- शास्त्रों में 7 तरह के स्नान कर दिया गया है वर्णन, यथा स्थिति को देखते हुए लिया जा सकता है निर्णय
- इसी तरह यदि बहते हुए जल पर भी नहीं कर पा रहे हैं स्नान तो घर पर खुद बना सकते हैं अमृत जल
मकर संक्रांति का पर स्नान और दान का पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति बहते हुए जल में स्नान कर सूर्य देव का पूजन कर दान करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। शास्त्रों में 7 तरह के स्नान का वर्णन है। ऐसी स्थिति में वे लोग जो पर्व काल के दौरान किन्ही वजहों से स्नान नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए शास्त्रों में स्नान में छूट मिली हुई है।
ज्योतिषाचार्य और कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित संतोष जी पाधा ने जानकारी दी कि स्नान के पर्व में ऐसे लोग जो स्नान करने में असमर्थ होते उनके लिए भी शास्त्रों में विस्तार से जानकारी दी गई है। ऐसे लोगों में रोगी, बुजुर्ग और बच्चों के लिए स्नान और दान के नियमों में छूट दी गई है। बदलते हुए परिवेश और मौसम में बच्चे रोगी और बुजुर्गों के लिए स्नान किया जाना बीमारी का स्वागत करना जैसा होता है। शास्त्रों में यह जानकारी दी गई है कि स्नान हमारे शरीर के 9 छिद्रों को शुद्ध करता है। ऐसे में व्यक्ति को अपने विवेक और शारीरिक बल के अनुसार स्नान और ध्यान करना चाहिए। यदि व्यक्ति स्वस्थ है तो उन्हें स्नान के सभी शास्त्रोक्त नियमों का पालन कर अनिवार्य रूप से स्नान कर शरीर के सभी 9 छिद्रों को स्वच्छ करना चाहिए। इसके अलावा यदि व्यक्ति बुजुर्ग है या फिर व्यक्ति को किसी तरह का रोग है और ऐसे बच्चे जो स्नान के बाद बीमार हो सकते हैं उन्हें शास्त्रोक्त मिली छूट का लाभ उठाना चाहिए।
यह है 7 तरह के स्नान :
1 - मंत्र स्नान
2- भौम स्नान या मिट्टी से स्नान
3 - भस्म स्नान या अग्नि स्नान
4 - वायत्स स्नान या गाय के दूध से स्नान
5 - दिव्य स्नान या वर्षा के जल से स्नान
6 - वारुण स्नान या बहते हुए जल में डुबकी लगाकर स्नान
7 - मानसिक स्नान
यह है स्नान के पात्र :
शास्त्रों में दिए गए स्नान को समय, परिस्थितियों और अपने ज्ञान के अनुसार ऋषि, मुनि, तपस्वी, अघोरी, तंत्र साधक कथावाचक सहित अन्य शास्त्रों और पुराणों के ज्ञाता अपने अपने विवेक के अनुसार अपनाते हैं। गृहस्थ और स्वस्थ व्यक्ति को बहते हुए जल या फिर घर पर ही अमृत जल बना कर स्नान किए जाने का अनिवार्य विधान है। इससे अलग रोगी बुजुर्ग और बच्चों को बहते हुए जल में स्नान किए जाने से छूट मिली हुई है।
बीमार बुजुर्ग और बच्चे ऐसे कर सकते हैं :
आचार मयूर के अनुसार ऐसे व्यक्ति जो स्नान करने में असमर्थ है और वह डुबकी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें सर के नीचे के शरीर का स्नान करना चाहिए। यदि वे सर के नीचे का स्नान करने में भी असमर्थ है तो खादी के वस्त्र या कुशा को गीला कर शरीर को साफ कर सकते हैं। इस तरह के स्नान के बाद वे किसी भी वस्तु का दान दे सकते हैं । इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि शास्त्रों में यह है स्नान सिर्फ ऐसे लोगों के लिए ही बताया गया है जो स्नान करने में पूरी तरह से असमर्थ है।
स्वस्थ व्यक्ति ऐसे बनाएं अमृत जल :
शास्त्रों के अनुसार यदि स्वस्थ व्यक्ति बहते हुए जल की धारा में मकर संक्रांति या अन्य किसी पर्व काल के दौरान स्नान नहीं कर पा रहा है तो वह घर पर ही अमृत जल बनाकर उससे स्नान के बाद बहते हुए जल में स्नान का पुण्य कमा सकता है। अमृत जल बनाने के लिए व्यक्ति को घर पर एक बाल्टी में पानी लेकर सबसे पहले उसमें गंगाजल डालना चाहिए। इसके बाद उसी जल में पीली सरसों या सरसों के फूल या सरसों का तेल डाल सकते हैं। इसके बाद उसी जल में पीला चंदन हल्दी तेल कपूर लाल फूल और कुशा डालकर अमृत जल बना सकते हैं। मकर संक्रांति पर इस तरह से बनाए गए अमृत जल के स्नान के बाद दान देने से बहते हुए जल में स्नान करने का पूण्य हासिल होता है।