नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं मां कुष्मांडा, जानिए देवी को प्रसन्न करने की पूजन विधि

Navratri 2022 4th Day : नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं मां कुष्मांडा, जानिए देवी को प्रसन्न करने की पूजन विधि

नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाती हैं मां कुष्मांडा, जानिए देवी को प्रसन्न करने की पूजन विधि

Google Image | मां कुष्मांडा

Greater Noida : शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 26 सितम्बर से हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आज नवरात्रि का चौथा दिन है। यानी की आज दिन है मां कुष्मांडा का। नवरात्रि के चौथे दिन की स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करता है। 

मां दुर्गा का चौथा स्वरूप
नवरात्रि के चौथे दिन की स्वरूप मां कुष्मांडा के पास आठ भुजाएं होने की वजह से उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा सुशोभित हैं। वहीं माता के आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि 
नवरात्रि के चौथे दिन प्रातः स्नान आदि के पश्चात माता कूष्मांडा की पूजा अर्चना करें। मां कूष्मांडा को जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। माना जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है। पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग आदि चढ़ाएं। नवरात्रि के चौथे दिन देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
 
मंत्र का उच्चारण

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।

इस मंत्र का उच्चारण करने से माता प्रसन्न होती हैं और माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना कर इस मंत्र के उच्चारण से माता की दया–दृष्टि और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। मनचाहा वरदान मिलता है और परिवार पर भी माता की कृपा बनी रहती है। सुख समृद्धि और संपत्ति बनी रहती है।

नवरात्रि में पंचामृत का महत्व
नवरात्रि के नौ दिन के पूजन के दौरान माता की पूजा के लिए चीनी, शहद, दही, घी और गाय के दूध से बने खाद्य पदार्थों का एक पारंपरिक मिश्रण बनाया जाता है। यह आमतौर पर पूजा में प्रसाद के रूप में परोसा जाता है।इसे 5 पदार्थों के मिश्रण से बनाया जाता है, इसीलिए इसे पंचामृत कहते हैं। नवरात्रि के नौ दिन पूजा के दौरान पंचामृत का उपयोग बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है।

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