राज्यपाल ने कहा- दहेज मांगने वाले भिखारी, ऐसे परिवरों में न दें बेटी

मेरठ के सीसीएस यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह : राज्यपाल ने कहा- दहेज मांगने वाले भिखारी, ऐसे परिवरों में न दें बेटी

राज्यपाल ने कहा- दहेज मांगने वाले भिखारी, ऐसे परिवरों में न दें बेटी

Tricity Today | मेरठ के सीसीएस यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह

Meerut News : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में बेटियों को स्वर्ण पदक प्रदान करने  के बाद कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि दहेज मांगने वाले भिखारी होते हैं। ऐसे परिवार में बेटियों का विवाह न करें। उन्होंने नोएडा में स्कूटी की मांग पूरी न होने पर बहू को जलाने की घटना का जिक्र करते हुए आह्वान किया कि जो परिवार दहेज मांगे, वहां विवाह करने से साफ मना कर दें। माता पिता को बोलें कि जो परिवार अभी से भिखारी की तरह मांग कर रहा है, वह आगे चलकर और क्या क्या मांग करेंगे। 

बेटे और बेटियों में भेदभाव बंद करें
राज्यपाल ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि बेटे और बेटियों में भेदभाव बंद करें। बेटियों को सरकारी स्कूल और बेटों को निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर पढ़ना गलत है। अगर माता पिता ही ऐसा भेदभाव करेंगे तो समाज से क्या अपेक्षा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि सीसीएसयू में मिले स्वर्ण पदक दिखाते हैं कि बेटियां आज कितनी आगे हैं। बेटे पिता के कारोबार को आगे बढ़ाने को ध्यान में रखकर पढ़ाई करते हैं, जबकि बेटियों को ससुराल जाना पड़ता है, इसलिए वह अधिक मेहनत से पढ़ाई करतीं हैं, जिससे भविष्य में कोई विपत्ति आए तो वह आत्मनिर्भर बन सकें। 

समाज और देश को नहीं भूलना चाहिए
राज्यपाल ने प्रदेश में दो परिवारों के बीच जमीन को लेकर हुई लड़ाई में छह लोगों की हत्या के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि समाज को ऐसे कृत्यों से बाहर निकलने की जरूरत है। राज्यपाल ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सफल होने के बाद समाज और देश को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने रतन टाटा का उदाहरण देते हुए बताया कि वह समूह दुनिया में सबसे ज्यादा दान देता है। 

मेजर ध्यान चंद की कर्मभूमि मेरठ
कुलाधिपति ने कहा कि मेरठ और आसपास का क्षेत्र हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। यह क्षेत्र रामायण, महाभारत से जुड़ा होने के साथ ही पंज प्यारों में एक का स्थान है। स्वतंत्रता संग्राम यहीं से हुआ और पूरे देश तक पहुंचा। उच्च शिक्षा में इनको जोड़ना चाहिए और युवा पीढ़ी को इनके बारे में बताने के साथ ही पढ़ाया भी जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेजर ध्यान चंद की कर्मभूमि मेरठ अब खेलों में भी देश का नाम रोशन कर रहा है।

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