अदालतें उद्योग और बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, हड़ताल से खुश होते हैं न्याय के दुश्मन

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी : अदालतें उद्योग और बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, हड़ताल से खुश होते हैं न्याय के दुश्मन

अदालतें उद्योग और बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन नहीं, हड़ताल से खुश होते हैं न्याय के दुश्मन

Tricity Today | Allahabad High Court

Prayagraj News : यूपी के प्रयागराज से बड़ी खबर आ रही है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रसड़ा तहसील में वकीलों की हड़ताल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि कोर्ट कोई उद्योग नहीं है और न ही बार काउंसिल या बार एसोसिएशन ट्रेड यूनियन हैं, जो अपनी मांगों को मनवाने के लिए उद्योग मालिकों से सौदेबाजी करते हैं। यह तल्ख टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने जंग बहादुर कुशवाहा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की। 

क्या कहा अदालत ने
अदालत ने कहा कि बिना उचित कारण वकीलों की हड़ताल समाज के हाशिए पर बैठे गरीब वादकारी के जीवन स्वतंत्रता और जीविकोपार्जन को कठिनाई में डालती है। वादकारियों की मौन चीत्कार सुनकर सभ्य समाज को हल निकालना चाहिए अन्यथा न्याय के दरवाजे बंद होने पर वे न्याय पाने के लिए कानून के दायरे से बाहर अपराधियों की मदद लेने लगेंगे। वकील तथा अदालत को संविधान प्रदत्त न्याय प्रणाली में भरोसा कायम रखने का उपाय करने चाहिए। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वकील, जिसने वादकारी से केस लिया है, वह अदालत जाने से इन्कार नहीं कर सकता।

शिकायत निवारण कमेटी बनाने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि छह जून-2023 को कोर्ट ने बार काउंसिल को शिकायत निवारण कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। इसमें जिला जज, अपर जिला जज, सीजेएम, डीजीसी सिविल और क्रिमिनल एवं जिला बार एसोसिएशन को शामिल करने का आदेश था। जिससे वकीलों की हड़ताल को नियंत्रित किया जा सके। कोर्ट ने उप्र बार काउंसिल के अध्यक्ष को यह जानकारी दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या हड़ताल पर नियंत्रण की कोई गाइडलाइन बनी है और हड़तालियों पर क्या कार्रवाई की गई है। प्रकरण में अगली सुनवाई पांच फरवरी को होगी।

जंग बहादुर कुशवाहा ने दायर की थी याचिका
जंग बहादुर कुशवाहा ने रसड़ा तहसील बार एसोसिएशन की 31 जनवरी-2023 से जारी हड़ताल पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वकीलों की हड़ताल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। कोर्ट ने बार काउंसिल से जानकारी मांगी तो 19 जनवरी-2024 को बताया कि अब हड़ताल समाप्त हो गई है और अदालत काम कर रही है, किंतु यह नहीं बताया कि कितने दिन हड़ताल रही? खंडपीठ ने कहा कि तहसील बार एसोसिएशन के पत्र से साफ है कि वकील की मौत पर न्यायिक कार्य से विरत रहते हैं। याची ने इसे गलत करार देते हुए कहा कि वकील ही नहीं, उनके परिवार और दूर के रिश्तेदार की मौत पर यहां तक कि सपा के जिलाध्यक्ष की मौत पर वकीलों ने हड़ताल की। कोर्ट ने कहा कि वकीलों की हड़ताल न्याय के पहिये को स्थिर करती है। इससे न्याय के शत्रु खुश होते हैं। वादकारी परेशान हैं, उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा। वह हताश होकर समस्या का हल निकालने के लिए अन्य गैर न्यायिक रास्ता अपना सकते हैं। इसलिए वकील और अदालत ऐसा काम न होने दें, जिससे न्याय तंत्र के प्रति वादकारियों के भरोसे का क्षरण हो।

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