एक परिवार की बदौलत 45 वर्षों से तय होता है ब्लॉक प्रमुख

जेवर : एक परिवार की बदौलत 45 वर्षों से तय होता है ब्लॉक प्रमुख

एक परिवार की बदौलत 45 वर्षों से तय होता है ब्लॉक प्रमुख

Tricity Today | धीरेन्द्र सिंह

इस बार जेवर क्षेत्र पंचायत में प्रमुख का पद अनुसूचित जातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित है। मुन्नी देवी जेवर की निर्विरोध प्रमुख बनी हैं। इसके पीछे जेवर के विधायक धीरेन्द्र सिंह की भूमिका रही है। विधायक ने मुन्नी देवी को बीजेपी में शामिल करवाया और क्षेत्र पंचायत सदस्यों को लामबंद किया। यह पहला मौका नहीं है। धीरेन्द्र सिंह और उनके परिवार का समर्थन हासिल करने वाले उम्मीदवार 45 वर्षों से क्षेत्र पंचायत पर काबिज हैं।

पिछले 45 वर्षों से रबुपरा में ही धीरेन्द्र सिंह का परिवार जेवर ब्लॉक प्रमुख तय कर रहा है। वीरेंद्र सिंह के पिताजी ठाकुर हीरी सिंह का इलाके के राजपूत समाज ही नहीं बल्कि ब्राह्मण समाज में बड़ी पकड़ थी। वह इलाके के ब्राह्मणों को बेहद सम्मान देते थे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाईपुर ब्राह्मण गांव के स्वर्गीय पंडित हरिदत्त शर्मा 32 वर्षों तक ब्लॉक प्रमुख रहे थे। उसके बाद 5 वर्ष उनकी पत्नी ब्लॉक प्रमुख रही थीं। वर्ष 2012 में पचौकरा गांव के पण्डित कमल शर्मा को धीरेन्द्र सिंह ने ब्लॉक प्रमुख बनवाया। कमल शर्मा को 43 क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने वोट दिया था। जिसका धीरेंद्र सिंह को 2012 के विधानसभा चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ा था। दरअसल, धीरेन्द्र सिंह की मदद के कारण कमल शर्मा के सामने राजपूत बिरादरी के उम्मीदवार पराजित हो गया था। जिसका चलते धीरेन्द्र सिंह और उनके परिवार के प्रति राजपूतों में भारी नाराजगी थी।



मुन्नी देवी वर्ष 2006 में भी जेवर की प्रमुख रही थीं। दरअसल, मुन्नी देवी के जेठ और खुर्जा से कांग्रेस के पूर्व विधायक बंसी सिंह पहाड़िया की दोस्ती धीरेंद्र सिंह से जगजाहिर है। दोनों घनिष्ठ मित्र हैं। यही वजह है कि धीरेंद्र सिंह और उनके परिवार की दलित समाज में भी मजबूत पकड़ है। रबूपुरा के निवासी एडवोकेट मूलचंद शर्मा ने कहा, "धीरेंद्र सिंह, उनके पिताजी ठाकुर हीरी सिंह और परिवार के बाकी सदस्यों ने नगर पंचायत व क्षेत्र पंचायत की राजनीति में सामाजिक समीकरणों का हमेशा से बड़ा ख्याल रखा है। यह परिवार खासतौर से ब्राह्मण समाज के प्रति बेहद सम्मान वाला भाव रखता है। जिसकी वजह से पूरे इलाके के ब्राह्मण और राजपूत समाज में परस्पर घनिष्ठ तालुकात चले आ रहे हैं।"

मूलचंद शर्मा आगे कहते हैं, "इस सामंजस्य का फायदा जहां धीरेंद्र सिंह और उनके परिवार को हमेशा से मिलता रहा है। दूसरी ओर ब्राह्मण, राजपूत, दलित और मुस्लिम समाज की भी राजनीतिक तौर पर बराबर हिस्सेदारी बनी रही है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार होने के बावजूद धीरेंद्र सिंह को मुस्लिम और दलितों ने वोट दिया था। जब उन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था, तब भी सभी बिरादरी के मतदाताओं का समर्थन उन्हें हासिल हुआ था।"

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