मनोहर लाल ज्वैलर्स का विज्ञापन बना डीजीपी मुकुल गोयल की परेशानी, अब सरकार ने यूपीएससी को कहा- वह काबिल नहीं थे

खास खबर : मनोहर लाल ज्वैलर्स का विज्ञापन बना डीजीपी मुकुल गोयल की परेशानी, अब सरकार ने यूपीएससी को कहा- वह काबिल नहीं थे

मनोहर लाल ज्वैलर्स का विज्ञापन बना डीजीपी मुकुल गोयल की परेशानी, अब सरकार ने यूपीएससी को कहा- वह काबिल नहीं थे

Tricity Today | डीजीपी मुकुल गोयल

Lucknow/Delhi/Noida : उत्तर प्रदेश कैडर में 1987 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर मुकुल गोयल को लेकर सरकार ने नाकाबिल करार दिया है। दरअसल, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे मुकुल गोयल को उत्तर प्रदेश पुलिस का महानिदेशक नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति के ठीक अगले दिन उत्तर प्रदेश के तमाम अखबारों में पहले पन्ने पर एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया था। यह विज्ञापन मनोहर लाल ज्वेलर्स ने अखबारों में दिया था। वह विज्ञापन ही मुकुल गोयल की परेशानी का कारण बना। इसे प्रशासनिक हलकों में बेहद नकारात्मक करार दिया गया। आम आदमी ने भी खुलकर इसकी आलोचना की थी। दो दिनों तक ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वह ट्रेंड हुए थे। सरकार ने कहा- वरिष्ठता के साथ क्षमता भी होनी चाहिए
मुकुल गोयल 30 जून 2021 को यूपी पुलिस के महानिदेशक बनाए गए थे। उन्हें एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले 11 मई 2022 को हटा दिया गया। इस प्रकरण को लेकर संघ लोक सेवा आयोग ने कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखते हुए मुकुल गोयल को हटाने का कारण पूछा था। अब इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग को जवाब दे दिया है। यूपी सरकार ने जवाब ने साफ तौर पर कहा है, "मुकुल गोयल डीजीपी बनने के लायक नहीं थे।" उनके कार्यों पर टिप्पणी करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, "वरिष्ठता के साथ-साथ क्षमता भी होनी चाहिए।" लोक सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में लिखा है, "पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल 2006-07 में भर्ती घोटाले के भी आरोपी रहे थे। मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान वह उत्तर प्रदेश के एडीजी (एलओ) थे और उन्हें हटाया गया था। वह जब सहारनपुर में तैनात थे तो उन्हें सस्पेंड किया गया था। डीजीपी रहते अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार की शिकायत के कारण हटाया गया था।" अब यूपी सरकार के स्थाई डीजीपी को लेकर यूपीएससी की बैठक जल्द हो सकती है। दरअसल, यूपीएससी ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत डीजीपी का कार्यकाल 2 साल का होना चाहिए। इससे पहले अगर भ्रष्टाचार, अपराधिक मामलों में सजा या भारतीय सेवा नियमों के उल्लंघन का मामला साबित होने पर ही किसी को डीजीपी पद से हटाया जा सकता है।

तीन वरिष्ठतम आईपीएस के नाम सरकार को भेजे गए थे
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में नए डीजीपी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को यूपीएससी ने लौटा दिया है। इस मामले में आयोग ने राज्य सरकार से पूछा कि मुकुल गोयल को डीजीपी के पद पर न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूरी करने से पहले हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया या नहीं? आयोग ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति के लिए 22 सितंबर 2006 को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में 29 जून 2021 को यूपीएससी में बैठक हुई थी और तीन वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारियों का पैनल राज्य सरकार को भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में नियुक्त किए गए डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो वर्ष होना चाहिए।

मनोहर लाल ज्वैलर्स का विज्ञापन आलोचना की वजह बना
मुकुल गोयल की बतौर डीजीपी नियुक्ति के अगले ही दिन मनोहर लाल ज्वेलर्स ने उत्तर प्रदेश के तमाम अखबारों में एक विज्ञापन छपवाया था। जिसमें मुकुल गोयल को डीजीपी बनने पर बधाई दी गई थी। यह विज्ञापन आम आदमी से लेकर पुलिस, प्रशासन और सरकार में सभी को अजीबोगरीब लगा था। विज्ञापन छपते ही सोशल मीडिया, पुलिस महकमे और सरकारी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं होने लगी थीं। कुल मिलाकर नियुक्ति के साथ ही मुकुल गोयल आलोचनाओं और विवादों से घिर गए थे। उत्तर प्रदेश पुलिस के एक पूर्व डीजीपी ने इसे बेहद अशोभनीय करार दिया था। उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा बेहद अनुशासित होनी चाहिए। यह अनुशासन ना केवल सिपाही पर बल्कि डीजीपी पर भी लागू होता है। इस विज्ञापन से समाज में डीजीपी के प्रति खराब संदेश गया है।

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