हजारों लाभार्थी जाड़े की सर्द रातें खुले में गुजारने को मजबूर, मूकदर्शक बना देख रहा है प्रशासन, पूरी जानकारी

सहारनपुर : हजारों लाभार्थी जाड़े की सर्द रातें खुले में गुजारने को मजबूर, मूकदर्शक बना देख रहा है प्रशासन, पूरी जानकारी

हजारों लाभार्थी जाड़े की सर्द रातें खुले में गुजारने को मजबूर, मूकदर्शक बना देख रहा है प्रशासन, पूरी जानकारी

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

प्रशासन की संवेदनहीनता की वजह से सहारनपुर में हजारों की संख्या में लोगों को खुले में रातें गुजारनी पड़ रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर पहले इन लोगों के कच्चे मकान गिरा दिए गए और अब जाड़े की सर्द रातों में उन्हें ऐसे ही ठिठूरने के लिए छोड़ दिया गया है। ऐसे हजारों परिवार प्रशासन से प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त देने की गुहार लगा रहे हैं, पर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। सहारनपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत 17,774 आवासों में से सिर्फ 8,139 आवासों को ही पूरा कराजा जा सका है। 

जबकि, तीसरी किस्त नहीं मिलने की वजह से 9,190 लाभार्थियों के आवासों का निमार्ण कार्य अधूरा पड़ा है। जिनके मकान के निर्माण अधूरे हैं, वो शीतलहर का प्रकोप झेलने को मजबूर हैं। ऐसे सभी लाभार्थी अगली किस्त मिलने के इंतजार में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। पर प्रशासन और अधिकारी बेखबर हैं। सूडा के परियोजना अधिकारी अनुज प्रताप सिंह ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निदेशक को इस संबंध में पूरी जानकारी दी जा चुकी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस महीने के आखिर तक बजट जारी हो जाएगा। 

जिले में ऐसे हजारों लाभार्थी हैं, जिन्होंने पक्के मकान के लिए अपने कच्चे मकान को तोड़ दिया था। पर उनके पक्के मकान अब तक तैयार नहीं हो पाए हैं। ऐसे लोग तिरपाल और पॉलीथीन से मकान की छत को ढंककर उसके नीचे रहने को मजबूर हैं। अनुज प्रताप सिंह के मुताबिक, सहारनपुर नगर निगम के वार्ड-8 बिशनपुर में आरती का आवास एक वर्ष पहले मंजूर हुआ था। पहली किस्त मिलने के बाद आरती ने अपना कच्चा मकान तोड़ दिया और मकान की नींव भरने का काम पूरा किया। अगली किस्त नहीं मिलने की वजह से आरती के मकान का निर्माण कार्य बीच में बंद हो गया। आरती के माता-पिता भी नहीं हैं।

वह घर के आंगन में बने स्नान घर में ही रहने को मजबूर है। इसी गांव में सित्तो के मकान का एक हिस्सा तैयार है, पर दूसरी किस्त नहीं मिलने से मकान का काम अधूरा पड़ा है। सित्तो तिरपाल डालकर जाड़े की सर्द रातें गुजार रही है। अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से भुगतान में देरी हो रही है। जिले में 726 लाभार्थियों को पहली, 1613 को दूसरी और 1815 को तीसरी किस्त का भुगतान किया जाना बाकी है। इनमें से अक्टूबर, 2०2० में सिर्फ 735 लाभार्थियों को दूसरी किस्त का भुगतान किया गया। बाकी 3,455 लाभार्थियों को अगली किस्त नहीं मिल पाई।

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