Gauatm Buddha Nagar : स्कूलों की मनमानी के खिलाफ एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन और नेफोवा के सम्मिलित बैनर तले अभिभावकों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर सत्याग्रह किया। अभिभावकों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर स्वच्छता अभियान चलाया। सांकेतिक झाड़ू-पोछा लगाकर संदेश दिया कि जैसे सफाई में गंदगी की सफाई करते हैं वैसे ही शिक्षा माफियाओं का जिले से सफाई किया जाए। प्रदर्शन के दौरान डिप्टी कलेक्टर (उप जिला मजिस्ट्रेट) उमेश चंद्र निगम को ज्ञापन सौंपा।
बीएसए को सोमवार को मिलने के लिए बुलाया
एनसीआर पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखपाल सिंह ने बताया कि डिप्टी कलेक्टर उमेश चंद्र निगम ने ध्यानपूर्वक उनकी बात सुनी और कहा कि ज्ञापन के आधार पर उचित कार्यवाई के लिए बीएसए और डीआईओएस दोनों को चिट्ठी जारी करेंगे। चिट्ठी जारी करने के क्रम में डिप्टी कलेक्टर उमेश चंद्र निगम ने बीएसए से फोन पर बात किया तो बीएसए ने सकारात्मक जवाब देते हुए सोमवार को मिलने बुलाया है।
अभिभावकों ने इन मुद्दों को भी उठाया
वहीं, दूसरी ओर जब डिप्टी कलेक्टर ने डीआईओएस से बात किया तो डीआईओएस ने विभिन्न कारण गिनाते हुए, निजी स्कूलों फीस की ट्रांसपोर्ट चार्ज की बढ़ोत्तरी, भारी भरकम लेट फीस और तिमाही फीस एक साथ लेने को जायज बताते हुए और निजी स्कूलों का पैरोकार बनते हुए अभिभावकों से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई। उनकी तरफ से हमेशा की तरह रटा रटाया जवाब आया के कोई शिकायत नहीं आई। वहींए अभिभावकों का कहना है के वो पिछले दो सालों से कई शिकायते कर चुके है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती। डीआईओएस को सक्रियता दिखाते हुए दिशा निर्देशों का अनुपालन करवाना चाहिए। सभी स्कूलों से समय समय पर दिशा निर्देशों के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एफिडेविट लेना चाहिएए ताकि अभिभावक बार बार प्रति पीड़ित न हों।
नेफोवा ने प्राइवेट स्कूलों पर लगाया गंभीर आरोप
नेफोवा अध्यक्ष ने अभिषेक कुमार बताया कि स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आज का सांकेतिक प्रदर्शन कर सोए जिला प्रशाशन को जगाने का प्रयास किया गया है। जिले के निजी स्कूलों में करीब 18,000 ईडब्लूएस कोटे की सीटें हैं, लेकिन मात्र लगभग 5500 छात्रों को ही दाखिला देने को चयनित किया गया है। जिन छात्रों को दाखिला देने हेतु चयनित किया गया है। उन्हें भी दाखिला देने में आनाकानी की जा रही है। कुल मिलाकर लगभग 12,500 ईडब्ल्यूएस कोटे के बच्चो के दाखिले में धांधली हुई है। इसके साथ साथ सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग किया है।
स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान
मनीष कुमार और दीपांकर कुमार ने बताया कि स्कूलों की मनमानी यहीं खत्म नहीं हो रही। इसके अलावा इस साल के शुरुआत में प्रदेश सरकार ने फीस ना बढ़ाने की अधिसूचना जारी किया था। उसे भी निजी स्कूलों ने दरकिनार कर 10 प्रतिशत स्कूल फीस बढ़ा दिया है। स्कूल बस फीस में भी 40-50 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी कर दिया है, जो कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है। स्कूलों के तरफ से अभिभावकों पर तिमाही फीस देने का दबाव बनाया जा रहा और जो फीस जमा नहीं कर रहे उन पर रूपए 50 प्रतिदिन के हिसाब से लेट फीस लगाया जा रहा। स्टेशनरी, किताबें और यूनिफार्म के लिए पहले से ही स्कूल से ही लेने का दबाव है। एनसीईआरटी की किताबों के बदले निजी प्रकाशन की किताबें बेच बेच कर स्कूल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
लेट फीस होने पर लगता है जुर्माना
इस प्रदर्शन में शामिल एस्टर पब्लिक स्कूल के अभिभावक अविनाश झा और दुर्गेश ने बताया कि स्कूल मनमर्जी स्कूल फीस जमा करने में देरी होने पर रूपए 50 प्रतिदिन का लेट फीस लगा रहा। स्कूल मैनेजमेंट से पूछने पर किसी भी प्रकार का तार्किक तथ्य प्रस्तुत नहीं किया जा रहा। स्कूल मैनेजमेंट का कहना है कि लेट फीस का नियम सरकारी नियम के मुताबिक ही लगाया जा रहा है। सरकारी दस्तावेज दिखाने के नाम पर दो टूक जवाब दिया कि आप पढ़े लिखे हैं। खुद ढूंढ लीजिए। इस विरोध प्रदर्शन में रोहन भगत, संजीव सक्सेना, सुखपाल सिंह, अभिषेक कुमार, दीपांकर कुमार, मनीष कुमार, दीपक गुप्ता, दुर्गेश और अविनाश झा आदि लोग शामिल रहे।