श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़े ने निकाली भव्य छावनी प्रवेश यात्रा, देखने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ 

Maha Kumbh 2025 : श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़े ने निकाली भव्य छावनी प्रवेश यात्रा, देखने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ 

श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़े ने निकाली भव्य छावनी प्रवेश यात्रा, देखने के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ 

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

Prayagraj News : प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। बुधवार को इस क्रम में श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी में प्रवेश किया। अखाड़े का प्रवेश देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। महाकुंभ में अखाड़ों का यह प्रवेश आस्था और धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, जो कुंभ मेले की भव्यता को और भी बढ़ा रहा है।

इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में किया प्रवेश
आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयासों से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आए अखाड़ों की स्थापना शास्त्र और शस्त्र दोनों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। शास्त्र ने शंकराचार्य के धार्मिक चिंतन को जन-जन तक पहुँचाया, जबकि शस्त्र ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया। इसी परंपरा में शैव सन्यासी के अखाड़े, श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने कुम्भ क्षेत्र में अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। यह यात्रा अलोपी बाग स्थित अखाड़े के मुख्यालय से शुरू हुई। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यात्रा में परंपरा, उत्साह और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला। यात्रा में सबसे पहले अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उनके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता थे।

बाल नागा लोगों के लिए रहा आकर्षण का केंद्र 
स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालों के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे। 

जगह जगह अखाड़े के संतों का किया गया स्वागत
अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था "सूर्य प्रकाश" नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है। पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।

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