जमीन अधिग्रहण के बाद प्राइवेट प्लेयर के साथ डील साइन करे सरकार

नोएडा एयरपोर्ट के सीईओ का बड़ा बयान : जमीन अधिग्रहण के बाद प्राइवेट प्लेयर के साथ डील साइन करे सरकार

जमीन अधिग्रहण के बाद प्राइवेट प्लेयर के साथ डील साइन करे सरकार

Tricity Today | CEO Christoph Schnellmann

New Delhi : जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने मंगलवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, "केंद्र और राज्य सरकारों को ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे जैसी परियोजना के निर्माण के लिए निजी कंपनी के साथ रियायत समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले आवश्यक मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए और सारी भूमि का अधिग्रहण करना चाहिए।"

प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में कामयाबी हासिल करने के बाद ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने 7 अक्टूबर, 2020 को उत्तर प्रदेश सरकार के साथ 29,560 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजना के रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। जुलाई 2021 में राज्य सरकार ने फेज-1 के निर्माण के लिए स्विस फर्म को 1,334 हेक्टेयर जमीन सौंपी थी। सितंबर 2024 तक चरण-1 का निर्माण पूरा होने पर हवाईअड्डे से उड़ान शुरू हो जाएंगी।

अब यूपी सरकार जेवर में नोएडा हवाईअड्डे के चरण-2 के लिए गौतमबुद्ध नगर के छह गांवों में 1,181 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में है। भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा यह हवाईअड्डा 4,752 हेक्टेयर में तीन चरणों में बनाया जाएगा। फिछले दिनों ग्रामीणों के एक समूह ने परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था। एक गांव के किसान धरना देने के लिए ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का कार्यालय पर पहुंच गए थे।

अब मंगलवार को श्नेलमैन ने कहा, "प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ-साथ घरेलू निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इन ग्रीनफ़ील्ड हवाईअड्डा परियोजनाओं की योजना बनाई जानी चाहिए। जब सभी आवश्यक मंजूरी जैसे पर्यावरण मंजूरी मिल जाए और जब सरकार के पास पूरी भूमि उपलब्ध हो तब एग्रीमेंट के लिए आगे बढ़ना चाहिए। हवाईअड्डे का विकास रेल और सड़क जैसी कनेक्टिविटी पर आधारित है। यह एक मजबूत और टिकाऊ अवधारणा है।" आपको बता दें कि सरकार नोएडा हवाईअड्डे को दिल्ली और अन्य शहरों से जोड़ने के लिए मेट्रो और स्पीड रेल का निर्माण कर रही है। हालांकि, यह मेट्रो और स्पीड रेल 2024 में नहीं होंगी। जबकि एयरपोर्ट का शुरूआती चरण पूरा हो जाएगा। यहां से उड़ान होने लगेंगी और यात्रियों का आवागमन शुरू हो जाएगा।

क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने आगे कहा, "हम और भी ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों को विकसित करने की योजना के समर्थन करते हैं। एक मजबूत नीतिगत ढांचा मौजूद है। हम राज्य प्रायोजकों को प्रोत्साहित करेंगे, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो। निजी प्रवर्तकों और राज्य प्रवर्तकों के बीच जोखिम बराबर हैं।" क्रिस्टोफ बुधवार को दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक सम्मेलन में बोल रहे थे। इस साल मार्च में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में कहा था कि सरकार की योजना वर्ष 2025 तक भारत में हवाईअड्डों की संख्या 140 से बढ़ाकर 220 करने की है। श्नेलमैन ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों और मौजूदा हवाईअड्डों के बीच समान अवसर हों।

क्रिस्टोफ ने उद्यमियों के बीच कहा, "नए हवाईअड्डे यातायात के निचले स्तर पर गतिविधि शुरू करेंगे। सरकार निर्माण के लिए जीएसटी सब्सिडी दे। विकास के अपने शुरुआती चरण में नए हवाईअड्डों को सीएनएस (संचार, नेविगेशन और निगरानी) जैसे शुल्कों की छूट के मामले में समर्थन कर सकती है।" क्रिस्टोफ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि द्विपक्षीय यातायात अधिकारों के संदर्भ में एक समान अवसर हों। उन्होंने कहा, "नए हवाईअड्डों में मौजूदा हवाईअड्डों के बराबर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यातायात को विकसित करने की क्षमता है।"

उन्होंने आगे अपनी बात रझते हुए कहा कि किसी विशेष देश की एयरलाइंस के लिए दूसरे देश में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करने के लिए दोनों पक्षों को एक "द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते" पर बातचीत करनी होगी। उस पर हस्ताक्षर करना होगा। जो यह तय करता है कि प्रति सप्ताह कितनी उड़ानें या सीटें एक देश से दूसरे के लिए उड़ान भरने की अनुमति दी जा सकती है। एक बार इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद प्रत्येक देश अपनी संबंधित एयरलाइनों और हवाईअड्डों को द्विपक्षीय अधिकार आवंटित करने के लिए स्वतंत्र होता है।

आपको बता दें कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पार्ट-1 का निर्माण पूरा होने बाद यह हवाईअड्डा प्रति वर्ष 1.20 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा। निर्माण के सभी चार हिस्से वर्ष 2050 तक पूरे होंगे। उसके बाद इसकी क्षमता प्रति वर्ष लगभग 7 करोड़ यात्रियों तक बढ़ जाएगी। ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने 29 नवंबर, 2019 को नोएडा हवाईअड्डे के लिए 40 साल की रियायत हासिल करने के लिए दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड, अदानी एंटरप्राइजेज और एंकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट्स होल्डिंग्स लिमिटेड को पीछे छोड़ दिया था। ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल स्वयं एक सूचीबद्ध कंपनी Flughafen Zurich AG की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है, जो ज्यूरिख हवाईअड्डे का संचालन करती है।

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