- सूर्य और शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए रत्न से भी तेज गति से पहुंचाता है लाभ
- वेद और पुराणों में खास है सूर्य और शनि को प्रसन्न करने के लिए यह उपाय
मकर संक्रांति (Makar Sankranti)का दिन सूर्य और शनि की उपासना करने के लिए खास दिन होता है। वर्ष में 27 ऐसे दिन आते हैं जिनमें रत्न धारण किए जाने का विधान है। ज्योतिषाचार्य का मानना है कि मकर संक्रांति भी ऐसे ही खास दिन में एक मानी जाती है। ऐसे में यदि महंगा रत्न नहीं खरीद पा रहे हैं तो उसके समानांतर प्राकृतिक ऊर्जा को शरीर में धारण करने के लिए वेद और पुराणों में वैकल्पिक समाधान दिए गए हैं।
वास्तु शास्त्री और कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित संतोष पाधा ने जानकारी दी कि ज्योतिष विद्या में ग्रहों के साथ रत्न का भी बहुत अधिक महत्व है। ग्रहों के कमजोर या प्रबल होने पर उसके प्रभाव को सामान्य करने के लिए रत्नों को धारण किया जाता है। वृहत संहिता के अनुसार ग्रहों को सामान्य किए जाने के लिए बहुत सी प्राकृतिक सामग्रियां होती है। इन्हीं सामग्रियों में रत्नों को भी शामिल किया गया है। बावजूद इसके रत्नों के अत्यंत महंगे होने की वजह से समाज में इसे आकर्षण भरी नजरों से देखा जाता है यही वजह है की ग्रहों की चाल को सामान्य करने के लिए प्राथमिकता के तौर पर रत्नों का प्रयोग किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति रत्न के अलावा भी ग्रहों की ऊर्जा को सामान्य करने के लिए उपाय करता है तो इसके लिए भी शास्त्रों में विभिन्न विकल्प दिए गए हैं।
मकर संक्रांति ही क्यों :
विशेष ग्रह और नक्षत्र के अनुसार रत्नों को धारण किए जाने के लिए भी विशेष दिन शास्त्रों और पुराणों में निश्चित किए गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर सक्रांति का दिन सूर्य को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पिता के रूप में सूर्य अपने पुत्र शनि के साथ मिलाप करते हैं। यही वजह है की सूर्य और शनि को प्रसन्न करने के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है। इस दिन सूर्य और शनि को कुंडली में सामान्य करने के लिए रक्त या उसके विकल्प के रूप में प्राकृतिक सामग्रियों को भी धारण किए जाने का इस दिन कई गुना अधिक लाभ मिलता है।
बेल के पौधे की जड़ और सूर्य :
सूर्य को प्रसन्न करने के लिए जातक मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने के बाद यदि बेल के पौधे की जड़ को लाल कपड़े में बांधकर ताबीज के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो कुंडली में सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को सामान्य किया जा सकता है। यह उपाय ठीक उसी तरह से है जो सूर्य को प्रसन्न करने के लिए महंगे रत्न करते हैं। यदि इस दिन इस उपाय को जातक करते हैं तो पूरे 1 वर्ष उन्हें सूर्य की अनुकंपा मिलती रहेगी। 1 वर्ष बाद दोबारा पढ़ने वाली मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को इस उपाय को दोहराने की जरूरत पड़ती है।
शमी की जड़ और शनि :
शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए मकर संक्रांति के दिन शमी के पेड़ की जड़ को ताबीज के रूप में बांधा जा सकता है। ताबीज के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जड़ को नीले कपड़े में बांधना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन विधान पूर्वक धारण करने से पहले जल को नीले कपड़े में बांधकर ताबीज के रूप में बनाने के बाद उसे धूप में रखने की जरूरत होती है। स्नान ध्यान और पूजन के बाद धूप में रखी हुई ताबीज को आसानी से धारण किया जा सकता है।
खुद ना निकाले जड़ :
रत्नों के विकल्प के रूप में यदि जड़ों को धारण कर रहे हैं तो इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए की खुद पेड़ों की जड़ निकालने से बचना चाहिए। पेड़ों की जड़ निकालने का एक विधान होता है। ऐसी स्थिति में मंदिर के पुजारी या बाजार में मिलने वाली आयुर्वेद की दुकानों से आसानी से जड़ों को लिया जा सकता है। बाजार से आयुर्वेद की दुकानों से ली जाने वाली जड़ अधिक कारगर और पूजन के लिए लाभप्रद होगी।