Mathura : श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अब एक नए दावेदार की एंट्री हो गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने शुक्रवार को पहली बार ईदगाह की जमीन पर अपना दावा ठोक दिया। इस बाबत ट्रस्ट ने एक वाद सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में दायर किया है। इसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी बनाया गया है।
अब ट्रस्ट ही वादी
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने कहा है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान (तब सेवा संघ) को समझौते का अधिकार नहीं था। लेकिन, 1968 में सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से भूमि को लेकर समझौता किया था। ये समझौता गलत है। इस समझौते की डिक्री 1973 व 1974 में न्यायालय द्वारा की गई। इसे रद्द किया जाए। अब तक जन्मस्थान मामले में 17 वाद दायर हो चुके हैं, लेकिन यह पहला मामला है, जिसमें जन्मभूमि ट्रस्ट खुद ही वादी है। ये वाद ट्रस्टी विनोद कुमार बिंदल और ओमप्रकाश सिंघल की ओर से किया गया है।
क्या है मामला
श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि पर ही जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह है। जन्मस्थान का कार्य देख रहे श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने 1968 में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी से प्रमुख 10 बिंदुओं पर समझौता कर लिया। इससे पूर्व में चले सभी वाद समाप्त हो गए। कालांतर में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ का नाम परिवर्तित कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान कर दिया गया। 13.37 एकड़ भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर है। समझौता संस्थान ने किया था, इसलिए दावा किया गया है कि भूमि जब संस्थान के नाम नहीं थी, तो उसके द्वारा किया गया समझौता ही गलत है।