क्या आपको पता है अपनी लागत जितना पैसा 2 साल में बचा देगा यह हवाईअड्डा, पीएम ने दी ये खास जानकारी

Jewar Airport से जुड़ी खास खबर : क्या आपको पता है अपनी लागत जितना पैसा 2 साल में बचा देगा यह हवाईअड्डा, पीएम ने दी ये खास जानकारी

क्या आपको पता है अपनी लागत जितना पैसा 2 साल में बचा देगा यह हवाईअड्डा, पीएम ने दी ये खास जानकारी

Tricity Today | PM Narendra Modi

  • - पूरी दुनिया से हवाई जहाज सुधरने जेवर आएंगे, इसके लिए एक रनवे अलग बनेगा
  • - भारतीय नागरिक उड्डयन कंपनियां विमानों के रखरखाव पर सालाना खर्च करती हैं 15,000 करोड़ रुपए
  • - नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विकास पर 29,650 करोड़ रुपए खर्च होंगे
Jewar Airport News : जेवर में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है। इस हवाईअड्डे से जुड़ी एक खासियत के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह खास जानकारी इस एयरपोर्ट का शिलान्यास करते वक्त आम आदमी को दी थी। यह हवाईअड्डा अपनी लागत जितना पैसा महज 2 वर्षों में देश को बचाकर देगा। आपको बता दें कि इस एयरपोर्ट के लिए दूसरे चरण में अधिग्रहण की गई 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विमानों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एमआरओ हब विकसित किया जाएगा। यह एमआरओ हब महज 2 वर्षों में देश की नागरिक उड्डयन कंपनियों के 30,000 करोड रुपए बचाएगा।

एमआरओ सबके लिए एक रनवे अलग से बनेगा
हवाई जहाजों की मरम्मत, रखरखाव और ओवरहोलिंग के लिए बनाए जा रहे एमआरओ हब का रनवे अलग होगा। 25 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एयरपोर्ट का जेवर में शिलान्यास किया है। हम इस एयरपोर्ट को ऐतिहासिक ऐसे ही नहीं कह रहे हैं, इसके पीछे भी बहुत सारी वजह है। इस एयरपोर्ट के बनने के बाद और बनने के दौरान भी सैकड़ों या हजारों नहीं बल्कि कई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यह भारत को कई मायनों में आत्मनिर्भर बनाएगा। 

जेवर में 2 एमआरओ हब बनेंगे
जेवर में एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है। इस एयरपोर्ट पर दूसरे चरण में अधिग्रहण की गई 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विमानों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एमआरओ हब विकसित किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर एक रनवे में भी बनाया जाएगा। जेवर एयरपोर्ट परियोजना में 2 एमआरओ हब बनेंगे। एयरपोर्ट की विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड यहां पर 40 एकड़ में एमआरओ हब बनाएगी। एक एमआरओ हब का इस्तेमाल कंपनी अपने हिसाब से करेगी लेकिन दूसरा एमआरओ हब सरकार विकसित करेगी। यह 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विकसित होगा। सरकार इसे अपने अनुसार चलाएगी।

15,000 करोड़ रुपए विदेश जाता है
आंकड़ों के मुताबिक देश से 15,000 करोड़ रुपए विदेश में जाता है। देश के हवाई जहाज मरम्मत और ठीक होने के लिए विदेश में जाते हैं। जिसके लिए काफी मिलियन पैसा भारत से विदेश में जाता है लेकिन अब यहां पर एमआरओ हक विकसित होने के बाद देश का पैसा देश में ही रहेगा। इससे आत्मनिर्भरता को नई उड़ान मिलेगी। 25 नवंबर को शिलान्यास करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था, "देश की एवियशन इंडस्ट्री इस हवाईअड्डे की बदौलत आत्मनिर्भर बन जाएगी। अभी हर साल हवाई जहाजों की मरम्मत करने पर 15 हजार करोड़ रुपए विदेश जा रहे हैं।"

जेवर के अलावा मेरठ में भी एमआरओ हब बनेगा
जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ एक एमआरओ हब भी बनेगा। उत्तर प्रदेश सरकार हवाई जहाज के लिए एक घरेलू एमआरओ (मेंटिनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग) उद्योग स्थापित करेगी। योगी आदित्यनाथ सरकार की योजना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 2 एमआरओ हब विकसित किए जाएं। इनमें से एक गौतमबुद्ध नगर के जेवर और दूसरा मेरठ में होगा। यहां नागरिक और रक्षा विमान, दोनों की जरूरतों की पूरा किया जाएगा। यह दोनों हब भारत में कार्यरत एयरलाइंस को रखरखाव के खर्च को कम करने में मदद करेगा। एमआरओ की संभावनाओं को देखते हुए यमुना प्राधिकरण सेक्टर-7, 8 और 30 में आरक्षित करने पर विचार कर रही है।

भारत को आत्मनिर्भता मिलेगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछली साल देश में घरेलू विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा की थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी में दो एमआरओ बनाने की मांग को रखा था। अब जेवर में  विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) बनाया जाएगा। इससे भारत को आत्मनिर्भता मिलेगी।  

भारत में सिर्फ 10 प्रतिशत एमआरओ बाजार पर कब्जा
जेवर हवाई अड्डे के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार भारत से निकलने वाली एमआरओ बाजार की मांग 2036 तक 5 बिलियन डॉलर तक जाने की उम्मीद है। वर्तमान में भारत के भीतर केवल 10 प्रतिशत एमआरओ बाजार पर कब्जा है, शेष के देश के बाहर किया जा रहा है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति के माध्यम से एक घरेलू एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए हैं। भारत में कराधान नीति एमआरओ के आड़े आ रही है। यह एमआरओ उद्योग के विकास की दिशा में एक बड़ी बाधा है लेकिन यह अब ज्यादा समय तक नहीं रह सकती, वर्तमान में भारत 45 अरब अमेरिकी डॉलर के वैश्विक एमआरओ बाजार का 1 प्रतिशत है।

देश के इस स्थान पर है एमआरओ हब
भारत में इस समय एमआरओ हब दिल्ली, मुंबई, नागपुर, कोलकाता, तिरुवंतपुरम और हैदराबाद में है। इन पर एआईईएसएल (एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड), एयर वर्क्स (एयर वर्क्स इंडिया (इंजीनियरिंग) प्राइवेट लिमिटेड), इंडैमर प्राइवेट लिमिटेड (इंदमेर एविएशन प्राइवेट लिमिटेड), डेक्कन चार्टर (डेक्कन चार्टर्स लिमिटेड), ताज एयर (ताज एयर), पक्षी निष्पादन जेट (पक्षी निष्पादन जेट), जीएमआर एयरो टेक्निक लिमिटेड (जीएमआर एयरो टेक्निक लिमिटेड), मैक्स एमआरओ प्राइवेट लिमिटेड (मैक्स एमआरओ प्राइवेट लिमिटेड) कंपनियों का कब्जा है।

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