-मकर संक्रांति की के दिन सूर्य के साथ शनि के भी पूजन का विशेष विधान है
-प्रदोष काल के समय शनि से प्रभावित जातक महादेव से इस तरह मांग सकते हैं वरदान
मकर संक्रांति के ठीक पहले पढ़ने वाले प्रदोष काल का अपना एक खास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति वाले दिन सूर्य और शनि का पूजन करने से पहले प्रदोष काल में महादेव को प्रसन्न करना बेहद जरूरी है। ऐसी स्थिति में ऐसे जातक जो शनि के प्रकोप से प्रभावित है उनके लिए मकर सक्रांति से ठीक पहले पड़ने वाले प्रदोष काल के समय महादेव का पूजन करना जरूरी हो जाता है।
ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित उत्तम तिवारी ने जानकारी दी कि इस बार मकर संक्रांति के समय पांच ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। ऐसे में 238 वर्ष बाद पड़ने वाले ऐसे ग्रह संयोग से पूर्व प्रदोष काल बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनि ग्रह से प्रभावित जातक महादेव की शरण में जाकर जब सूर्य और शनि की उपासना करते हैं तो उनकी कुंडली में शनि ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। इसलिए मकर संक्रांति से पूर्व पड़ने वाले प्रदोष काल को ध्यान में रखते हुए जातकों को प्रदोष काल से पूजन शुरू कर मकर संक्रांति के दान तक ग्रहों की निश्चित चाल को देखते हुए पूजन करना चाहिए। ऐसे में 7 महीने तक कुंडली को प्रभावित करने वाले शनि ग्रह के सकारात्मक प्रभाव मिलना जातक को शुरू हो जाते हैं।
10 को पड़ेगा प्रदोष : मकर संक्रांति से पहले 10 जनवरी को प्रदोष काल लग रहा है। मान्यता है कि प्रदोष काल में महादेव प्रसन्न मुद्रा में बैठकर भक्तों को वरदान देते हैं। प्रदोष काल के दौरान व्रत रखने वाले जातकों को कभी कुंडली में व्याप्त शनि दोष के नकारात्मक प्रभाव नहीं झेलने पड़ते हैं। मकर संक्रांति से ठीक पहले पढ़ने वाला प्रदोष मकर संक्रांति वाले दिन सूर्य और शनि की स्थिति परिवर्तन के लिए भी फलदाई होता है। ऐसे में वे जातक जो प्रदोष काल के समय शिवजी के मंदिर जाकर विशेष उपाय करते हैं उन्हें शनि की नकारात्मक उर्जा से भी सुरक्षा मिलती है।
यह करें उपाय :
- प्रदोष काल के समय शिवजी का पूजन करते हुए मदार के पुष्प चढ़ाने से शनि संबंधी समस्या से समाधान हासिल हो सकता है।
- प्रदोष काल के समय शिवजी पर यदि लाल या बैंगनी रंग के फलों को चढ़ाया जाता है तो मकर संक्रांति से पूर्व शनि ग्रह को प्रभावित किया जा सकता है।
- प्रदोष काल के समय शिवजी पर जलाभिषेक करते समय यह ख्याल रखना चाहिए कि केवल जल के बजाय उसमें कुशा या फूल जरूर होना चाहिए।
- यदि शनि का प्रकोप कुंडली में बहुत अधिक है तो सरसों के तेल से शिवजी का अभिषेक करने से जल्द लाभ हासिल होता है।
- मकर संक्रांति से पूर्व पड़ने वाले प्रदोष काल के समय शिव जी को दूध में गुड़ मिलाकर उनका अभिषेक करने से 7 महीने तक शनि का प्रकोप कुंडली से हट जाता है।