योगी आदित्यनाथ ने अपनी जीत के साथ तोड़े यह सात रिकॉर्ड, तोड़ डाला नोएडा का अंधविश्वास

Up Election 2022 : योगी आदित्यनाथ ने अपनी जीत के साथ तोड़े यह सात रिकॉर्ड, तोड़ डाला नोएडा का अंधविश्वास

योगी आदित्यनाथ ने अपनी जीत के साथ तोड़े यह सात रिकॉर्ड, तोड़ डाला नोएडा का अंधविश्वास

Tricity Today | Yogi Adityanath

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की है। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनने जा रही है। जहां भाजपा फिर से पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाएगी। वही, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस चुनाव में जीत हासिल करते हुए 7 रिकॉर्ड तोड़े है। 

1. 72 वर्षों में सीएम ने चुनाव नहीं जीता, जीता तो कुर्सी नहीं मिली
उत्‍तर प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन रही है। इसका मतलब है कि योगी आदित्यनाथ फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। अगर ऐसा हुआ तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इतिहास रचेंगे। दरअसल, साल 1950 में उत्तर प्रदेश में पहली बार चुनाव हुए थे। तब से लेकर अब तक राज्य में कोई लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री नहीं बना है। जिसने अपना पहला 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो और वह दोबारा चुनकर आया हो। यूपी की राजनीति का यह बड़ा रोचक पहलू है कि अगर किसी पार्टी की सत्ता रिपीट हुई तो उसने अपने पिछले सीएम को मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं दी है।

2. नोएडा से जुड़ा मिथक भी टूट गया
नोएडा को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा मिथक रहा। कहते हैं, जिसने सीएम रहते नोएडा का दौरा किया, उसकी सरकार नहीं बची या कुर्सी छीन गई। यह मिथक दशकों से चला आ रहा था लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को तोड़ दिया है। इस मिथक की शुरुआत वर्ष 1988 से हुई थी। उस वक्त वीर बहादुर सिंह यूपी के सीएम थे। वह नोएडा के दौरे पर आए थे। इसके बाद अगली बार उनकी सरकार नहीं बनी। फिर एनडी तिवारी ने 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क और युवा केंद्र का उद्घाटन किया। कुछ दिन बाद उनकी कुर्सी चली गई। इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह के साथ ऐसा हुआ। गौतमबुद्ध नगर मायावती का गृह जनपद है। वह सीएम रहते जिले में विकास योजनाओं का जायजा लेने आई थीं। उनकी भी सरकार दोबारा नहीं बन पाई। वह सपा के सामने चुनाव हर गई थीं। यही वजह रही कि अखिलेश यादव सीएम रहते कभी नोएडा नहीं आए थे।

3. तीन दशक से किसी सरकार की वापसी नहीं
यूपी में बीते तीन दशकों से किसी सरकार की वापसी नहीं हुई है। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले सीएम भी वापसी नहीं कर पाए हैं। कल्याण सिंह, मायावती, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पांच-पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद यूपी की जनता से दोबारा जनादेश हासिल करने में नाकामयाब हुए हैं। भाजपा की यह योगी आदित्यनाथ सरकार बीते तीन दशकों में दोबारा सत्ता में वापसी करने वाली सरकार होगी। इसके अलावा यूपी चुनाव के इतिहास में 37 वर्षों से कोई मुख्यमंत्री दोबारा चुनाव जीतकर नहीं आया है। 1985 के बाद से यूपी में कोई मुख्यमंत्री दोबारा चुनाव जीतकर लखनऊ में अपनी सरकार नहीं बना पाया है। हालांकि, उससे पहले यह कारनामा एनडी तिवारी ने किया था।

4. बीजेपी के 15 साल में दोबारा सीएम बनने वाला पहले विधायक 
यूपी के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि भारतीय जनता पार्टी का कोई एक विधायक दोबारा सीएम बनेगा। योगी आदित्यनाथ 15 साल में ऐसे पहले सीएम होंगे जो बीजेपी से विधायक रहते हुए दोबारा सीएम बनेंगे। अब से पहले मायावती 2007 से 12 के बीच में सीएम के रूप में एमएलसी (विधान परिषद की सदस्य) थी। वही, अखिलेश यादव 2012 से 2017 के बीच सीएम रहते हुए एमएलसी भी थे। 

फिलहाल 2 सीएम बिहार में नीतीश कुमार और महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे एमएलसी है। 

5. कार्यकाल पूरा करने वाले तीसरे मुख्यमंत्री 
योजना 2030 में मुख्यमंत्री है जो अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया 70 साल में 21 मुख्यमंत्रियों में से केवल तीन मुख्यमंत्रियों ने ही अपना सारा काम पूरा किया है। अब से पहले बसपा की सुप्रीमो मायावती (2007 से 12) और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (2012 से 17) ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। 

6. बीजेपी से दोबारा सीएम बनने वाले पहले प्रत्याशी 
योगी आदित्यनाथ बीजेपी के ऐसे पहले प्रत्याशी होंगे जो दोबारा सीएम बनेंगे। अब से पहले बीजेपी के 3 सीएम उत्तर प्रदेश में रह चुके हैं। योगी आदित्यनाथ से पहले कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह बीजेपी से सीएम रह चुके हैं, लेकिन ऐसा करने वाले योगी आदित्यनाथ बीजेपी के पहले सीएम हैं।

7. योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार जीतने  पांचवें सीएम
योगी आदित्यनाथ सहित केवल पांच सीएम ने यूपी में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। ऐसा करने के लिए उनसे पहले चार सीएम थे, 1957 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता, 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा और 1985 में नारायण दत्त तिवारी।

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