वृंदावन और बरसाना से कम विशिष्ट नहीं गोरक्षनगरी की होली, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ होते हैं शामिल

Holi Special : वृंदावन और बरसाना से कम विशिष्ट नहीं गोरक्षनगरी की होली, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ होते हैं शामिल

वृंदावन और बरसाना से कम विशिष्ट नहीं गोरक्षनगरी की होली, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ होते हैं शामिल

Tricity Today | गोरक्षनगरी में योगी आदित्यनाथ होली मनाते हुए

Uttar Pradesh : बरसाना की होली से कम विशिष्ट गोरक्षनगरी का रंगोत्सव भी नहीं है। दशकों से होलिका दहन और होलिकोत्सव शोभायात्रा में गोरक्षपीठ को सहभागिता ने यहां के रंगपर्व को समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के आकर्षण का केंद्र बना दिया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद तमाम व्यस्तताओं के बावजूद बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की दो महत्वपूर्ण शोभायात्राओं में सम्मिलित होते हैं। इन शोभायात्राओं में सामाजिक समरसता और समतामूलक समाज का प्रतिबिंब नजर आता है। 

होली पर निकलती हैं दो शोभायात्राएं
गोरखपुर में होली के अवसर पर दो प्रमुख शोभायात्राएं निकलती हैं। एक होलिका दहन की शाम पांडेयहाता से होलिका दहन उत्सव समिति की तरफ से और दूसरी होली के दिन होलिकोत्सव समिति व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले। इस वर्ष भी दोनों शोभायात्राओं में सम्मिलित होने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजकों को सहमति प्रदान कर दी है। बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगपर्व के आयोजनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहभागिता गोरक्षपीठ के मूल में निहित संदेश के प्रसार का हिस्सा है। 

क्या होता है खास
वरिष्ठ पत्रकार राजीव दत्त पाण्डेय कहते है कि रंगों के प्रतीक रूप में उमंग और उल्लास का पर्व होली गोरक्षपीठ के सामाजिक समरसता अभियान का ही एक हिस्सा है। पीठ की विशेषताओं में छुआछूत, जातीय भेदभाव और ऊंच नीच की खाई पाटने का जिक्र सतत होता रहा है। समाज मे विभेद से परे लोक कल्याण ही नाथपंथ का मूल है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा विस्तारित इस अभियान की पताका वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फहरा रहे हैं। गोरक्षपीठ की अगुवाई वाला रंगोत्सव सामाजिक संदेश के ध्येय से विशिष्ट है। 

काफी सालों से निकल रही शोभायात्रा
सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं। 1996 से 12019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी वर्ष 2020 और 2021 के होलिकोत्सव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे। सफल कोरोना प्रबंधन का पूरी दुनिया में लोहा मनवाने और इस वैश्विक महामारी को पूरी तरह काबू में करने के बाद सीएम योगी गत वर्ष पांडेहाता से निकलने वाले होलिकादहन जुलूस और घण्टाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा में सम्मिलित हुए। 

होलिकादहन की राख के तिलक से होती है गोरखनाथ मंदिर में होली की शुरुआत
गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिकादहन या सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित होता है। होलिकादहन हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नृसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है। होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मन्तव्य है भक्ति की शक्ति को सामाजिकता से जोड़ना। इस परिप्रेक्ष्य में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कथन सतत प्रासंगिक है, "भक्ति जब भी अपने विकास की उच्च अवस्था में होगी तो किसी भी प्रकार का भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहाँ छू भी नहीं पायेगी।" 

नानाजी देशमुख ने की थी रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरूआत, गोरक्षपीठ ने दी बुलंदी
पंडित प्रेमानन्द कौशिक का कहना है कि गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती हैं कि गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी। नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था। नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया। 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया। अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और लोगों को इंतजार रहता है, योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नृसिंह शोभायात्रा का। पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली शोभायात्रा में पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं और भगवान नृसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

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