बांके बिहारी ने जीती जमीन की जंग, दो महीने में मंदिर को लौटाएं भूमि

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : बांके बिहारी ने जीती जमीन की जंग, दो महीने में मंदिर को लौटाएं भूमि

बांके बिहारी ने जीती जमीन की जंग, दो महीने में मंदिर को लौटाएं भूमि

Google Image | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Mathura News : बांके बिहारी के प्रेमियों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर है। खबर है कि उनके आराध्य श्रीकृष्ण के स्वरूप बांके बिहारी ने कोर्ट में अपनी हक की लड़ाई जीत ली है। दरअसल मथुरा की छाता तहसील के शाहपुांर गांव में भगवान श्री बांके बिहारी की जमीन पहले तालाब और फिर कब्रिस्तान में दर्ज कर दी थी। इसी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए अपने बड़े फैसले में तहसीलदार छाता को दो महीने के अंदर जमीन श्री बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज करने के आदेश दिए हैं। बता दें कोर्ट ने इससे पहले स्थिति स्पष्ट करने के लिए इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए थे। कोर्ट के इस आदेश का हिंदू पक्ष में उत्साह का माहौल है। 

प्राचीन काल से बिहारी जी के नाम दर्ज
राजस्व अभिलेखों में पहले यह जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज थी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएम और तहसीलदार छाता से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर क्यों बदली गई। कोर्ट ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी, लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी। इस पर कोर्ट ने समय-समय हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए फिर फैसला लिया। याचिका के अनुसार प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित खसरा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था। जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने धर्म रक्षा संघ के राम अवतार गुर्जर की याचिका पर यह आदेश दिया है।

19 साल पहले कब्रिस्तान के नाम दर्ज हुई जमीन
याचिका के मुताबिक 32 साल पहले यानी 1991 में इस जमीन को तालाब के नाम दर्ज किया गया था। फिर भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 19 साल पहले यानी 2004 में उस भूमि को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज करा लिया। जानकारी होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की। मामला वक्फ बोर्ड तक गया। आठ सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है। फिर भी भूमि पर बिहारी मंदिर का नाम न दर्ज कर पुरानी आबादी दर्ज कर दी गई।

धर्म रक्षा संघ ने शुरू से ही किया विरोध
धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने हाईकोर्ट के आए फैसले को लेकर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि धर्म रक्षा संघ के कार्यकर्ता शुरू से इस फर्जीवाड़े का विरोध कर रहे थे। कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिस पर न्यायालय ने जो फैसला दिया।

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