Baghpat : बागपत के बरनावा में स्थित अतिशय क्षेत्र जैन मंदिर बरनावा की तपोभूमि पर हो रहे 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के तृतीय दिन द्विगुणित 32 अर्घ श्रीफल समर्पित किए गए। इस चक्र महामंडल विधान में महा शुक्र इंद्र फूलों की माला हाथ में लेकर तोता पक्षी पर सवार होकर अर्घ समर्पित करता है। शतारइंद्र कोयल वाहन पर नीलकमल को हाथ में लेकर भक्ति से प्रेरित हुए श्रीफल समर्पित करते है।
बताई यह बातें
बताया गया है कि सहस्र इन्द्र गरुड़ विमान पर सवार होकर अनार के फलों के गुच्छे हाथ में लेकर चंद्रप्रभु भगवान के चरणों में भक्ति से अनुराप्त हो जाता है। आनंद इंद्र गरुड़ पक्षी पर पनिश फल लेकर पनिश फल के गुच्छों को हाथ में लेकर दिव्य वैभव के साथ जिनेंद्र भगवान के चरणों में नतमस्तक हो जाता है। यह सिद्ध चक्र महामंडल विधान पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देता है, क्योंकि संसार की चीजें और प्रमाद की चीजें बिना पुरुषार्थ के कभी किसी को प्राप्त नहीं होती है।
मैना सुंदरी की कहानी सुनाई
मैना सुंदरी के पिता ने उसकी शादी एक कोढ़ी पति के साथ कर दी, और शादी केवल इसीलिए की कि वह भाग्य के भरोसे थी। मैना सुंदरी अपने पिता से कहा कि मेरे भाग्य में जो लिखा हुआ होगा, उसे कोई परिवर्तन नहीं कर सकता। इसी जिद के कारण उसके पिता ने एक कौड़ी के साथ उसकी शादी कर दी। शादी हो जाने के बाद मैना सुंदरी ने पुरुषार्थ करने लगी वह भाग्य के भरोसे नहीं रही यदि विभाग के भरोसे बैठी रहती तो कभी भी उसके पति का कोड महा बीमारी कभी ठीक नहीं होती। उसने भगवान की आराधना मन वचन काया की एकाग्रता पूर्वक सिद्धचक्र महामंडल विधान संपन्न किया और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त हो गई। यानी कि उसने अपने पति का कोढ़ दूर कर दिया।
यह प्रैक्टिकल अनेक बार देखनों को मिला
उसी प्रकार जो भी सिद्धचक्र महामंडल विधान अष्टमी का महापर्व बरनावा की तपोभूमि पर आकर चंद्र भगवान के समक्ष शिक्षक महामंडल विधान संपन्न करता है। उसके संसार के सभी व्यवस्था के साथ ही प्राप्त हो जाते हैं और हर मनोकामना सिद्ध चक्र महामंडल विधान करने से पूर्ण होती है। ऐसा अनेक बार प्रैक्टिकल देखने में आया है।
ये लोग हुआ शामिल
इस अवसर पर जैन मंदिर में पंकज जैन, राजीव जैन, मुकेश जैन, हंस जैन, कमल जैन, डिम्पल जैन, बादामी बाई जैन, रामकली दीदी, सुनीता जैन, लता जैन, रुकमणी जैन, सुशीला देवी जैन, पवन जैन, वंश जैन आदि शामिल रहे।