Uttar Pradesh : यूपी कैबिनेट ने गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए बिडिंग प्रक्रिया प्रारम्भ करने की अनुमति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के अन्तर्गत डीबीएफओटी (टोल) के आधार पर मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले 6 लेन ग्रीन फील्ड ‘गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना’ के चार ग्रुप के लिए विकासकर्ताओं के चयन के लिए ग्रुपवार आरएफक्यू-कम-आरएफपी अभिलेखों को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 6800 हेक्टेयर (93%) भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है।
प्रस्तावित गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की तकनीकी एवं अन्य संरचनाओं को भी स्वीकृति दी गई है। इसके अन्तर्गत गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण 6 लेन का होगा। हालांकि इसे जरूरत के वक्त इसे 8 लेन तक विस्तार किया जा सकेगा। राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) की चौड़ाई 120 मीटर होगी। इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे का डिजाइन स्पीड 120 किमी/घण्टा, अनुमानित लम्बाई 594 किलोमीटर और ग्रुप की संख्या 4 (प्रत्येक ग्रुप में 03 पैकेज) रहेगी। इस पर जन सुविधा परिसर 9, मुख्य टोल प्लाजा 02 (मेरठ एवं प्रयागराज), रैम्प टोल प्लाजा 15, गंगा नदी पर लगभग 960 मीटर एवं रामगंगा नदी पर लगभग 720 मीटर लम्बाई के बड़े पुल बनाए जाएंगे। शाहजहांपुर के समीप हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी।
9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी
गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की आकलित सिविल निर्माण लागत लगभग 22,125 करोड़ रुपये है। परियोजना के लिए जरूरी भूमि अधिग्रहण में कुल 9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी। परियोजना की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए परियोजना के चार ग्रुप के लिए अलग-अलग आरएफक्यू-कम-आरएफपी जारी कर तथा उनके सापेक्ष कन्शेसनायर्स का चयन किया जाएगा। पूरी बिड प्रक्रिया को पूरा करने में कम से कम 60 दिन लग सकते हैं। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
गांवों-कस्बों को मिलेगा लाभ
राज्य सरकार का कहना है कि इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद वाहनों के ईंधन खपत में महत्वपूर्ण बचत होगी। साथ ही मेरठ और प्रयागराज समेत दर्जनों जनपदों के बीच आवागमन में कम वक्त लगेगा। पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। एक्सप्रेस वे से जुड़े गांवों और कस्बों में सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ-साथ कृषि, वाणिज्य, उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार के साधन भी विकसित होंगे और लोगों को अपने गांव-कस्बे में ही आय का जरिया मिलेगा। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिहाज से भी यह एक्सप्रेसवे मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल प्रदेश के 12 जनपदों को जोड़ने वाले इस एक्सप्रेस वे से उद्यमियों को भारी लाभ मिलेगा।
औद्योगिक कॉरिडोर बनेगा
यह एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में भी बेहद सफल होगा। प्रयागराज में बनने वाला उत्पाद आसानी से राजधानी दिल्ली और एनसीआर के शहरों तक पहुंच सकेगा। इसके अलावा स्थानीय रोजगार तथा विकास को बल देने के लिए सरकार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, शिक्षण संस्थान और मेडिकल संस्थानों की स्थापना के लिए विकल्प उपलब्ध कराएगी। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण इकाई, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। राज्य सरकार एक्सप्रेसवे से जुड़े क्षेत्रों में व्यवसाय को बढ़ावा देगी। बताते चलें कि गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए 5,100 करोड़ रुपये का ऋण पहले ही मिल चुका है।
6.30 घंटे में प्रयागराज पहुंचेगे
इस एक्सप्रेस-वे के पूर्ण हो जाने से लखनऊ से मेरठ की बीच की दूरी सिमट जाएगी। दोनों शहरों के बीच 12 से 15 घण्टे के स्थान पर 5-6 घण्टे लगेंगे। जबकि प्रयागराज और मेरठ के बीच की दूरी लगभग साढ़े छः घण्टे में तय की जा सकेगी। पिछले महीने 21 अगस्त को गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के क्रियान्वयन हेतु सेक्योरिटाइजेशन के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 5,100 करोड़ रुपये की ऋण स्वीकृति पत्र के हस्तांतरण पर साइन हुए थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ ही, अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए कृतसंकल्प है। राज्य सरकार प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश को देश का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।