सहारनपुर शहर सीट पर भाजपा के लिए अच्छी कानून व्यवस्था और सपा के लिए महंगाई बनेगा हथियार, VIDEO

कौन जीतेगा यूपी : सहारनपुर शहर सीट पर भाजपा के लिए अच्छी कानून व्यवस्था और सपा के लिए महंगाई बनेगा हथियार, VIDEO

सहारनपुर शहर सीट पर भाजपा के लिए अच्छी कानून व्यवस्था और सपा के लिए महंगाई बनेगा हथियार, VIDEO

Tricity Today | ग्राउंड रिपोर्टिंग

Uttar Pradesh Vidhansabha Chunav : कौन जीतेगा यूपी! आम आदमी से यह सवाल पूछने का सिलसिला सहारनपुर शहर सीट (Saharanpur City Assembly Constituency) पर पहुंच गया है। यह विधानसभा में नंबर 3 सीट है। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के तहत यह सीट अस्तित्व में आई है। फिलहाल यहां समाजवादी पार्टी के विधायक संजय गर्ग हैं। गर्ग, कद्दावर व्यापारी नेता भी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सहारनपुर जिले की 7 सीटों में से केवल यहीं सपा को कामयाबी मिली थी। 



भाजपा को पिछले चुनाव हार का मुंह देखना पड़ा
इस विधानसभा क्षेत्र में 2017 के चुनाव के दौरान मतदाताओं की संख्या 3,93,564 थी। भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने के लिए मिली थी। सहारनपुर के पिछले कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की परछाई में हुए हैं। भाजपा के उम्मीदवार पूर्व विधायक राजीव गुंबर थे। संजय गर्ग को 1,27,210 वोट मिले थे। जबकि राजीव गुंबर को 1,22,574 वोट मिले थे। इस तरह महज 2 फ़ीसदी मतों के अंतर से भाजपा इस सीट पर पराजित हो गई थी।

बसपा ने बिगाड़ा था भाजपा का चुनावी गणित
सहारनपुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, वैश्य और ब्राह्मण वोटरों का दबदबा है। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी ने मुकेश दीक्षित को उम्मीदवार बनाया था। उन्हें 17,350 वोट मिले थे। जिले चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि मुकेश दीक्षित को यह सारे वोट ब्राह्मणों ने दिए थे, जो भाजपा की हार का कारण बने। शहर में अन्य सिक्ख-पंजाबी और पिछड़ा वर्ग में गुर्जर, सैनी, धीमान वोटर भी अच्छी खासी संख्या में हैं। इस सीट पर मुसलमान, वैश्य और ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।

एकबार फिर भाजपा और सपा के बीच मुकाबला
कुल मिलाकर सहारनपुर नगर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले चुनाव को लेकर बात करें तो मुकाबला फिर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच देखने को मिल सकता है। शहर सीट पर भाजपा के पूर्व सांसद और विधायक राघव लखनपाल शर्मा का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। दूसरी ओर इमरान मसूद को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। शहरी मतदाताओं ने साफतौर पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस बार राघव लखनपाल को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाना चाहिए। जिससे शहर में भाजपा का पलड़ा भारी हो जाएगा। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी मौजूदा विधायक संजय गर्ग को ही मैदान में उतारेगी। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अभी तय नहीं हैं। 

बसपा का सांसद लेकिन पार्टी समीकरण से बाहर
इस पूरे राजनीतिक समीकरण की एक और बड़ी खासियत यह है कि सहारनपुर के मौजूदा सांसद हाजी फजलुर्रहमान बहुजन समाज पार्टी से हैं, लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति से वह पूरी तरह बाहर नजर आते हैं। बड़ी बात यह है कि सहारनपुर को बहुजन समाज पार्टी का पुराना गढ़ माना जाता है, लेकिन पार्टी की जिले से पकड़ ढीली पड़ रही है। जिले के चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन का फायदा शफीकुर्रहमान को मिला। केवल एक यही वजह थी, जिसकी बदौलत बस पाया कामयाब हो गई थी। दूसरी ओर कांग्रेस के नेता इमरान मसूद और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद राघव लखन पाल पूरी तरह सहारनपुर नगर समेत जिले की राजनीति पर हावी नजर आते हैं।

सवर्ण वोटरों ने कहा इस बार बसपा का गिमिक नहीं चलेगा
सहारनपुर शहर सीट के वैश्य और ब्राह्मण मतदाताओं का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया था। जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ और हार का भी सामना करना पड़ा। इस बार यह गिमिक पूरी तरह लोगों को समझ में आ गया है। अगर बसपा फिर किसी श्रवण को टिकट देती है तो इस फेर में कोई फसने वाला नहीं है। सहारनपुर शहर सीट पर दो ही बड़े मुद्दे होंगे। एक और भारतीय जनता पार्टी अच्छी कानून-व्यवस्था को आगे रखकर चुनाव मैदान में उतरेगी, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का मुख्य एजेंडा बढ़ती महंगाई रहेगा। दूसरी ओर सहारनपुर जिले कि राजनीति और चुनाव पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि आखरी वक्त आते-आते चुनाव हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण की ओर पहुंच जाएगा।

सरकार ने केवल विकास का ढिंढोरा पीटा है : संजय गर्ग
सहारनपुर नगर के मौजूदा विधायक और समाजवादी पार्टी के बड़े व्यापारी नेता संजय गर्ग का कहना है, "भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने विकास के नाम पर केवल ढिंढोरा पीटा है। लोगों को गुमराह किया जा रहा है। हिंदू और मुस्लिम के नाम पर लोगों को बांटकर चुनावी कामयाबी हासिल की है, लेकिन आप इन सारी बातों को आम आदमी समझ चुका है। महंगाई की मार बहुत ज्यादा है। डीजल पेट्रोल और एलपीजी गैस के सिलेंडर आसमान छू रहे हैं। रोजमर्रा की जरूरतों का सामान भी बेहद महंगा है। गरीब आदमी को घर चलाना मुश्किल हो गया है। अब वक्त आ गया है, जब उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी की सरकार रुखसत हो जाएगी। आने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी बड़ी कामयाबी हासिल करने वाली है। एक बार फिर अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.