आज सफला एकादशी के दिन ये काम न करें, रुष्ट हो सकते हैं श्रीहरि, रखें खास ध्यान

Saphala Ekadashi 2021 : आज सफला एकादशी के दिन ये काम न करें, रुष्ट हो सकते हैं श्रीहरि, रखें खास ध्यान

आज सफला एकादशी के दिन ये काम न करें, रुष्ट हो सकते हैं श्रीहरि, रखें खास ध्यान

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

आज सफला एकादशी है। हिंदू पंचांग के मुताबिक पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। यह इंग्लिश कैंलेंडर की पहली एकादशी है। इस बार यह 9 जनवरी, 2021 को है। सफला एकादशी को भगवान विष्णु के दिन पूजा करना शुभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने वालों पर श्रीहरि की असीम कृपा रहती है। मान्यता है कि इस दिन सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि शास्त्रों में सफला एकादशी के व्रत के कुछ नियम हैं। अगर आप सफला एकादशी व्रत रखते हैं तो इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। 

पद्म पुराण में सफला एकदशी व्रत का उल्लेख किया गया है। पद्म पुराण के मुताबिक, महिष्मान नाम के एक राजा शासन करते थे। उनके स्रामाज्य का नाम चम्पावती नगरी थी। राजा महिष्मान के पांच पुत्र थे। उनका सबसे बड़े पुत्र का नाम लुम्भक था। वह हमेशा बुरी संगतियों में रहा, देवताओं को अपशब्द कहा करता था। मांस-मदिरा का सेवन करता था। राजा अपने पुत्र की इन हरकतों से काफी चिंतित थे। अंत में दुखी होकर राजा ने अपने बड़े बेटे को राज्य से निष्काषित कर दिया। लुम्भक जंगल में जाकर जीवन व्यतीत करने लगा। 

इसी दौरान पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी की रात आई। उस रात इतनी भीषण ठंड थी कि लुम्भक पूरी रात सो न सका। दिन में जब धूप खिली तो उसे होश आया। वह पेट भरने के लिए जंगल में फल इकट्ठा करने लगा। शाम होते-होते ठंड ने फिर अपना प्रकोप दिखाना शुरू किया। लुम्भक अपनी किस्मत को कोसने लगा। अंत में उसने सभी फल पीपल के पेड़ की जड़ में रख दिए। उसने देवताओं से माफी मांगी और भगवान विष्णु की आराधना करने लगा।

वह एकादशी का दिन था। उस पूरी रात लुम्भक फिर न सो सका। अनजाने में ही लुम्भक ने एकादशी का व्रत पूरा कर लिया। व्रत का ऐसा प्रभाव ऐसा हुआ कि वह सद्कर्म की राह पर चल पड़ा। कुछ समय बाद राजा महिष्मान ने लुभ्भक को राज्य की जिम्मेदारी सौंप दी और खुद जंगल में तपस्या करने निकल गए। कुछ दिनों बाद लुम्भक को मनोज्ञ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। मनोज्ञ के बड़े होने पर लुम्बक ने सिंहासन अपने पुत्र को सौंप दिया। लुम्बक स्वयं भगवान विष्णु की आराधना करने लगा। अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

सफला एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें, इसका खास ध्यान रखना चाहिए। अगर कोई व्रती इनका पालन किए बगैर व्रत रखता है तो उसका व्रत अपूर्ण माना जाता है।  
  1. शास्त्रों के अनुसार सभी 24 एकादशियों में चावल खाना वर्जित है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से इंसान रेंगने वाले जीव योनि में जन्म लेता है। इसलिए एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. एकादशी के दिन खान-पान, व्यवहार और सात्विक ढंग से भगवान विष्णु की आराधना करने से लाभ मिलता है।
  3. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी का व्रत रखने वाले इस दिन संयमित भाषा का इस्तेमाल करें तो उन्हें लाभ मिलेगा। इस दिन लड़ाई-झगड़े से भी बचना चाहिए।
  4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन सुबह सो कर जल्दी उठने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इस दिन शाम के वक्त नहीं सोना चाहिए।
  5. एकादशी के दिन पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस बार सफला एकादशी 8 जनवरी से 9 जनवरी तक रहेगी। शुभ मुहूर्त की जानकारी निम्नवत है - 
  1. एकादशी शुरू - जनवरी 08, 2021 को रात 9:40 बजे
  2. एकादशी समाप्त - जनवरी 09, 2021 को शाम 7:17 बजे

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