भाजपा रणनीतिकारों की सोची-समझी वजह आई सामने, इसलिए लिया इतना बड़ा फैसला

बुलंदशहर से नरेंद्र मोदी का चुनावी शंखनाद : भाजपा रणनीतिकारों की सोची-समझी वजह आई सामने, इसलिए लिया इतना बड़ा फैसला

भाजपा रणनीतिकारों की सोची-समझी वजह आई सामने, इसलिए लिया इतना बड़ा फैसला

Google Photo | नरेंद्र मोदी

Bulandshahr News : आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) गुरुवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से प्रचार का शंखनाद करेंगे। सवाल यह उठ रहा है कि आख़िर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बुलंदशहर को क्यों चुना गया है? भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने बेहद सोचे-समझे प्लान के साथ यह फ़ैसला लिया है। जानकारों का कहना है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 साल बाद बुलंदशहर की धरती पर खड़े होकर वोट मांगेगे। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पहली रैली बुलंदशहर से की थी। जिसके बेहद शानदार परिणाम भाजपा के हक में गए थे। उसी करिश्मे को दोहराने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री ने बुलंदशहर से चुनावी शंखनाद करने का फैसला लिया है।"

2014 के चुनाव में मिला बंपर जनादेश
भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन के हिसाब से उत्तर प्रदेश को 5 क्षेत्रों में विभाजित किया है। इनमें पश्चिम उत्तर प्रदेश, बृज, अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 3 मंडलों सहारनपुर, मुरादाबाद और मेरठ की 14 लोकसभा सीट पड़ती हैं। इनमें सहारनपुर, कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, मेरठ, बागपत, ग़ाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर संसदीय क्षेत्र शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी के गोवा अधिवेशन में कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने चुनावी शंखनाद किया था। उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने बुलंदशहर को चुना था। बुलंदशहर सदर विधानसभा क्षेत्र के मीरपुर गांव में नरेंद्र मोदी को जनसभा करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उस रैली में करीब 5 लाख लोग नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए पहुंचे थे। जिसके चौंकाने वाले परिणाम भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आए थे।

2014 में वेस्ट यूपी की 14 सीटों पर थी भाजपा
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश की सभी 14 सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में चली गई थीं। उस चुनाव में सहारनपुर से राघव लखनपाल, कैराना से बाबू हुकुम सिंह, मुज़फ़्फ़रनगर से संजीव बालियान, बिजनौर से भारतेंद्र सिंह, नगीना से यशवंत सिंह, मुरादाबाद से कुंवर सर्वेश सिंह, रामपुर से नेपाल सिंह, संभाल से सतपाल सैनी और अमरोहा से कंवर सिंह तंवर ने कामयाबी हासिल की थी। इसी तरह मेरठ मंडल की मेरठ सीट से राजेंद्र अग्रवाल, बागपत से सत्यपाल सिंह, ग़ाज़ियाबाद से जनरल वीके सिंह, गौतम बुद्ध नगर से डॉक्टर महेश शर्मा और बुलंदशहर से भोला सिंह सांसद चुने गए थे।

2019 में सपा-बसपा ने छीन ली थीं सात सीटें 
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महासमर की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से नहीं की गई। जिसका बुरा परिणाम भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ा था और वेस्ट यूपी के 14 से 7 संसदीय क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी को हराया था। आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन था। गठबंधन को सबसे बड़ा फ़ायदा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही मिला था। वेस्ट यूपी की 14 में से 7 सीट भारतीय जनता पार्टी हार गई थी। इनमें सहारनपुर से बहुजन समाज पार्टी के हाजी फजलुर्रहमान, बिजनौर से मलूक नागर, नगीना से गिरीश चंद्र और अमरोहा से कंवर दानिश अली चुनाव जीते थे। जबकि मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के एसटी हसन, रामपुर से आज़म ख़ान और संभाल से शफीकुर्रहमान बर्क़ ने कामयाबी हासिल की थी। कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 4 लोकसभा सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में चली गई थीं और 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने परचम लहराया था। यह चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद निराशाजनक था। भारतीय जनता पार्टी को सहारनपुर मंडल में केवल कैराना और मुज़फ़्फ़रनगर लोकसभा सीटों पर कामयाबी मिल पाई थी। मुरादाबाद मंडल की सारी सीटें भाजपा हार गई थी। केवल मेरठ मंडल ने एकतरफा भारतीय जनता पार्टी का सहयोग किया था। मेरठ से एक बार फिर राजेंद्र अग्रवाल, बागपत से सत्यपाल सिंह, ग़ाज़ियाबाद से जनरल वीके सिंह, गौतमबुद्ध नगर से डॉक्टर महेश शर्मा और बुलंदशहर से भोला सिंह ने कामयाबी दोहराई थी।

भाजपा एक बार भी चाहती है सभी 14 सीटों पर भगवा
अब एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2014 के चुनाव परिणाम हासिल करना चाहती है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाले लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकने के लिए बुलंदशहर बुलाया गया है। इस बार प्रधानमंत्री की जनसभा सिकंदराबाद विधानसभा क्षेत्र के चोला गांव में होगी। प्रधानमंत्री को चोला बुलाने के पीछे एक और रणनीतिक मकसद है। चोला क्षेत्र में पिछले दस वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं ने मूर्त रूप लिया है। इनमें ईस्टर्न और वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर का जंक्शन इस इलाके में विकसित किया जा रहा है। चौला का पूरा इलाका नई नोएडा में शामिल किया गया है। महज 10 वर्ष पहले तक चोला क्षेत्र बुलंदशहर जिले का सबसे पिछड़ा हिस्सा हुआ करता था। चोला और आसपास के गांवों में पहुंचने के लिए अच्छी सड़कें नहीं थीं। पिछले 10 वर्षों के दौरान बुलंदशहर में एक्सप्रेसवे और हाईवे का बड़े पैमाने पर जाल बिछाया गया है। इनमें बुलंदशहर-अलीगढ़ नेशनल हाईवे, बुलंदशहर-ग़ाज़ियाबाद नेशनल हाईवे, बुलंदशहर-हापुड़-मेरठ नेशनल हाईवे, बुलंदशहर-अनूपशहर स्टेट हाईवे और बुलंदशहर-स्याना-गढ़मुक्तेश्वर स्टेट हाईवे को नए सिरे से बनाया गया है। उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा गंगा एक्सप्रेसवे बुलंदशहर से होकर गुजर रहा है। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। इसके अलावा बुलंदशहर को यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ा गया है। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के जेवर इलाके में बनाया जा रहा एशिया का सबसे बड़ा नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बुलंदशहर की सीमा से सटा हुआ है। जिसका भरपूर लाभ जिले को मिलेगा।

मेरठ मंडल के 5 लाख लोगों के सामने होगा शंखनाद
गुरुवार को चोला में होने वाली प्रधानमंत्री की जनसभा में मेरठ मंडल के छह जिलों बागपत, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर और ग़ाज़ियाबाद से करीब 5 लाख लोगों को लाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी का मकसद है कि इन सारे जिलों से आने वाले लोगों को बताया जाएगा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान किस तरह आधारभूत ढांचे का तेजी से विकास हुआ है। जिसका फायदा आम आदमी को मिल रहा है। भाजपा के रणनीतिकार इस जनसमूह को समझाने का प्रयास करेंगे कि चोला जैसे पिछड़े इलाके तक एक दशक पहले पहुंचना बेहद दुष्कर और कष्टकारी था। आज उस इलाके में हर तरफ से चौड़ी-चौड़ी सड़कें पहुंच चुकी हैं। जिसकी बदौलत इतना बड़ा जनसमूह पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके आसानी से आया है।

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