर जानिए कहां और क्यों खेली गई पीले फूलों की होली

बसंत पंचमी पर जानिए कहां और क्यों खेली गई पीले फूलों की होली

Tricity Today | बसंत पंचमी पर खेली गई पीले फूलों की होली

बसंत पंचमी के मौके पर मंगलवार को भक्तों ने पीले रंग के फूलों से होली खेल कर माहौल को भव्य कर दिया। कार्यक्रम में जगतगुरु कृपालु जी महाराज की शिष्या डॉ कुंजेश्वरी देवी जी के सानिध्य में हुए भक्ति योग साधना शिविर में भक्तों को भक्ति का महत्व भी समझाया गया।

कानपुर के गंगा बैराज स्थित श्री राधा कृष्ण भक्ति मंदिर हुए कार्यक्रम की शुरुवात श्री राधा कृष्ण भगवान और जगद्गुरू श्री कृपालु महाराज जी की आरती, प्राथना, संकीर्तन व परिक्रमा किया गया। कार्यक्रम में भक्तों के बीच श्री राधा कृष्ण जी की झांकि भी प्रस्तुत की गई। बंसत पंचमी मे बंसती फूलो की होली मे आज बिरज मे होरी रे रसिया, होरी रे होरी बरजोरी रे रसिया..... मेरा खो गया बाजूबंद रसिया होरी मे.....होरी खेलन आयो श्याम आज याहि रंग मे बोरौरी.... जैसे गीतों ने माहौल में उत्साह भर दिया। भक्तों ने एक दूसरे पर पीले रंगों के फूलों को उछाल कर होली का आनंद लिया। इस दौरान सभी ने एक दूसरे को बसंत पंचमी पर्व की बधाई भी दी।
 
प्रवचन में दिया ज्ञान : प्रवचन में बताया गया कि एक मात्र भक्ति से ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हम जीवों को मनुष्य शरीर भक्ति करने के लिए ही मिला है ताकि हम भक्ति के द्वारा भगवान को प्राप्त कर सकते है। अन्य किसी शरीर से भक्ति नहीं हो सकती बाकि तो सारी भोग योनि है। भक्ति ही ईश्वर प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है और इसी मनुष्य शरीर से भक्ति करने पर सैकड़ों महापुरुषों ने भगवान को प्राप्त किया है और आगे भी करेगें।

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