साहित्य मन को संवेदना, संस्कार, सरसता, सौहार्द और सद्भावना से सज्जित करता है

डॉ. विनोद प्रसून ने कहा : साहित्य मन को संवेदना, संस्कार, सरसता, सौहार्द और सद्भावना से सज्जित करता है

साहित्य मन को संवेदना, संस्कार, सरसता, सौहार्द और सद्भावना से सज्जित करता है

Tricity Today | डॉ. विनोद प्रसून

साहित्य मन को संवेदना, संस्कार, सरसता, सौहार्द और सद्भावना से सज्जित करता है। काव्य का अनहद नाद आत्मा को गुंजित करता है। कविता जीवनोपयोगी तत्वों और अनुभूतियों का सार होती है।यह एक युग से दूसरे युग तक संस्कारों का संचरण करती है।कविता के पठन से जो भाव, जो चिंतन मन में उमड़ता-घुमड़ता है, वही घनीभूत होकर सृजन की ओर ले जाता है और काग़ज़ और क़लम से मित्रता करवाता है। विद्यार्थी जीवन में मन में अंकुरित हुए साहित्य के संस्कार वैचारिक शुचिता के साथ-साथ एक अच्छा इंसान बनाते हैं। 

यह कहना है-वरिष्ठ कवि एवं लेखक, सीबीएसई संसाधक एवं दिल्ली पब्लिक स्कूल, ग्रेटर नोएडा के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद ‘प्रसून’ का।ये विचार उन्होंने हिंदी विभाग, संत फ़िलोमिना कॉलेज, मैसूरु(कर्नाटक) के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी व्याख्यान माला में ‘हिंदी काव्य का भावात्मक पक्ष : सृजन, संवेदना, सौहार्द व सरसता की प्रेरणा’ विषय पर प्रकट किए।

इस ऑनलाइन कार्यक्रम में संपूर्ण देश, विशेषकर हिंदीतर भाषी प्रांतों से 300 के क़रीब विद्यार्थी, शिक्षक, प्रोफ़ेसर आदि जुड़े।कार्यक्रम का सफल संचालन कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. पूर्णिमा उमेश जी ने किया। इस अवसर पर डॉ. विनोद ‘प्रसून’ ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि अपनी भावनाओं को काग़ज़ पर उतारना एक विशिष्ट गुण है और विद्यार्थियों को भाषा सीखते समय सृजन के संस्कार ग्रहण करने चाहिए। इससे उनका व्यक्तित्व साहित्य की सुगंध से भर उठेगा। 

उन्होंने यह भी सलाह दी कि प्रारंभ में केवल मन में उमड़ते-घुमड़ते भावों को काग़ज़ पर उतारना आरंभ करें, फिर धीरे-धीरे गुरुजनों से शिल्प का ज्ञान लें। उन्होंने काव्य के भावात्मक पक्ष को काव्य के प्राण कहा। उन्होंने कबीर, रहीम, माखनलाल चतुर्वेदी, हरिवंशराय बच्चन, नागार्जुन, गोपालदास नीरज, नरेश सक्सेना आदि मूर्धन्य कवियों की रचनाएँ सुनाकर उनमें भावों की तीव्रता, संवेदना, मूल्यों आदि से विद्यार्थियों को परिचित करवाया।

इस अवसर पर संत फ़िलोमिना कॉलेज के निशा एम, रिया कुमारी, अमित कुमार, राम कुमार पांडेय, सरस्वती आदि विद्यार्थियों ने स्तरीय मौलिक रचनाएँ सुनाकर व काव्य-सृजन से जुड़े प्रश्न पूछकर अभिभूत कर दिया।
कार्यक्रम में हिंदी की गूँज संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार, उद्घोषक एवं शिक्षक खेमेंद्र सिंह, निर्मला जोशी, लता चौहान, प्रमोद चौहान, अशोक गुप्ता, प्रेमलता सहित अन्य हिंदी साधक उपस्थित रहे।

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