Tricity Today | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुरेंद्र सिंह नागर
सुरेंद्र सिंह नागर वर्ष 1998 में पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने
वर्ष 2009 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद में दो कार्यकाल पूरे किए
2009 में पन्द्रहवीं लोकसभा के लिए गौतमबुद्ध नगर सीट पर चुनाव जीता
अब राज्यसभा के लिए तीसरी बार लड़ेंगे चुनाव, भाजपा में बड़ा ओबीसी चेहरा
इस वक्त वेस्ट यूपी में सबसे अनुभवी नेताओं में शुमार हैं सुरेंद्र सिंह नागर
Uttar Pradesh News : सौम्य स्वभाव, ठहराव और टाइमिंग शॉट के लिए मशहूर सुरेंद्र सिंह नागर शुक्रवार को एक बार फिर राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। सुरेंद्र नागर फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति हैं। उन्होंने पिछले 6 वर्षों में राज्यसभा के लिए तीसरा चुनाव जीता है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे अनुभवी नेताओं में शुमार सुरेंद्र सिंह नागर की उम्र 57 साल है। विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में 24 वर्षों का अनुभव हासिल कर चुके हैं। सुरेंद्र सिंह नागर का भारतीय जनता पार्टी में कद तेजी के साथ बढ़ रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ना केवल उन्हें समाजवादी पार्टी से लेकर आया बल्कि भाजपा में प्रदेश उपाध्यक्ष जैसी जिम्मेदारी सौंपी। राज्यसभा में उपसभापति भी बनाया है।
साफ-सुथरी छवि के गुर्जर नेता हैं सुरेंद्र नागर
सुरेंद्र सिंह नागर की छवि 'मिस्टर क्लीन' वाली है। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान के गुर्जर समुदाय में नागर की अच्छी पकड़ है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सुरेंद्र नागर में गुर्जर मतदाताओं को अपनी पार्टी के पक्ष में मोड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह लगातार जम्मू-कश्मीर में गुर्जर समुदाय के बीच दौरे कर रहे हैं। मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार डॉ.कुलदीप त्यागी कहते हैं, "इस वक्त भारतीय जनता पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को साधकर सत्ता में बनी हुई है। ब्रॉड स्पेक्ट्रम को छोड़कर केवल वेस्टर्न यूपी पर फोकस करें तो सुरेंद्र सिंह नागर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इस इलाके में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, हापुड़, बुलदंशहर और गौतमबुद्ध नगर में गुर्जर समुदाय की अच्छी-खासी तादाद है।"
डॉ.कुलदीप त्यागी ने आगे कहा, "इस इलाके में जाटों के सामांतर खेतीबाड़ी से जुड़ी अन्य पिछड़ा वर्ग की बिरादरी में गुर्जर महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। सुरेंद्र नागर के पिता अपने समुदाय के बीच पॉपुलर थे। नागर ने उस पॉपुलेरिटी को और बढ़ाया है। वह साफ छवि के निर्विवाद पॉलिटिकल फिगर बने रहे हैं। करीब ढाई दशक से देश के किसी न किसी सदन में काम कर रहे हैं। 60 साल की उम्र से पहले इतना लंबा अनुभव बड़े मायने रखता है। भारतीय जनता पार्टी ने सुरेंद्र नागर के जरिए गुर्जरों को साधने में कामयाबी हासिल की है।"
विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में लम्बा अनुभव
सुरेंद्र सिंह नागर ने संसदीय राजनीति की शुरुआत उत्तर प्रदेश विधान परिषद से की। वर्ष 1998 में वह स्थानीय निकाय सीट से चुनाव जीतकर एमएलसी बने। साल 2004 में दोबारा इसी सीट से चुनाव जीता। विधान परिषद में 10 समितियों के सदस्य रहे। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले गौतमबुद्ध नगर सीट सामान्य हो गई। सुरेंद्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ.महेश शर्मा थे। सुरेंद्र नागर ने जीत हासिल की और लोकसभा पहुंच गए। इसके बाद 2016 में राज्यसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। नागर जुलाई 2019 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और राज्यसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने सुरेंद्र नागर के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाया। इस तरह सुरेंद्र नागर ने दूसरी बार राज्यसभा चुनाव जीता। मतलब, पिछले 6 वर्षों में उन्होंने राज्यसभा के लिए 3 चुनाव लड़े हैं। सुरेंद्र सिंह उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें विधान परिषद राज्यसभा और लोकसभा में काम करने का अनुभव हासिल है।