गंगोह सीट पिछले 5 साल में दो बार जीती भाजपा, 2022 का समीकरण जानिए

कौन जीतेगा यूपी : गंगोह सीट पिछले 5 साल में दो बार जीती भाजपा, 2022 का समीकरण जानिए

गंगोह सीट पिछले 5 साल में दो बार जीती भाजपा, 2022 का समीकरण जानिए

Tricity Today | गंगोह सीट पर ग्राउंड रिपोर्टिंग

कौन जीतेगा यूपी ! हमारी यह मुहिम आज सहारनपुर जिले की गंगोह विधानसभा सीट पर पहुंच गई है। इस सीट के लिए पिछले 5 वर्षों में 2 विधानसभा चुनाव हुए हैं। दरअसल, 2017 के सामान्य विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने विधायक प्रदीप सिंह को कैराना संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल की। जिसके चलते उनकी विधानसभा सीट खाली हो गई। 2019 के आखिर में फिर यहां बाई इलेक्शन करवाया गया। जिसमें भाजपा ने किरत सिंह को उम्मीदवार बनाया। दूसरी ओर कांग्रेस ने नोमान मसूद और समाजवादी पार्टी ने इंद्रसेन को मैदान में उतारा। इस त्रिकोणीय मुकाबले में किरत सिंह ने जीत हासिल की।



गंगोह विधानसभा क्षेत्र गुर्जर बाहुल्य है। सैनी और अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। दलित वोटरों की संख्या भी अच्छी खासी है। गंगोह सीट पर इमरान मसूद की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। 2019 के उपचुनाव में वोटरों की संख्या 3,25,432 थी। इनमें से 2,24,598 यानी 60.69% वोटरों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। भाजपा के किरत सिंह को 68,300 वोट मिले। दूसरे नम्बर पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार नूमान मसूद को 62,881 और तीसरे नम्बर पर रहे सपा उम्मीदवार को 57,374 को वोट मिले थे। इस तरह किरत सिंह ने कड़े मुकाबले में केवल 4,023 वोट से जीत हासिल की।

अब अगर आने वाले विधानसभा चुनाव के समीकरण पर नजर दौड़ाएं तो भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक किरत सिंह खासे मजबूत नजर आते हैं। वैसे तो कीरत सिंह को अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने के लिए बेहद कम वक्त मिला है। दरअसल, मध्यावधि चुनाव जीतने के तुरंत बाद कोरोनावायरस का संक्रमण हावी हो गया। जिसकी वजह से क्षेत्र में तमाम विकास योजनाएं और जनसंपर्क प्रभावित रहा। इसके बावजूद किरत सिंह अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने में कामयाब रहे हैं। गुर्जर बिरादरी गौतमबुद्ध नगर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर हुए विवाद से खासी नाराज है, लेकिन किरत सिंह के व्यवहार के चलते सजातीय मतदाता उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

दूसरी ओर सैनी, ब्राह्मण, वैश्य और अन्य पिछड़ा वर्ग की छोटी-छोटी जातियां भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ी दिख रही हैं। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी इलाके में खासी मजबूत नजर आती है। सपा से टिकट हासिल करने के लिए कई उम्मीदवार रेस में हैं। इनमें गुर्जर और मुसलमान बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले नेता ज्यादा हैं। अल्पसंख्यक मतदाता पूरी तरह समाजवादी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस भी इलाके में कमजोर नहीं है। कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में गंगोह विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने के लिए मिल सकता है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी इस सीट पर खासी कमजोर नजर आती है।

विधायक किरत सिंह ने कहा, "मुझे मध्यावधि चुनाव में इस इलाके की सेवा करने का अवसर मिला है। जब से मैं विधायक बना हूं, तब से लगातार कोरोनावायरस का संक्रमण चल रहा था। अब पिछले कुछ महीनों से हालात सामान्य हैं और विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं। इसके बावजूद मैं लगातार आम आदमी के संपर्क में रहा। कोरोनावायरस महामारी के दौरान लोगों को सहायता देने का भरसक प्रयास किया है। इसके अलावा पिछले 2 वर्षों में मेरे विधानसभा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएं पूरी हुई हैं। कई एक्सप्रेसवे और हाईवे का निर्माण तेजी से चल रहा है। जिनका आने वाले दिनों में क्षेत्र की जनता को बड़ा लाभ मिलेगा। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मेरे इलाके की जनता मुझे फिर आशीर्वाद देकर कामयाब बनाएगी।

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